NIYAZ AHMAD (नियाज़ कपिलवस्तुवी) 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid NIYAZ AHMAD (नियाज़ कपिलवस्तुवी) 1 May 2018 · 1 min read मज़दूर एक दो क्या सौ ग़मों से चूर हूं ज़िन्दगी के हर मज़े से दूर हूं। रोज़ी-रोटी के लिए बाज़ार में रोज़ बिकने के लिए मजबूर हूं। नाम कमला हो,कमल हो... Hindi · मुक्तक 258 Share NIYAZ AHMAD (नियाज़ कपिलवस्तुवी) 16 Apr 2018 · 1 min read जूते चक्कर पे चक्कर लगवाते हैं अफ़सर यूं दफ़्तर के आते-जाते घिस जाते हैं जूते हर फ़रियादी के। काम बड़े से बड़ा हो कोई, चुटकी में हो सकता है मुंह पे... Hindi · कविता 293 Share