Neeraj Chauhan 65 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Neeraj Chauhan 25 May 2018 · 3 min read बाबाओं का भंडाफोड़ (डर रहित भक्ति की ओर) पापाजी कथा देख रहे थे। बोले ये कथावाचक तो जबरदस्त है। टीवी स्क्रीन पर फ़्लैश हो रहे नंबर पर कॉल लगाया। बोले जी कथा करवानी है कितना खर्चा आ जायेगा।... Hindi · लेख 1 4 609 Share Neeraj Chauhan 13 May 2018 · 1 min read प्रलय की चेतावनी! बांध देना आता है मुझे समंदर तुम्हारे लिए, तुम तूफानों से डरते हो? फूंक देनी आती हैं माँसल लोथड़े में जान तुम अकालमृत्त्यु से डरते हो? आड सा खड़ा हूँ... Hindi · कविता 2 3 798 Share Neeraj Chauhan 5 Mar 2018 · 2 min read भूल गए ! भूल गए वो छप्पर टाट जब से हो गए सत्तर ठाट भूल गए वो प्यार की बाते पा वाट्सअप फेसबुक सौगाते! भूल गए वो माँ का आँचल साथ बैठकर बीते... Hindi · कविता 1 1 684 Share Neeraj Chauhan 8 Nov 2017 · 1 min read मुझे ना पीना मैं निःसार हूँ! मुझे ना पीना मैं निःसार हूँ मैं काटों का कंठाहार हूँ हर अभाव हर क्षत-विक्षत का मैं चिंता का सूत्रधार हूँ मुझे ना पीना मैं निःसार हूँ... कुछ करने की... Hindi · कविता 1 1 782 Share Neeraj Chauhan 21 Sep 2017 · 2 min read अपनों की चोट! (रोहिंग्या पर आधारित) धराशाही हो गयी थी तुम्हारी वसुधैव कुटुम्बकम की धारणा जब फ़ाको में काट दिया गया था तुम्हारी उस दरियादिली को जो शरणागति की तुम्हारी शास्त्रसम्मत और मूढ़ मान्यताओं से उपजी... Hindi · कविता 618 Share Neeraj Chauhan 2 Sep 2017 · 1 min read कुर्बानी! ये कैसा त्यौहार? धर्म के नाम पर, मासूमों की गर्दनों पर वार। ये कैसा त्यौहार? जहाँ सब गलत है सही, कुर्बानी के नाम पर ख़ून की नदी बही। ये कैसा... Hindi · कविता 567 Share Neeraj Chauhan 1 Sep 2017 · 1 min read संकट और तरबूज़ तरबूज़ से हम; संकटों के चाकुओं से लोहा लेते बार बार.. परिस्थितियों की अलग-अलग धारों से लहूलुहान होते, बार बार प्रजातीय सोच के उसी नक़्शे कदम पर कि, तरबूज़ चाकू... Hindi · कविता 395 Share Neeraj Chauhan 22 Aug 2017 · 1 min read माँ तुम मरी नहीं .. . तुम्हारा हाथ मुझसे क्या छूटा, मानों विधाता मुझसे रूठा बाढ़ की विकराल लहरों ने तुम्हे लील लिया माँ! मेरा खून सूखता रहा जैसे रब रूठता रहा मैं छला सा देखता... Hindi · कविता 925 Share Neeraj Chauhan 16 Aug 2017 · 1 min read भगवान 'को' मानते हैं, भगवान 'की' नहीं। अपने हिसाब से हम भगवान का चुनाव करते है। फिर वो हमारे हो जाते हैं, हमारे ही शब्दों में। हम भगवान् को अपने हृदय से लगाने की बात कहते हैं।... Hindi · लेख 844 Share Neeraj Chauhan 14 Aug 2017 · 1 min read ये मथुरा की धरती हैं साहब ! ये मथुरा की धरती हैं साहब! जीवित हैं यहाँ कृष्ण की कहानियाँ, जीवित हैं यहाँ राधा की निशानियाँ यशोदा की जुबानियां, माखनचोर की शैतानियां जीवित हैं यहाँ यमुना की लहरें,... Hindi · कविता 806 Share Neeraj Chauhan 12 Aug 2017 · 1 min read स्याह दीवारें ! अपनी धरती के क्षितिज से कही भी देखता हूँ, कीड़े-मकोड़े सी भागमभाग दिखती हैं संबद्धता कहीं नहीँ, सब टूटे दिखाई देते हैं कोई बाहर से, कोई अंदर से बिजली के... Hindi · कविता 450 Share Neeraj Chauhan 9 Aug 2017 · 1 min read साम । दाम । दंड । भेद ! भाई, सांई?, कम, कसाई! स्व, क्रुद्ध, कंठ, रुद्ध! चिन्त, चम्भ, क्षीण, दम्भ! शोक, योग, दुःसह, रोग! मन, पहाड़, चीर, फाड़! अजेय, स्वप्न, वृक्ष, ताड़! मित्र, मित्र, शब्द, चित्र! दुधर्ष, दिन,... Hindi · कविता 1 1 1k Share Neeraj Chauhan 4 Aug 2017 · 1 min read चोटीकटवा ! अफवाहों को अगर थोड़ा दरकिनार करूँ, तो पाता हूँ की चोटी हर महिला की अब रोज़ ही काटती हैं। चोटी कटवा उस हर घर में मौजूद है जहाँ शराब पीकर... Hindi · कविता 541 Share Neeraj Chauhan 3 Aug 2017 · 1 min read समय लगेगा ! झुकेगा दम्भ, समय लगेगा, हटेगा बंद , समय लगेगा गिरूंगा आज, उठूंगा कल, कटेगा फंद, समय लगेगा ! हारेगा खल, समय लगेगा लताडुंगा छल, समय लगेगा जो हंसते है आज... Hindi · कविता 503 Share Neeraj Chauhan 2 Aug 2017 · 2 min read प्रतीत्यसमुत्पाद आज ऐसा कोई भी इंसान नहीं, जिसको कोई दुःख ना हो। हर एक को कोई ना कोई दुःख अवश्य है। आखिर दुःख का स्वरूप क्या हैं? दुःख होता क्यों है?... Hindi · कविता 1 1 3k Share Neeraj Chauhan 1 Aug 2017 · 1 min read ना आँखों में मुझे सजाओं.. . ना आँखों में मुझे सजाओं, मैं काजल सा ठहर जाऊंगा ना बातों में मुझे लगाओ, तुम्हारे दिल में उतर जाऊंगा आऊंगा हर जन्म, रखूँगा जारी यही कथन, यूँ मोती ना... Hindi · मुक्तक 654 Share Neeraj Chauhan 31 Jul 2017 · 1 min read क्योंकि मरना तुम्हारी हद हैं! आँखे फाड़ लक्ष्य को ताड़, जिद पर अड़ दुःखों से लड़, काटों पर चलना तुम्हारी ज़द हैं क्योंकि मरना तुम्हारी हद है ! सुखों को छोड़ नाता दुखों से जोड़,... Hindi · कविता 847 Share Neeraj Chauhan 25 Jul 2017 · 1 min read 'उनसे' ज्यादा भुखमरे! मेरे देश की लोकतंत्रीय चक्की में तुम घुन से लगे हो, तुम्हारी बांछे खिल जाती हैं जब आता है तुम्हारा वेतन बढ़ोतरी का प्रस्ताव, तब तुम्हारे चेहरों पर नही होता... Hindi · कविता 578 Share Neeraj Chauhan 24 Jul 2017 · 1 min read लगा, गलत हूँ! ? पता चली जो गलत लिखाई, लगा गलत हूँ तुमने हटा आरी सी चलाई, लगा गलत हूँ। पता चला की भटक गया हूँ, लगा गलत हूँ तुमने सच्ची राह दिखाई, लगा... Hindi · कविता 551 Share Neeraj Chauhan 22 Jul 2017 · 2 min read "मैं जो खाऊ तुम्हे क्या!" (मांसाहार पर दो टूक /- भाग 2) कल जब मेट्रो से जा रहा था, तीन संभ्रांत परिवार की लड़कियों को बात करते हुए सुना। एक कह रही थी, "मैंने सूअर टेस्ट किया हैं। खाने में बहुत अच्छा... Hindi · लेख 571 Share Neeraj Chauhan 21 Jul 2017 · 1 min read तुम समझती क्यों नही माँ? तुम्हारे एक आंसू की बूंद मेरेे दिल को चीर देती है, बढ़ा मेरी पीर देती है तुम समझती क्यों नही माँ? तुम्हारी बाते महक गयी थी तुम्हारी आँखे चहक गयी... Hindi · कविता 1 916 Share Neeraj Chauhan 19 Jul 2017 · 1 min read भैंस का दर्द! (एक गंभीर कविता) धार्मिक अनुष्ठानों और तीक्ष्ण कानूनों से, गाय तो हो गयी हैं 'राष्ट्रमाता' पर मेरा क्या? फिरी सत्ताधीशो की नज़रे वह हो गयी भाग्य विधाता पर मेरा क्या? सिर्फ वही नही... Hindi · कविता 1 1 1k Share Neeraj Chauhan 18 Jul 2017 · 2 min read इंसान कबसे खाओगे? (मांसाहार पर दो टूक -भाग 1) अपनी जीभ के स्वाद के लिए मूक और निरीह जानवरों को जो अपना निवाला बनाते हैं, मैं पूछता हूँ, इंसानों की बारी कब आ रही है? एक दर्द से कराहते... Hindi · लेख 617 Share Neeraj Chauhan 17 Jul 2017 · 3 min read 'विश्वास' (लघुकथा) बस भाई ...ज्यादा नही.... "अरे यार क्या बात कर रहा हैं.. एक पैग और ..मेरा भाई हैं एक पैग और मारेगा.. ये मारा...ये मारा... हां हा हा .. ये हुई... Hindi · लघु कथा 1k Share Neeraj Chauhan 17 Jul 2017 · 1 min read छलक पड़ती हो तुम कभी.. . छलक पड़ती हो तुम कभी , एक कशिश छोड़ जाती हो भिगाती बारिशें हैं मुझे, तुम तपिश छोड़ जाती हो अलग बहता हूँ तुमसे मैं, कभी जब बहकने लगता हूँ... Hindi · मुक्तक 635 Share Neeraj Chauhan 13 Jul 2017 · 1 min read कन्यादान नही कर्ण भी समता रखता नही कर्ण का दान महान, सब दानों से बढ़कर होता एक बेटी का कन्यादान! पिछले कितने सुकर्मों से, बेटी पैदा होती है, गृहस्थी के संचालन... Hindi · कविता 1 709 Share Neeraj Chauhan 11 Jul 2017 · 1 min read समयातीत जीवन की वेदी पर दुखाग्नि के हवन में समय की आहुतियाँ देता रहूँगा बार-बार करता रहूँगा भस्मीभूत तुम्हारे हर एक दारुण्य को उठाऊंगा तुम्हे समय का हवाला देकर बार बार..... Hindi · कविता 1 1 639 Share Neeraj Chauhan 10 Jul 2017 · 1 min read और तुम कहते हो कि तुम सुखी हो ! तुम केवल बाहर से हँसते हो, दिखावटी.. अंदर से बेहद खोखले हो तुम, घुटन, असंतुष्टि, पीड़ा, अपमान, अहम्, ईर्ष्या.. इन सबको कही गहरे में लपेटे हो तुम और कहते हो... Hindi · कविता 1 1 590 Share Neeraj Chauhan 10 Jul 2017 · 3 min read जीवन का उद्देश्य क्या हैं? इतनेदिनों से मैं सोच रहा था, चिंतन कर रहा था, औरों को सुन रहा था, मगर अब खुद का कुछ निजी अनुभव साझा करने का समय है। अक्सर आपने सुना... Hindi · लेख 1k Share Neeraj Chauhan 9 Jul 2017 · 1 min read वजह तुम हो तन्हाई की.. . वजह तुम हो तन्हाई की, मेरा त्यौहार तुम ही हो, भले मैं पैर का घुँघरू, मगर झंकार तुम ही हो कभी हाथों के परदे आँख पर रख, देखती हो मुझे,... Hindi · मुक्तक 563 Share Page 1 Next