Omendra Shukla Language: Hindi 60 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read “||अधूरा इश्क़ 2 ||” “क्यूँ ख़ामोशी सी छा जाती है क्यूँ तनहा सा हो जाता हूँ कभी प्यार में पागल होता हूँ तो कभी पागल प्रेमी हो जाता हूँ , देख तुझे तस्वीरों में... Hindi · कविता 389 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||तनहा मौसम और तुम || “काश |तुम्हे भुलाना आसान होता तेरी यादों को मिटाना आसान होता ना होती फिर तकलीफ कभी जो तन्हाई को निभाना आसान होता , ना करते हम प्यार कभी जो दिल... Hindi · कविता 2 1 458 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||प्यार की आशा|| “महका करते थे गुलसन में जो फूल कभी अरमानों के रूठे है वो आज खुदी तेरे नापाक बयानों से , टुटा है हर जर्रा अब तो तेरे इश्क की दीवारों... Hindi · कविता 399 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read ||अधूरा इश्क || “ना दूर जा ऐे मुसाफिर तू छोडके मुझे तन्हा अकेला मै रह जाऊंगा बिछडके फिर तुझसे कैसे तेरी यादों में मै जी पाउँगा होगा बदनाम हर जर्रा मोहब्बत का तस्वीरों... Hindi · कविता 315 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read || तन्हाई || ” दर्द छिपा है तन्हाई में लोग समझ ये पाये ना है आखों को अभी-भी इंतजार उनका लोग समझ ये पाये ना, बहे बेशक आंसू उनके पर आँखे उनमे मेरी... Hindi · कविता 279 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read दर-बदर भटकता जुस्तजू में तेरी दर-बदर भटकता जुस्तजू में तेरी की खुद की तन्हाईयों में हूँ गुमशुदा करके ऐतबार तेरी मोहब्बत का खुद के मुकद्दर से हो गया हूँ जुदा, अब तो रूह भी छोड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 260 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read आज फिर से गर्दिशों का आलम है आज फिर से गर्दिशों का आलम है वक़्त की तन्हाई में जिंदगी का आज फिर मातम है उठ रहे बेशुमार हाथ आज दुवाओं में कल तक जो थे इस रूह... Hindi · कविता 199 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read गुजर रहा देश अन्याय की ताफ्तिशों से गुजर रहा देश अन्याय की ताफ्तिशों से लूटता,खसोटता हर कोई अपने ही तरीको से इंसाफ दिला पाउँगा जिस दिन इसे मै तब जाके सफल जीवन मेरा होगा | भूख से... Hindi · कविता 472 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read अपने ही सपनो के नवाब बन बैठे थे कभी अपने ही सपनो के नवाब बन बैठे थे कभी ख्वाव्बों का एक बाग़ बून बैठे थे कभी गफलत हुई इन निगाहो का जाम बून बैठे थे कभी, अश्को को कुछ... Hindi · कविता 556 Share Omendra Shukla 12 Jan 2017 · 1 min read टूटे दिल नहीं जुड़ते टूटे धागे जुड़ जाते है पर टूटे दिल नहीं जुड़ते टूटे धागे जुड़ जाते है पर टूटे दिल नहीं जुड़ते साज वफ़ा के मिल जाते है पर टूटे साज नहीं... Hindi · कविता 612 Share Previous Page 2