Paras Nath Jha Tag: कविता 59 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Paras Nath Jha 19 Jun 2023 · 1 min read संदेह भरी निगाहें कहते हैं कि कई शताब्दी बीत जाते हैं जीवन के असली रंग ढ़ंग को बदलने में वर्त्तमान सामाजिक परिवेश को भी एक नये प्रकार के अलग ही रुप में ढ़लने... Hindi · कविता 1 99 Share Paras Nath Jha 17 Jun 2023 · 2 min read जयद्रथ बध चक्रब्यूह में फंसे अभिमन्यु को आज कायरों ने घेर कर था मारा इसके अतिरिक्त कौरवों के पास उन्हें रोकने का नहीं कोई था चारा इन सब बातों से अनभिज्ञ अर्जुन... Hindi · कविता 227 Share Paras Nath Jha 15 Jun 2023 · 1 min read संजीवनी लाने चला हनुमान कैसा विधान है ये कैसी माया है आज शोक भगवन पर ही छाया है भाई लक्ष्मण गोद में मूर्क्षित है पड़ा चिन्ता में भगवन का शरीर है गड़ा लक्ष्मण बिना... Hindi · कविता 158 Share Paras Nath Jha 15 Jun 2023 · 2 min read घर का छत कैसे भूल सकता उस पल को अब मैं सीखा था जब अपने पैरों पर चलना आपकी अंगुली पकड़ कर साथ साथ चलते चलते लड़ख़ड़ा कर फिसलना बचपन में जब कभी... Hindi · कविता 344 Share Paras Nath Jha 14 Jun 2023 · 2 min read चक्रब्यूह मन में कहीं भी कोई संशय क्यों हो जब दाव पर लगी है कुल की लाज विजय मिले रण में या मिले पराजय लड़ने से अब वह नहीं आएगा बाज... Hindi · कविता 2 267 Share Paras Nath Jha 13 Jun 2023 · 1 min read हॅंसना हँसना भी एक अनाेखी ही कला है यह सबके वश की बात कहाँ है कुछ तो बिना किसी मतलब के भी जाेर से ठहाका मार कर हँसता रहता पर कुछ... Hindi · कविता 92 Share Paras Nath Jha 13 Jun 2023 · 1 min read सेवानिवृत्ति भोर में सूरज की किरणों को देख के क्या तुम अब नींद से जाग पाओगे ऑफिस जाने की जल्दी में क्या कभी तुम घर से भूखे प्यासे ही भाग पाओगे... Hindi · कविता 241 Share Paras Nath Jha 13 Jun 2023 · 1 min read मातृभूमि निर्भीक वीर खड़ा रणभूमि में जान की ही बाजी लगाने को मातृभूमि के टुकड़े टुकड़े को वापस अपने घर में लाने को अकिंचन वह भयभीत कहाॅं है आज शीश अपना... Hindi · कविता 237 Share Paras Nath Jha 12 Jun 2023 · 2 min read द्रोपदी की पुकार राज सभा में घोर सन्नाटा छाया है तो क्या हुआ बात इतनी है कि युधिष्ठिर छल से हारा है जुआ द्रोपदी को कटु भाषा का मूल्य अब चुकाना होगा आज... Hindi · कविता 353 Share Previous Page 2