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दिल की हसरत निकल जाये जो तू साथ हो मेरे,
Phool gufran
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
Phool gufran
मां की ममता को भी अखबार समझते हैं वो,
Phool gufran
उजड़ें हुए चमन की पहचान हो गये हम ,
Phool gufran
मसल डाली मेरी इज्जत चंद लम्हों में
Phool gufran
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
Phool gufran
तुझको मैंने दिल में छुपा रक्खा है ऐसे ,
Phool gufran
वो समझते हैं नाज़ुक मिज़ाज है मेरे।
Phool gufran
मेरे दिल की गलियों में तुम छुप गये ऐसे ,
Phool gufran
मेरे सब्र का इंतिहा कब तलक होगा
Phool gufran
मैंने हर फूल को दामन में थामना चाहा ।
Phool gufran
मंजिल की तलाश जारी है कब तक मुझसे बचकर चलेगी तू ।
Phool gufran
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
Phool gufran
हर सिम्त दोस्ती का अरमान नहीं होता ।
Phool gufran
मेरी किस्मत पे हंसने वालों कब तलक हंसते रहोगे
Phool gufran
आपका हर दिन तरक्की बाला हो,
Phool gufran
मुश्किल है जिंदगी में ख्वाबों का ठहर जाना,
Phool gufran
वो सुनाते थे मोहब्बत की कहानी मुझको।
Phool gufran
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
Phool gufran
बदल रहा है ज़माना मगर अंदाज़ नये है ।
Phool gufran
गज़ल
Phool gufran
बड़ा बेवाक लहज़ा है बड़ी दिलकश अदायें हैं,
Phool gufran
मुकद्दर से बना करते हैं रिश्ते इस ज़माने में,
Phool gufran
वो ख्वाब सजाते हैं नींद में आकर ,
Phool gufran
दिल की हसरत सदा यूं ही गुलज़ार हो जाये ।
Phool gufran
वो जुगनुओं से भी गुलज़ार हुआ करते हैं ।
Phool gufran
तोड़ दो सारी हदें तुम हुस्न से दीदार की ।
Phool gufran
तेरी सूरत में मोहब्बत की झलक है ऐसी ,
Phool gufran
इन रेत के टुकडों से तुम दिल बना ना पाये।
Phool gufran
अब फज़ा वादियों की बदनाम हो गई है ,
Phool gufran
लूट कर चैन दिल की दुनिया का ,
Phool gufran
वो मिटा ना सके ज़ुल्म को ज़माने से अभी ।
Phool gufran
मोहब्बत में कब तक रुलाते रहेंगे।
Phool gufran
वो ख्वाबों में आकर गमज़दा कर रहे हैं।
Phool gufran
रक्खा था ख्वाब आंखों में अपनी संभाल कर ।
Phool gufran
कभी ख्यालों में मुझे तू सोचना अच्छा लगे अगर ।
Phool gufran
जिंदगी में आज भी मोहब्बत का भरम बाकी था ।
Phool gufran
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
Phool gufran
ऐ हवा तू उनके लवों को छू कर आ ।
Phool gufran
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
Phool gufran
ये लम्हा लम्हा तेरा इंतज़ार सताता है ।
Phool gufran
हम दिल में मोहब्बत और सीने में कुरान रखते हैं ।
Phool gufran
हुनर हर मोहब्बत के जिंदगी में सिखाएं तूने।
Phool gufran
नज़र से जाम पिलाने का कोई सबब होगा ।
Phool gufran
पाक दामन मैंने महबूब का थामा है जब से।
Phool gufran
हम अपने मुल्क की पहचान को मिटने नहीं देंगे ।
Phool gufran
तू मेरे ख्वाब में एक रात को भी आती अगर
Phool gufran
किसी के इश्क़ में दिल को लुटाना अच्छा नहीं होता।
Phool gufran
इश्क़ में किसी मेहबूब की बाहों का सहारा हो गया ।
Phool gufran
वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
Phool gufran