Parth Sarthi Shukla 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read कुरुक्षेत्र (रण) शौर्य का वरदान का वो दीन का वो दान का वो मृत्यु का वो जान का शोणित का वो है शान का ये रण प्रतीक है मान का औरों के... Hindi · कविता 78 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read मृत्यु का भगवान कैलाश पे करता हूं निवास भूतों की टोली आस - पास मस्तक पे लगी हुई धूल है ये डमरू के संग त्रिशूल है ये शरीर है मेरा अधनंगा बहती जटाओं... Hindi · कविता 77 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read स्वप्न कुछ स्वप्नों को तुम देख देख देते जो मन से फेक फेक उस स्वप्न में तुमने जो देखा आंखों में रखो सेंक सेंक देखा उन वीर जवानों को देखा ध्वज... Hindi · कविता 82 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read ब्राह्मण ब्राह्मण हूं मैं हूं पार्थ शुक्ल एक बात तुम्हें बतलाता हूं ना हूं क्षत्रीय न शूद्र वैश्य क्यों ब्राह्मण मैं कहलाता हूं कि धर्म है यह वह सर्व पूज्य जिसको... Hindi · कविता 1 57 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read नृप नृप कौन है? जो राह चलते इस धारा को उस धरा से जोड़ दे जो लक्ष्य को भी ला समीप राह अपनी मोड़ दे जो शत्रु को लगा गले गुरुर... Hindi · कविता 90 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read कश्मीर कश्मीर हूँ मैं - बाधाओं का एक घेरा हूं, जलता हुआ अंधेरा हूं पृथ्वी पे स्वर्ग मैं साज हूँ, सुशोभित हिंद का ताज हूँ उन हिमगिरियों का डेरा हूँ, सब... Hindi · कविता 81 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read सनातन धर्म सनातन धर्म वैसे तो कहने को हम सब सीधे-साधे कहलाते हैं कट्टरता के नाम पर तो बस भगवा ही लहराते हैं अरे, समय तो आने दो तुम सब हम तुमको... Hindi · कविता 69 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read आत्मा नाम आत्मा - करता जो तू, खुद पे गुमान मुझ बिन तू बस, मुर्दा समान सर्व शक्तिमान हूँ मैं महान् हूँ तुझमे भी तू मुझको जान जन-जन में पूर्ण समाता... Hindi · कविता 52 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 2 min read लंकेश्वर लंकेश्वर यह बात रामायण के युद्ध के अंतिम चरण की है, जब रावण के तीर लगा है और रावण मूर्छित अवस्था में है... कि, अंत हुआ रामायण का जब भूसाई... Hindi · कविता 77 Share Parth Sarthi Shukla 31 Aug 2025 · 1 min read सम्भाल कर (पिता) सम्भाल कर (पिता) राह तेरी है कठिन बानो की सैया के समा चाहता तुझको करना विचलित पथ से सर यह जमा आएंगी उसे राह में विघ्ने आंख मूंद पार कर... Hindi · कविता 52 Share Parth Sarthi Shukla 30 Aug 2025 · 1 min read मंजिल मंजिल राह बताती कुछ दिशाओं मंद सी पवन हवाओं को लिए मैं संग मंजिल, ओर बढ़ता जा रहा । इक अनंत तन लिए अधर धारा सा मन लिए ओ' चक्षु... Hindi · कविता 77 Share Parth Sarthi Shukla 30 Aug 2025 · 2 min read कुरुक्षेत्र रण के पूर्व कुरुक्षेत्र (रण के पूर्व) है शत्रु जाने क्यों तत्पर अस्त्र शस्त्रों की नोकों पे न जाने क्यों यूं चाहता वो रंगना शोणित के झोंको से एक हुआ उदय वह सूर्य... कविता 60 Share Parth Sarthi Shukla 30 Aug 2025 · 1 min read छात्रावास मेरा नजरिया छात्रावास कि छात्रावास एक परिवार है, माता-पिता के समान मित्रों के द्वारा दिया गया प्यार है एक छोटा सा संसार है छात्रावास अपनों की जीत के लिए हार है छात्रावास... Hindi · कविता 1 96 Share Parth Sarthi Shukla 30 Aug 2025 · 1 min read कु पथ से पथ कु पथ से पथ शांत सा यूं बैठा क्यों मनुज तू राह छोड़ कर चला गया तू पथ से क्यों कु पथ को शीश मोड़कर तू उठ सही औ' चल... Hindi · कविता 1 83 Share Parth Sarthi Shukla 30 Aug 2025 · 1 min read तू एक प्रहार तू - एक प्रहार खड़ा रहे डटा वही जहां, शत्रु की बाहर हो वो जल का हो, वो थल का हो वो वायु का प्रहार हो जिगर हो तुझ में... Hindi · कविता 48 Share