Naval Pal Parbhakar Tag: कविता 37 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Naval Pal Parbhakar 21 Jun 2017 · 1 min read पंख लग जाते पंख लग जाते फूलों ने रंग धार लिया मन में उमंग है मेरे, पास मैं तेरे आ जाती पंख लग जाते जो मुझे। पवन सर-सर-सर बहे पानी कल-कल करता चले... Hindi · कविता 1 256 Share Naval Pal Parbhakar 29 May 2017 · 1 min read ऐसा जीवन ऐसा जीवन फूलों की भांति खिलता हुआ समीर की भांति बहता हुआ। पानी की भांति प्रवाहपूर्ण प्रभू ऐसा जीवन हो मेरा । चट्टान की भांति मजबूत छाती दीपक जैसी,आंखों की... Hindi · कविता 1 250 Share Naval Pal Parbhakar 16 May 2017 · 1 min read तेरी आंखे तेरी आंखें तेरी आंखों की क्या तारीफ करूं । ये हैं गहरी झील सनम सोचता हूं इनमें डूब मरूं तेरी आंखों की गहराई का शायद कोई अन्त नही नीली-नीली इन... Hindi · कविता 695 Share Naval Pal Parbhakar 9 May 2017 · 1 min read पंख लग जाते पंख लग जाते फूलों ने रंग धार लिया मन में उमंग है मेरे पास मैं तेरे आ जाती पंख लग जाते जो मुझे। पवन सर-सर-सर बहे पानी कल-कल करता चले... Hindi · कविता 258 Share Naval Pal Parbhakar 5 May 2017 · 1 min read जुगनूओं की रजाई जुगनूओं की रजाई घर खुली जगह छत, पूरा आसमान सोने को हरी-भरी दूब ओढने को रजाई चमकते जुगनूओं की। फटी रजाई में कहीं-कहीं झांकते स्वच्छ श्वेत चांदी से सूखे मेघ... Hindi · कविता 460 Share Naval Pal Parbhakar 4 May 2017 · 1 min read काले बादल काले बादल आज फिर से मेघ काले नाग से घिर-घिर हैं आने लगे। कभी मुग्ध, कभी दग्ध कभी भयावह, तो कभी नम्र कभी देते आँखों को सुख कभी तन को... Hindi · कविता 485 Share Naval Pal Parbhakar 2 May 2017 · 1 min read गर्मी गर्मी तन ये सारा फूंक दिया मन मेरा झकझोर दिया गिराकर ऐसे सीधी गर्मी सबकुछ तुने झुलसा दिया । खिलने वाला प्रसून बाग में अधखिला सा रहने लगा मीठा बोलने... Hindi · कविता 286 Share Naval Pal Parbhakar 1 May 2017 · 1 min read बकवास कल्पना बकवास कल्पना दूर कहीं दूर गर्मी की दोपहर में किसी निर्जन जंगल में सन्नाटे की गोद में बैठा हुआ मेरा मन कोरी कल्पना में डूबा। वनचर जीवों के साथ उनके... Hindi · कविता 343 Share Naval Pal Parbhakar 27 Apr 2017 · 1 min read गीत गाया पत्थरों ने गीत गाया पत्थरों ने मैं जब चला यहाँ से मिला धोखा ही धोखा जहां से मगर जब पहुंचा उपवन में न था वहां पर कोई दुख संताप चारों तरफ थे... Hindi · कविता 288 Share Naval Pal Parbhakar 24 Apr 2017 · 1 min read एक बस तुम ही एक बस तुम ही मेरी बैषाखियां बन कर मुझे सहारा देने वाली मेरे पथ के कांटो को पलकों से चुनने वाली एक बस तुम ही तो थी। बनकर रक्षक मुसीबतों... Hindi · कविता 249 Share Naval Pal Parbhakar 20 Apr 2017 · 1 min read पानी पानी हाँ मैं मानता हूँ देखने में मेरी हस्ती क्या है कुछ भी नही आग पर गिरूं जलकर भाप बन उडूं धरा पर गिरूं हर प्यासा रोम अपने अंदर मुझे... Hindi · कविता 325 Share Naval Pal Parbhakar 18 Apr 2017 · 1 min read राधा झूले राधा झूले अहो ग्वाल भईया कहियो बरसाणा बाबुल से जाय। भेजो दाऊ भईया लेने मुझको आय। सावण रूत , झर लाग्यो झर-झर बूंदिया गिरत बगिया में झूला परत। मोरो मन... Hindi · कविता 538 Share Naval Pal Parbhakar 17 Apr 2017 · 1 min read मेरा जीवन मेरा जीवन खेत की पगडंडियों पर उगी हुई हरी घास पर पड़ी हुई ओंस की बूंदे ज्यों------- ? बनती और सिमट जाती है हे प्रभू दया करो मुझ पर ऐसा... Hindi · कविता 317 Share Naval Pal Parbhakar 16 Apr 2017 · 1 min read गरीब की आंखें गरीब की आँखें मलिन सा चेहरा गिरती उठती हौले-हौले तन पर फटे हुए कपड़े जरूर ये आँखें किसी गरीब की हैं । गरीबी की अकड़ ने तोड़ कर रख दिये... Hindi · कविता 533 Share Naval Pal Parbhakar 11 Apr 2017 · 1 min read बारिश बारिश उदक फुदक-फुदक कर , छन-छन-छनकता हुआ, मेघों के पारभाषी आंचल से टपक-टपक-टपक रहा । तरूवर चुप खड़े निढाल से फुनगियों को अंदर मुंदे हुए मोती सा धरती पर गिरता... Hindi · कविता 490 Share Naval Pal Parbhakar 8 Apr 2017 · 1 min read बीती बातें बीती बातें आज जब मैं अपने पुराने दिनों की यादें ताजा करने को स्कूल की चाहरदीवारी के अन्दर जब दाखिल हुआ तो दंग मैं रह गया यकायक ........आंखें चूंध गई... Hindi · कविता 304 Share Naval Pal Parbhakar 7 Apr 2017 · 1 min read देश का भविष्य देश का भविष्य एक युवा अधेड उम्र शख्श अपनी पत्नी बच्चों सहित सडक़ पर था घुम रहा दशा उसकी थी दयनीय उस शख्श का यह हुलिया उसका भेद था बता... Hindi · कविता 402 Share Naval Pal Parbhakar 3 Apr 2017 · 2 min read नौ कन्या नौ कन्या आज सुबह ही बीवी ने मेरी मुझे धंधेड़ा और उठाया । आंखें मलते मैं उठ बैठा क्या है भाग्यवान , क्यों शोर मचाया क्या कहीं आंधी है आई... Hindi · कविता 262 Share Naval Pal Parbhakar 27 Mar 2017 · 1 min read हवा की आवाज *हवा की आवाज* पंखे की तेज हवा से सुबह के सुनसान मंजर में खुली पुस्तक का कोई पृष्ठ कभी-कभार चुप्पी को तोड़ता हुआ बेतहासा जोर लगाकर यह चुप्पी आखिरी क्षण... Hindi · कविता 701 Share Naval Pal Parbhakar 17 Mar 2017 · 1 min read रास्ते का पेड़ रास्ते का पेड़ अनगिनत मुसाफिर आए इस रास्ते से मैं उन्हें निहारता रहता दूर से उनके पैरों की धूल आसमां को छूती हुई-सी प्रतीत होती ... वे मेरी छांव में... Hindi · कविता 437 Share Naval Pal Parbhakar 16 Mar 2017 · 1 min read सजी धरा सजी धरा आज धरा सजी संवरी सी मिलने चली प्रियतम से छिडक़ तन पे सुगन्धित इत्र आँखों में सलोने ले सपने । पोत सफेद मिट्टी से कपोल हरे रंग का... Hindi · कविता 331 Share Naval Pal Parbhakar 3 Mar 2017 · 1 min read नींद कोसों दूर नींद कोसों दूर आज मैं, अपने घर के उसी पुराने चौक में खाट के ऊपर, सीधा लेट देख रहा आसमान को उसकी लीली भंगिमा को उसकी विषाल गहराई को अचानक....... Hindi · कविता 504 Share Naval Pal Parbhakar 2 Mar 2017 · 1 min read धूप धूप बहुत दिनों के बाद आज फिर सजधज कर सुन्दर बाला, बैठ गई है हरी दूब पर खिला-खिला-सा रूप निराला। इसके यौवन की सुरभि फैली है दशों दिशाओं में, हठखेलियां... Hindi · कविता 276 Share Naval Pal Parbhakar 23 Feb 2017 · 1 min read प्रकृति प्रकृति प्रकृति ने देखो हमें दिया है अनोखा उपहार, हर जगह हरियाली है प्रकृति से मुझे है प्यार । कितने अमूल्य रत्न समेटे है अपने अन्दर इसकी अनोखी औषधियां कर... Hindi · कविता 645 Share Naval Pal Parbhakar 20 Feb 2017 · 1 min read गरीब बेरोजगार गरीब बेरोजगार मेरे घर में तीन आंखें तीनों निस्तेज, भावना रहित आशा बदली निराशा में तीनों चुपचाप टकटकी लगाए इंतजार में हैं शायद किसी के मां की आंखें छितरी, मिट्टी... Hindi · कविता 275 Share Naval Pal Parbhakar 17 Feb 2017 · 2 min read नौ कन्या नौ कन्या आज सुबह ही बीवी ने मेरी मुझे धंधेड़ा और उठाया । आंखें मलते मैं उठ बैठा क्या है भाग्यवान , क्यों शोर मचाया क्या कहीं आंधी है आई... Hindi · कविता 444 Share Naval Pal Parbhakar 16 Feb 2017 · 1 min read विनाश और रचना विनाश और रचना ब्रह्माण्ड में पृथ्वी से कण कितने हर कण में टूट-फूट बनता-बिगड़ता हर कण पर करोड़ों जीव जीवन यापन कर इसके साथ ही लोप हो जाते मिल जाते... Hindi · कविता 363 Share Naval Pal Parbhakar 12 Feb 2017 · 1 min read मेरे गीत मेरे गीत मेरे गीत तुम्हारे पास स्वर मांगने आयेंगे । कंठ पर तुम्हारे ये गीत खेलेंगे और लहरायेंगे। माना मेरे गीतों में सुर है ना ताल है, तभी तो मेरे... Hindi · कविता 331 Share Naval Pal Parbhakar 11 Feb 2017 · 1 min read धरती धरती मैंने उसको जब भी देखा, खिलते देखा उजड़ते देखा बहकते देखा महकते देखा हंसते देखा रोते देखा स्वर्ण सुरभि छेड़ते देखा पर इसको जब............. कुपित देखा शक्ति रूप बदलते... Hindi · कविता 628 Share Naval Pal Parbhakar 10 Feb 2017 · 1 min read हिन्दी साहित्य हिन्दी साहित्य साहित्य के अथाह सागर में डुबकी लगाना चाहता हूं, डुबे हुए बहुमूल्य शब्द चुन हिन्दी को बचाना चाहता हूं । आज जरूरत है मेहनत की जो बना दे... Hindi · कविता 769 Share Naval Pal Parbhakar 4 Feb 2017 · 1 min read देश का भविष्य देश का भविष्य एक युवा अधेड उम्र शख्श अपनी पत्नी बच्चों सहित सडक़ पर था घुम रहा दशा उसकी थी दयनीय उस शख्श का यह हुलिया उसका भेद था बता... Hindi · कविता 298 Share Naval Pal Parbhakar 2 Feb 2017 · 1 min read तेरी जय हो तेरी जय हो हे अन्नदात्री, हे सुखदात्री हे जन्मभूमि, हे कर्मभूमि तेरी जय हो, तेरी जय हो। भाग्य को बनाने वाली हृदय दीप जलाने वाली निःसहाय को पालने वाली प्रिये... Hindi · कविता 462 Share Naval Pal Parbhakar 1 Feb 2017 · 1 min read बसंत जी बसंत जी। पैराें में मखमली जूतियां सिर पर पगड़ी फूलों की हरियाली रूपी ओढ़ काम्बली आ गए महंत बसंतबया बयार चले ठंडी होकर तन में कंपकंपी बंध जाती करती मंत्रमुग्ध... Hindi · कविता 455 Share Naval Pal Parbhakar 31 Jan 2017 · 1 min read बेटी गरीब की बेटी एक गरीब की लक्ष्मी बेटी उसे ओर कंगाल बना जाती है। जब अपनी शादी करके वह अपनी ससुराल को जाती है। बच्ची पैदा होने पर ही लग... Hindi · कविता 390 Share Naval Pal Parbhakar 31 Jan 2017 · 1 min read हमारा जीवन हमारा जीवन ओंस की कुछ बूंदे ज्यों मोती बन चमकने लगती हैं, घास की चंद शिखाओं पर वैसे ही बने ये जीवन हमारा। जिसका काल है क्षण-भंगूर ज्यों ओंस का... Hindi · कविता 227 Share Naval Pal Parbhakar 30 Jan 2017 · 1 min read धरती वंदना धरती वंदना धरती वंदना हे मां, तेरी है शान निराली आभा अद्भूत चमकत न्यारी । तेरे सारे पेड़ ये झूमें हवा के शीतल झोंकों से मन भी कंपित सा होकर भरता पंछी... Hindi · कविता 738 Share Naval Pal Parbhakar 28 Jan 2017 · 1 min read हृदय के विचार हृदय के विचार। आज मेरी सीमाओं का बांध सा टूटा जाता है। उफन-उफन कर यूं समुद्र लहरों में बिखर जाता है। इसके साथ में आने वाले लाखों शंख अगिनत सीपी... Hindi · कविता 223 Share