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बादलों की, ओ.. काली..! घटाएं सुनो।
पंकज परिंदा
रफ़ता रफ़ता न मुझको सता ज़िन्दगी.!
पंकज परिंदा
ग़ज़ल गीत तन्हा......., ही गाने लगेंगे।
पंकज परिंदा
जो थे क्रिमिनल..., देख परिंदे,
पंकज परिंदा
समंदर में कोई हलचल नहीं है,
पंकज परिंदा
बाल दिवस स्पेशल... भज गोविंदम भज गोपालम्
पंकज परिंदा
नफ़रतें बेहिसाब आने दो।
पंकज परिंदा
यूँ ही आना जाना है,
पंकज परिंदा
आपस में क्यों बैर परिंदे।
पंकज परिंदा
थक चुका हूँ बहुत अब.., संभालो न माँ,
पंकज परिंदा
अगर तू दर्द सबका जान लेगा।
पंकज परिंदा
ग़म हमें सब भुलाने पड़े।
पंकज परिंदा
नज़र से क्यों कोई घायल नहीं है...?
पंकज परिंदा
कुछ तो स्पेशल देख परिंदे।
पंकज परिंदा
देश की अखण्डता
पंकज परिंदा
नफ़रतों के जो शोले........,भड़कने लगे
पंकज परिंदा
गर्द अपनी ये ख़ुद से हटा आइने।
पंकज परिंदा
वो सितारे फ़लक पर सजाती रही।
पंकज परिंदा
नाहक को।
पंकज परिंदा
सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.?
पंकज परिंदा
थे जो आलमगीर परिंदे।
पंकज परिंदा
आजकल तो हुई है सयानी ग़ज़ल,
पंकज परिंदा
गांव में जब हम पुराने घर गये,
पंकज परिंदा
झूठे परदे जो हम हटाने लगे,
पंकज परिंदा
रुख़ से परदा हटाना मजा आ गया।
पंकज परिंदा
गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका।
पंकज परिंदा
मैं मासूम "परिंदा" हूँ..!!
पंकज परिंदा
वो प्यासा इक पनघट देखा..!!
पंकज परिंदा
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
पंकज परिंदा
ओ आदम! तू चल आहिस्ता।
पंकज परिंदा
मौत का पैग़ाम होकर रह गई,
पंकज परिंदा
पर्वत, दरिया, पार करूँगा..!
पंकज परिंदा
मोहब्बत में ग़र बेज़ुबानी रहेगी..!
पंकज परिंदा
हुनर का ग़र समंदर है..!
पंकज परिंदा
चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू,
पंकज परिंदा
हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.??
पंकज परिंदा
विश्व धरोहर हैं ये बालक,
पंकज परिंदा
चाहे हो शह मात परिंदे..!
पंकज परिंदा
बेघर एक "परिंदा" है..!
पंकज परिंदा
मौसम है मस्ताना, कह दूं।
पंकज परिंदा
रतन टाटा जी..!!
पंकज परिंदा
डर डर जीना बंद परिंदे..!
पंकज परिंदा
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
पंकज परिंदा
नफ़रतों में घुल रही ये जिंदगी है..!
पंकज परिंदा
बिटिया मेरी सोन चिरैया…!
पंकज परिंदा
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
पंकज परिंदा
बग़ावत की लहर कैसे.?
पंकज परिंदा
लुट गया है मक़ान किश्तों में।
पंकज परिंदा
जिस दिल में ईमान नहीं है,
पंकज परिंदा
इतना आसां नहीं ख़ुदा होना..!
पंकज परिंदा