Mukeshkumar PANDEY Tag: कविता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mukeshkumar PANDEY 28 May 2016 · 1 min read तनहाई क्यूँ समझती है तेरे बिन यहाँ तनहाई नही है। बिस्तर तो है मखमल का, मगर चारपाई नही है । कभी अपने आप से सवालात किया करता हूँ । कभी तेरी... Hindi · कविता 1 678 Share Mukeshkumar PANDEY 28 May 2016 · 1 min read मुक्तक दिल का वो एक कोना, अब तक पडा़ है खाली पत्ते हैं झड़ गए सब, सूनी पडी़ है डाली मुमकिन नहीं तुम्हारी, यादों को भूल जाना तुम बिन है सूनी... Hindi · कविता 3 2 380 Share