पंकज परिंदा Tag: गीत 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पंकज परिंदा 14 Nov 2024 · 2 min read बाल दिवस स्पेशल... भज गोविंदम भज गोपालम् (बच्चों के प्रश्न) रोज नयी है एक प्राॅब्लम। भेजे के सब खाली काॅलम। कोई न पूछे हालम चालम। भज गोविंदम् भज गोपालम्। कंधों पर है बस्ता भारी, ये मजबूरी या... Hindi · गीत 1 24 Share पंकज परिंदा 13 Oct 2024 · 1 min read विश्व धरोहर हैं ये बालक, विश्व धरोहर हैं ये बालक, इनका ताज बुलंद करो। शिक्षित करना हर बच्चे को, धर्म यही स्वच्छंद करो।। राष्ट्र नींव हैं ये कहलाते, श्रम इनसे करवाते क्यों। करते जो पथभ्रष्ट... Hindi · गीत 32 Share पंकज परिंदा 30 Sep 2024 · 1 min read म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को, म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को, है गुज़ारिश बख्श दो तक़दीर को.! एक हद तक, ही रहीं बस, जुम्बिशें, कब तलक शर्म ओ हया की बंदिशें, जुल्म कर मुझ... Hindi · गीत 49 Share पंकज परिंदा 25 Sep 2024 · 1 min read अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर। जीर्ण देह स्वर कम्पित लेकिन मन मंदिर में राम संजोये बाट जोहती शबरी लेकर, झोली में कुछ बेर! अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर। स्वर्णिम लंका यश... Hindi · गीत 31 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..!! सजल हुए क्यों नयन प्रकृति के, अन्तस् पे घाव घनेरे! क्षम्य कहूँ मानव को कैसे...? कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..!! फल को फल ही रहने देते, क्यों विस्फोटक रख डाला...?... Hindi · गीत 55 Share पंकज परिंदा 16 Apr 2022 · 1 min read सम्भव कैसे मेल सखी...? पेड़ों का आलिंगन करती, लिपट रही है बेल सखी बाट निहारूँ प्रियवर की मैं, सम्भव कैसे मेल सखी। धरणी ने श्रृंगार धरा है, पादप की हरियाली से, रश्मि प्रभाकर मानो... Hindi · गीत 403 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read है गुज़ारिश बख्श दो तक़दीर को..! म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को, है गुज़ारिश बख्श दो तक़दीर को..! एक हद तक, ही रहीं बस, जुम्बिशें, कब तलक शर्म ओ हया की बंदिशें ज़ुल्म कर मुझ... Hindi · गीत 162 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read छोड़ अलस मन चंचल..! छोड़ अलस मन चंचल, चल उठजा रे..! घन, घन-घन घन-घन बरसेगा, मरुथल भी सोना उगलेगा, हर गली मुहल्ले चौबारे, घर आंगन फिर से महकेगा, बस धीर धरो गम्भीर बनो, फल... Hindi · गीत 189 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..! सजल हुए क्यों नयन प्रकृति के, क्यों उर पे घाव घनेरे! क्षम्य कहूँ मानव को कैसे...? कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..!! फल को फल ही रहने देते, क्यों विस्फोटक रख... Hindi · गीत 147 Share