Naval Pal Parbhakar 53 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Naval Pal Parbhakar 31 Jan 2017 · 1 min read हमारा जीवन हमारा जीवन ओंस की कुछ बूंदे ज्यों मोती बन चमकने लगती हैं, घास की चंद शिखाओं पर वैसे ही बने ये जीवन हमारा। जिसका काल है क्षण-भंगूर ज्यों ओंस का... Hindi · कविता 206 Share Naval Pal Parbhakar 24 Apr 2017 · 1 min read एक बस तुम ही एक बस तुम ही मेरी बैषाखियां बन कर मुझे सहारा देने वाली मेरे पथ के कांटो को पलकों से चुनने वाली एक बस तुम ही तो थी। बनकर रक्षक मुसीबतों... Hindi · कविता 216 Share Naval Pal Parbhakar 28 Jan 2017 · 1 min read हृदय के विचार हृदय के विचार। आज मेरी सीमाओं का बांध सा टूटा जाता है। उफन-उफन कर यूं समुद्र लहरों में बिखर जाता है। इसके साथ में आने वाले लाखों शंख अगिनत सीपी... Hindi · कविता 197 Share Previous Page 2