पंकज परिंदा Language: Hindi 138 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next पंकज परिंदा 3 Oct 2024 · 1 min read रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब। रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब। मुझको मुझसे जरा मिला दे अब। ज़ख्म भरने लगे हैं सब मेरे, भर के मुट्टी नमक लगा दे अब। आशियां ख़ाक हो रहा... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 56 Share पंकज परिंदा 2 Oct 2024 · 1 min read बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..? बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..? हर कोई अज़नबी, कहाँ जाऊँ..? ख़्वाहिशें थीं कभी जो इस दिल में, कर चुकीं ख़ुदकुशी कहाँ जाऊँ.? चाँद से मुँह यूं मोड़ भी.., लूँ तो.!... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 47 Share पंकज परिंदा 2 Oct 2024 · 1 min read चाँद यूँ ही नहीं छुपा होगा। चाँद यूँ ही नहीं छुपा होगा। चांदनी ने ही कुछ कहा होगा। वो परेशां सी है की क्या होगा, जब मेरा उस से सामना होगा। आजकल मुस्कुरा रहा है वो,... Hindi · ग़ज़ल 2 49 Share पंकज परिंदा 30 Sep 2024 · 1 min read म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को, म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को, है गुज़ारिश बख्श दो तक़दीर को.! एक हद तक, ही रहीं बस, जुम्बिशें, कब तलक शर्म ओ हया की बंदिशें, जुल्म कर मुझ... Hindi · गीत 49 Share पंकज परिंदा 29 Sep 2024 · 1 min read मस्अला क्या है, ये लड़ाई क्यूँ.? मस्अला क्या है, ये लड़ाई क्यूँ.? आज आंगन में चारपाई क्यूँ.. .? छोड़ जाना था रास्ते में तो, आग पानी में फिर लगाई क्यूँ.? दौरे हाज़िर का फ़लसफ़ा कैसा, कर... Hindi · ग़ज़ल 46 Share पंकज परिंदा 29 Sep 2024 · 1 min read क्यों मूँछों पर ताव परिंदे.! क्यों मूँछों पर ताव परिंदे.! दो कौड़ी का भाव परिंदे..! राज़ खुले जब हाकिम के तो, मार पड़ी बेभाव परिंदे..! था अंधों में काना राजा, ले डूबा वो नाव परिंदे.!... Hindi · ग़ज़ल 57 Share पंकज परिंदा 29 Sep 2024 · 1 min read ज्ञान रहे सब पेल परिंदे, ज्ञान रहे सब पेल परिंदे, होती है फिर जेल परिंदे। सच है इक दिन हारेगा तू, जीवन का यह खेल परिंदे। भूखे नंगों से, है ज़्यादा, आवश्यक राफेल परिंदे। सच... Hindi · ग़ज़ल 1 57 Share पंकज परिंदा 29 Sep 2024 · 1 min read इन हवाओं को न जाने क्या हुआ। इन हवाओं को न जाने क्या हुआ। आजकल कुछ रुख़ है बदला सा हुआ। वक़्त ने समझा दिया सब कुछ उसे, कल तलक जो शख़्स था पहुंचा हुआ। कब मुकम्मल... Hindi · ग़ज़ल 56 Share पंकज परिंदा 28 Sep 2024 · 1 min read बहता जल कल कल कल...! बहता जल, कल कल कल। प्रश्न कठिन, मुश्किल हल। कीचड़ में, देख कमल। पांव बचा, है दलदल। आँख लड़ी, तो हलचल। रोज नहा, तन मल मल। खींच लहू, है निर्बल।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 37 Share पंकज परिंदा 27 Sep 2024 · 1 min read हाल हुआ बेहाल परिदे..! हाल हुआ बेहाल परिदे, जीवन है जंजाल परिंदे। जितने काले चिट्ठे उसकी, उतनी मोटी खाल परिंदे। भर भर आंसू रोता फिरता, लगता है घड़ियाल परिंदे। माँ ने डाँट दिया थोड़ा... Hindi · ग़ज़ल 50 Share पंकज परिंदा 27 Sep 2024 · 1 min read जन्म जला सा हूँ शायद..!! 🌻🌻 ग़ज़ल 🌻🌻 जन्म जला सा हूँ शायद, इक़ अंधियारा हूँ शायद। डग मग जीवन की नैया, दूर किनारा हूँ शायद। बर्तन खाली हैं यारो, वक़्त का मारा हूँ शायद।... Hindi · ग़ज़ल 46 Share पंकज परिंदा 27 Sep 2024 · 1 min read बाहर मीठे बोल परिंदे..! बाहर मीठे बोल परिंदे, मन के अंदर झोल परिंदे। दुनिया में जीना है तुझको, मुख में मिश्री घोल परिंदे। कहना है जो, उसको पहले, हिय के भीतर तोल परिंदे। रिश्वत... Hindi · ग़ज़ल 50 Share पंकज परिंदा 27 Sep 2024 · 1 min read जीवन...!! एक उलझी किताब है जीवन। हाँ... मग़र लाज़वाब है जीवन। है उफनता हुआ सा इक दरिया, या छलकती शराब है जीवन। मुश्किलों से न तोड़ रिश्ता यूँ, बस इन्हीं का... Hindi · ग़ज़ल 1 2 39 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां, जब कभी भी मुस्कुरातीं बेटियां। खुशनुमा माहौल होता हर तरफ, प्यार से जब खिलखिलाती बेटियां। हो जरूरत रोशनी की ग़र कहीं, चाँद तारे तोड़ लातीं... Hindi · ग़ज़ल 63 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read इश्क़ में क्या अज़ाब है साहिब, इश्क़ में क्या अज़ाब है साहिब, दे दो जो भी जवाब है साहिब। आँख मिलते ही चढ़ गया नश्शा, लग रही वो शराब है साहिब। चाँद कह तो दिया तुम्हें... Hindi · ग़ज़ल 51 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read ज़ख्म फूलों से खा के बैठे हैं..! ज़ख्म फूलों से खा के बैठे हैं, इश्क़ में सब लुटा के बैठे हैं। बैर इन आँधियों से क्यूं आख़िर, आशियां खुद जला के बैठे हैं। अब न हों हादसे... Hindi · ग़ज़ल 41 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read राधा/किशोर छंद...! हमने सब कर डाला तर्पण, श्री राधे, आज दिखाया उसने दर्पण, श्री राधे, क्षुदा शांत तो करता ऊपर वाला है, तेरा सब कुछ तुझको अर्पण, श्री राधे। पंकज शर्मा परिंदा Hindi · मुक्तक 37 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read प्रिये..!! जीवनरूपी जटिल वृत्त का, तुम अविचल सा केंद्र प्रिये...! सुख दुःख के कोणों की ज्ञाता, तुम हो मेरी चन्द्र प्रिये...! जीवा रूपी हर संकट को, काटा त्रिज्या बन तुमने...! प्रेम... Hindi · कविता 47 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..! देखें खाब सुनहरे कब तक..? हाकिम अपने बहरे कब तक..? सब्र यहाँ अब रखना मुश्किल, बहता दरिया ठहरे कब तक.? मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है, ख़ौफ़ज़दा से चहरे कब तक.?... Hindi · ग़ज़ल 39 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read जोर लगा के हइसा..! सुन बाप बडौ ना भइसा। अब सबसे ऊपर पइसा। है जाके मन में जइसा, तो वाकौ होगौ तइसा। ओ री भौजिन.! हाँ लल्लू, जरा हाल बताओ कइसा। गर जीवन हो... Hindi · कविता 28 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read बिन मौसम.., बरसे हम। बिन मौसम। बरसे हम। झोली में, ढेरों गम। मेरी सुन, ओ हमदम। मत कर तू, आंखें नम। ज़ख्मों पर, कर मरहम। डूबे तब, पानी कम। तेरी तो, एटम बम। मेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 35 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!! लहज़ा रख कर नर्म परिंदे, करता रह निज कर्म परिंदे। झूठों की महफ़िल में देखी, सच को लगती शर्म परिंदे। मोड़ जरा सा घुटनों को फिर, ओढ़ रजाई गर्म परिंदे।... Hindi · ग़ज़ल 49 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read सोना बन..., रे आलू..! मत बन तू, अब बुद्धू..! सीधा कर, बस उल्लू..! एम कहूँ, या डब्ल्यू.! बन बैठा, दल बदलू.! सोना बन, रे आलू..! जादूगर, है पप्पू..! तांडव कर, बिन डमरू..! प्याली में,... Hindi · ग़ज़ल 66 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read एक उलझी किताब है जीवन एक उलझी किताब है जीवन। हाँ.. मग़र लाज़वाब है जीवन। है उफनता हुआ सा इक दरिया, या छलकती शराब है जीवन। मुश्किलों से न तोड़ रिश्ता यूँ, बस इन्हीं का... Hindi · ग़ज़ल 31 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read यूँ न फेंको गुलाल.. रहने दो.! यूँ न फेंको गुलाल.. रहने दो.! बे-बजह का बवाल., रहने दो..! मुझको बेघर न कर., ख़ुदा मेरे, सबको होगा मलाल, रहने दो..! आशियाँ ख़ाक हो गये, जिनके, वो करेंगे कमाल.....!... Hindi · ग़ज़ल 40 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read जब जब हमको याद करोगे..! जब जब हमको याद करोगे, रोओगे फ़रियाद करोगे। ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ कैद़ रहे इन आँखों में जो, अश्क़ों को आजाद करोगे। ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ ख़ाक हुई ग़र बस्ती दिल की, कैसे फिर आबाद करोगे।... Hindi · ग़ज़ल 32 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read मैं बेबस सा एक "परिंदा" जिस दिल में ईमान नहीं है कुछ भी हो इंसान नहीं है। नामाक़ूल रहोगे, जब तक नीयत में पैमान नहीं है। क्या लाये जो खोया तुमने शायद गीता ज्ञान नहीं... Hindi · ग़ज़ल 42 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read श्रृगार छंद - मात्रिक श्रृगार छंद - मात्रिक दया ही ईश्वर का आधार, करो सब पापों का प्रतिकार। बैर सब जाओ मित्रो भूल, उड़ा दो प्रेम रतन की धूल। करो मत मानवता को खण्ड,... Hindi · कविता 21 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read हर मुश्किल का हल निकलेगा..! आज नहीं तो कल निकलेगा। हर मुश्किल का हल निकलेगा। ठान लिया गर मन में अपने, मरुथल से भी जल निकलेगा। अधजल गगरी छलकत जिनकी, उनका सूरज ढल निकलेगा। नेकी... Hindi · ग़ज़ल 1 26 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read आजकल कुछ सुधार है प्यारे..? आजकल कुछ सुधार है प्यारे..? या वही तेज धार है प्यारे.? कौन जाने कि कब, कहाँ कैसे..? कौन किसका शिकार है प्यारे...? तैरने का नहीं हुनर जिसको, वो भी दरिया... Hindi · ग़ज़ल 34 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read बग़ावत की लहर कैसे..? बग़ावत की लहर कैसे..? उठी आख़िर नज़र कैसे..? कहाँ कब और, किधर कैसे..? मचा है ये ग़दर, कैसे..? बड़ी ज़ालिम ये दुनिया है यहाँ अब हो गुज़र कैसे..? मुझे मत... Hindi · ग़ज़ल 27 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर। जीर्ण देह स्वर कम्पित लेकिन मन मंदिर में राम संजोये बाट जोहती शबरी लेकर, झोली में कुछ बेर! अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर। स्वर्णिम लंका यश... Hindi · गीत 31 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read "माँ" सम्पूर्ण विज्ञान परमाणु है पदार्थ की मूलभूत इकाई मगर उसके होने का श्रेय जाता है तीन मौलिक कणों इलेक्ट्राॅन प्रोटाॅन और न्यूट्रोन को सुना है इलेक्ट्राॅन चलायमान है नाभिक के चारों ओर... Hindi · कविता 19 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read "वक़्त की मार" मैं मिलकर आया हूँ उन हुक़्मरानों से जो वक़्त को तरज़ीह नहीं देते वे कहा करते थे अक्सर कि वक़्त खूँटी से बँधी जाग़ीर है उनकी मग़र आज वो कर... Hindi · कविता 28 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read शून्य सा अवशेष मैं....! इन शून्य विहीन आँखों से जब निहारता में शून्य को, तो शून्य सा अवशेष मैं भटक रहा हूँ शून्य में, इंसान भी निज स्वार्थ में हो गया अब शून्य है,... Hindi · कविता 27 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read भगवन तेरे भारत में ये, कैसी विपदा आई है....! "ताटंक छंद" हैं आतंकी कीड़े देखो, रोज रात को निकल रहे, टुकड़े टुकड़े कर के देखो, कैसे सबको निगल रहे, दहशतगर्दी फैल रही है, भारत माँ के सीने पर, खुलेआम... Hindi · कविता 18 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read कुण्डलियाँ छंद खून पसीना सींचकर, रहा अन्न उपजाय पोषण सबका कर रहा, रूखा सूखा खाय रूखा सूखा खाय, कि पीता नयनम नीरम नेता माल उड़ाय, रखें अब कब तक धीरम कहे भारती... Hindi · कुण्डलिया 39 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read कुण्डलियाँ छंद लेकर कलम दवात अरु, संग साँच कौ साथ। लिखूँ कुण्डली छंद अब, रखो आप सर हाथ।। रखो आप सर हाथ, नयी नित कविता लाऊँ। दे दो सुर अरु साज, गीत... Hindi · कुण्डलिया 29 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read कुछ अश्आर... न मंदिर में न मस्जिद में, न काबा में न काशी में, खुदा से है अगर मिलना, मिलो माँ बाप से साहिब।। करो मत जुर्म तुम ऐसे, पड़े नजरें झुकानी... Hindi · शेर 34 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read गर्दिशों में हैं सितारे.....!! जान लेती है कसम से ये नज़ाकत प्यार की खेलना जुल्फों से' तेरा है कयामत प्यार की।। हो रहे मदहोश सब क्यूँ देखकर आवो-हवा, ग़ौर कर मगरूर इंसा है शरारत... Hindi · ग़ज़ल 26 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read सर्द पूनम का मुझे सपना सुहाना याद है...! सर्द पूनम का मुझे सपना सुहाना याद है, माँ.., कहानी और लोरी, सब सुनाना याद है। रोज आते हैं फरिश्ते, नींद के आगोश में, इस तरह कहना तुम्हारा, था बहाना... Hindi · ग़ज़ल 40 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read हम अकेले अनमने से हो गये.....!! हम अकेले अनमने से हो गये, धुंध में सब ख़्वाब जैसे खो गये। बोलियाँ जब लग रहीं थीं हुस्न की, देख मंजर आशिकी का रो गये। नींद में सब सो... Hindi · ग़ज़ल 57 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..? आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?? चाँदनी का नूर मद्धिम हो रहा है क्यूँ भला..?? धूल की परतें जमी हैं आदमी की सोच पर नफ़रतों की फस्ल... Hindi · ग़ज़ल 48 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read वंदना दुर्मिल सवैया करता नित वंदन शारद का, पद पंकज रोज पखार रहा। न गुमान रहे अभिमान रहे, धन दौलत आज निसार रहा। यह जीवन सार बने बगिया, उर को दिन... Hindi · कविता 55 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read आदमी ** प्रमाणिका छंद ** अभी अभी पता चला कि आदमी बड़ी बला। न तौलता जुबां कभी न सोचता भला कभी। कि नीचता दिखा रहा कि द्वेष गीत गा रहा। बड़ी... Hindi · कविता 54 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read आग जो रूह को जलाती है... आग जो रूह को जलाती है, कम्बख़त हुस्न से ही' आती है। आज महफ़िल बता रही हमको, क्यों ये' शम्मा जलाई' जाती है। मय बड़ी चीज़ है कहो कैसे, सब... Hindi · ग़ज़ल 50 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read मुक्तक गुरू ब्रह्म कौ सार है, रहे वेद बतलाय। खान कबीरा कह गये, गुरु गोविंद कहाय। हर संकट की राह के, बनते खेवनहार। ब्रह्म ज्ञान को पा रहे, जो नित शीश... Hindi · मुक्तक 52 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read मुक्तक यक़ीनन ख़ुदा का सहारा बहुत है। तुम्हें खूबियों से संवारा बहुत है। फ़रिश्तों ने देखा तो सजदा किया तब, लगा खूबसूरत नज़ारा बहुत है। Hindi · मुक्तक 50 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read मुक्तक अब न चिंगारियों को हवा दीजिए। आग नफ़रत की यारो बुझा दीजिए। बैर दिल से मिटाकर रहो साथ सब, जान अपनी वतन पर लुटा दीजिए। Hindi · मुक्तक 56 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read मुक्तक यकीं कैसे करोगे तुम, मेरा मैं खुद को समझाऊँ, निगाहें भर के देखोगे, जो दिल मैं चीर दिखलाऊँ, जमाना तो हमेशा से, रहा करता बगावत है, समय तू ही बता... Hindi · मुक्तक 63 Share Previous Page 2 Next