Paramita Sarangi 29 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read "शेष पृष्ठा उस दिन घडी थी पापा के हाथ में और वक्त था मेरे साथ पता नहीं कहाँ.... कैसे गुम गए वो घड़ी... और...वो वक्त कहीं में ठग तो नहीं गई ?... Poetry Writing Challenge 1 178 Share Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read इतिहास वह था एक जर्जर घर का , उपेक्षित कमरा इतिहास के किसी एक गर्वित दुर्ग में,जो सबसे उच्च होने के भ्रम में था मगर उसे पता नहीं था सहर में... Poetry Writing Challenge 2 193 Share Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read इंतजार सबके पास नहीं होता है विश्वास, क्रांति लाने का स्वीकार करो नहीं होता है लाभ बंजर जमीन में बिज डालने से हमेशा यह संभव नहीं है कि दोनों का मत... Poetry Writing Challenge 1 2 192 Share Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read "हम तुम बादलों के परे वो जो आशियाना है उसे हम दोनों ने तो पिरोया है नीले आसमान में अपने पंख फैलाए उड़ने वाला सूरज, अँजुरी में एक नई सुबह लिए मुस्कराहट... Poetry Writing Challenge 1 252 Share Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read "नया साल फिर एक तारीख़ ने करवट लिया थोडे से मोटे चश्मे के काँच में दीवार पर टंगे हुए आईने में मेरे माथे की लकीरें स्पष्ट दिख रहीं थीं ये वक्त भी... Poetry Writing Challenge 172 Share Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read तेवर मेरे एहसास को पढ़ो लफ़्ज़ों को नहीं कितनी लंबी खामोशी है ख्यालों में तुम हो फिर भी हालातों में तन्हाई है बिखर के बैठा हूँ समुद्र के किनारे सुना कुछ... Poetry Writing Challenge 265 Share Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read भारत के वीर ले जा.... तुझे लेना है सिर को मेरे ... कितनी बार शहिद होने के लिए, में तो आऊंगा बार-बार, गोलि खाई छाति में नौ महीने की गर्भवती स्त्री न मुझे... Poetry Writing Challenge 1 256 Share Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read तलाक़ तुम तीन बार बोल दिये तो क्या ? मुझे तो बोलना नहीं था न सुनने थे, वो तीन शब्द तीक्ष्ण कटार जैसे मगर तुमने बोल दिये कितनी सहजता से, सोने... Poetry Writing Challenge 1 101 Share Paramita Sarangi 12 Jun 2023 · 1 min read काश वो माँग रहा था कुछ हाथ फैला कर मुंह फेर लिया तुमने भी द्वितीय ईश्वर हो कर उलझ कर रह गई इच्छाएं रेशमी रिबन के साँप के जैसी उसके झोली... Poetry Writing Challenge 1 71 Share Paramita Sarangi 11 Jun 2023 · 1 min read अनकही वहाँ दीवारोँ पर कुछ ना कुछ लिखा था पसंद नापसंद करने को नहीं था विकल्प वहाँ अवसादों से घिरा यह उदास शहर किए जा रहा था समझौता उसकी नीरव भाषा... Poetry Writing Challenge 95 Share Paramita Sarangi 11 Jun 2023 · 1 min read खालीपन " अब मैं देख रही हूँ अनाथालय के साथ साथ वृध्दाश्रम की संख्या भी बढ़ रही है ग़रीबी में परिवार का महत्त्व था एक कमरे में दस लोग रहते थे... Poetry Writing Challenge 51 Share Paramita Sarangi 11 Jun 2023 · 1 min read "चलो तस्वीरें बनाए" जिंदगी जिंदगी को बुला रही थी मेरे भीतर के खालीपन में रात भी थोड़ी थोड़ी मेरी नींद को चुराने लगी थी तुम्हारे भीतर व्याप्त रहने की इच्छा जो अनदेखी थी... Poetry Writing Challenge 74 Share Paramita Sarangi 11 Jun 2023 · 1 min read आहूति सुनसान दोपहर में आहट पवन की पीछे मुड़कर देखा एक छाया, तुम्हारे स्मृति की केले के पेड़ के फटी हुई पन्नों से आधा छिपता, आधा दिखता गुम्बद मंदिर का चेष्टा... Poetry Writing Challenge 55 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read ईप्सित कोई 'अवसर' अगर रास्ता नहीं देता है तो तुम मुझे धक्का दे कर आगे निकल जाना किश्तों में अंकुरित हूँ मैं कुछ स्वप्न कुछ उम्मीद इन खिलौनों से आपने आपको... Poetry Writing Challenge 1 73 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read कविता निकम्मा मत बोलो मुझे खुद में ही उलझी हुई हूँ फिर भी , जितना चाहे ,खर्च करलो मुझे शब्द मेरे बात नहीं मानते सँवरने के लिए नाराज कर देते हैं... Poetry Writing Challenge · कविता 1 256 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read "जहाँ पहुँच नहीं सकते अनदेखे जहान में सपनों को समेटते समेटते अबूझ हो जाती है सुबह की कविता ठीक कोई परित्यक्त बासी खबर जैसी, मेरे मन में भी जगह नहीं होती है उसके लिए... Poetry Writing Challenge · जहां 202 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read बापू का भारत गोल गोल चश्मे में देखा था सपना किसी एक नये भारत का दिखाया था रास्ता लड़ने का, अहिंसा,प्रेम ,श्रम के अस्त्र से निःशस्त्र हो कर भी। कहां खो गए तुम... Poetry Writing Challenge · भारत 221 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read "नया साल फिर एक तारीख़ ने करवट लिया थोडे से मोटे चश्मे के काँच में दीवार पर टंगे हुए आईने में मेरे माथे की लकीरें स्पष्ट दिख रहीं थीं ये वक्त भी... Poetry Writing Challenge 247 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read "फिर से" तकिये के नीचे बिखरे हुए सपनों को समटते समटते पता नहीं कैसे कहाँ खो गई मेरी उम्र घने जंगल में, ढूँढ रही थी मैं और भाग रही थी उम्र मैं... Poetry Writing Challenge 157 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read आईना- २ हमेशा मेरे शब्दों पर सन्देह किया मेरे शब्दों से तुम्हें गंध आती थी गंगा जल में मैंने मुंह धो लिया साफ़ किया शब्दों को फिर भी तुम नहीं माने बोले,"आख़िरी... Poetry Writing Challenge · आईना · तुम · मैं 118 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read वापसी तुम ने बदल कर बिस्तर में डाल दिया था कुछ मुहूर्तों को उनमें से एक को पहन लिया तो बीत गये इंतजार के पल कोशिश तो कितनी की प्यार के... Poetry Writing Challenge · तारीख · वापसी · समाधान 134 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read माँ तेरे हाथों की सिकुड़ी हुई रेखाओं के बीच मेरे घर का नक़्शा छह कमरों से खींच दिया है तूने पतली सी पगडंडी को आंगन की तुलसी की ओर वहीं से... Poetry Writing Challenge · तुलसी · परछाई · माँ 219 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read हौसला सारी हिम्मतों को इकट्ठा कर उठ , मंजिल दूर है तो क्या राह पर रुकना नहीं ए वक्त क्या डराएगा हमें हमने तो अकेलेपन को पी लिया है मदिरा के... Poetry Writing Challenge · मशहूर · मौत · हौसला 147 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read परछाई झुक गई मतलब छोटी हो गई क्या? मेरे अभिमान की उम्र तो हिमालय की आयु से ज्यादा है। व्याकरण के सब नियमों का उल्लंघन कर , कविता लिख रही हूँ... Poetry Writing Challenge · परछाई · समक्ष · समय 1 281 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read "सर्द रात" बर्फ को ओढ कर बैठ गया है बूढ़ा हिमालय रात के ऊपर नींद का बोझ झरोखे के उस तरफ कोहरे की सफेद साड़ी लपेटे अँगड़ाई ले रही है सुबह ये... Poetry Writing Challenge · निरवता · सर्द रात · हिमालय 208 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read खजुराहो मेरे कंकाल में चिपकी है कविताओं की एक पुरानी पांडुलिपि जिस में मैंने लिखी है वृक्ष के केश में फँसे हुए तारों की कहानी ख्वाब और ख्वाहिशों में लड़खड़ाती वफाओं... Poetry Writing Challenge · इतिहास · खजुराहो · पांडुलिपि 163 Share Paramita Sarangi 21 May 2023 · 1 min read "शेष पृष्ठा "शेष पृष्ठा" पारमिता षड़गीं उस दिन घडी थी पापा के हाथ में और वक्त था मेरे साथ पता नहीं कहाँ.... कैसे गुम गए वो घड़ी... और...वो वक्त कहीं में ठग... Hindi · कविता 227 Share Paramita Sarangi 21 May 2023 · 1 min read खजुराहो शीर्षक" खजुराहो" मेरे कंकाल में चिपकी है कविताओं की एक पुरानी पांडुलिपि जिस में मैंने लिखी है वृक्ष के केश में फँसे हुए तारों की कहानी ख्वाब और ख्वाहिशों में... Hindi · कविता · नारी वाद 217 Share Paramita Sarangi 20 Dec 2020 · 1 min read तन्हा शाम "तन्हा शाम" ये कैसा भुताणु है, जिस से हर सुबह डरी हुई है हर शाम तनहा है सोता देह मेरा इस घर में आत्मा तो दुसरे सहर में है ये... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 14 32 883 Share