Pallavi Mishra 59 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Pallavi Mishra 22 May 2023 · 5 min read दोस्ती और विश्वास प्रशांत और विजय बचपन से गहरे मित्र थे। वे दोनों स्कूल में साथ साथ पढ़ते थे। कक्षा में दोनों ही अच्छे विद्यार्थी थे और पढ़ाई लिखाई में हमेशा एक दूसरे... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता · कहानी · दोस्ती · प्रतियोगिता · विश्वास · साहित्यपीडिया 5 7 384 Share Pallavi Mishra 9 Jun 2022 · 1 min read ऐसे होते हैं पापा बच्चों में जो घुल मिल जाएँ; तोहफ़े लाएँ, सैर कराएँ; समझाएँ, कभी डाँट लगाएँ; ज्ञान की बातें भी बतलाएँ; किस ने उनके प्यार को मापा? ऐसे होते हैं पापा.............. हर... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 1 1 197 Share Pallavi Mishra 9 Jun 2022 · 1 min read दायरा यह सच है पिता ने प्रसव वेदना नहीं सही है लेकिन क्या उसके अंदर अपनी संतान के लिए अतुलनीय संवेदना नहीं रही है? अपनी संतान को समाज का/ देश का/... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 237 Share Pallavi Mishra 9 Jun 2022 · 1 min read पिता जब औलाद का कद पिता के बराबर हो जाता है - वह अपनी उपलब्धियों पर इतराता है - और पिता के कुर्बानियों को भूल जाता है - उल्टे पिता से... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 2 2 290 Share Pallavi Mishra 2 Jan 2022 · 1 min read अलविदा 2021 उन्नीस गया फिर बीस गया, अब इक्कीस की बारी है साल नया आने को है पर जश्न मनाना भारी है बाइस का भी स्वागत सबको घर में रह के करना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 302 Share Pallavi Mishra 21 Jul 2021 · 11 min read बंटवारा "अम्मांजी जी नहीं रहीं"- जब एक हफ्ता पहले मुझे अपनी सास के निधन का यह अप्रिय समाचार सुनाया गया तो सहसा मेरे कानों को यकीन ही नहीं हुआ। मन बेहद... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 929 Share Pallavi Mishra 21 Jun 2021 · 2 min read पिता "पिता" ***** पिता होते हैं परिवार की धूरी - जिनके बिना रहती है बच्चों की दुनिया अधूरी - यह सच है मां अतुल्य कष्ट सहकर संतान को जन्म देती है... Hindi · कविता 4 4 349 Share Pallavi Mishra 6 Feb 2021 · 1 min read ...याद है अपनी गलती मान कर मुझ को मनाना याद है मान जाऊँ मैं तो तेरा रूठ जाना याद है हाथ थामे चाँदनी में चलते जाना याद है तुम बताओ क्या तुम्हें... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 51 795 Share Pallavi Mishra 22 Dec 2020 · 1 min read कोरोना (ग़ज़ल) रब के दर पे सर झुका कर देख लूँ सबके हक़ में मैं दुआ कर देख लूँ इस वबा ने क़ैद घर में कर दिया अब परिंदों को रिहा कर... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 36 78 1k Share Previous Page 2