Mukesh Srivastava 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mukesh Srivastava 21 Jan 2017 · 1 min read बेटियां (१) खिलतीं धूप हैं बेटियां, हों सबकी दरकार. बिन बेटी सब सून है, सजा धजा घरबार. सजा धजा घरबार, सदा बेटी से मिलती. महके घर संसार, फूल बनकर जब खिलतीं.... Hindi · मुक्तक 1 325 Share Mukesh Srivastava 7 Apr 2023 · 1 min read पर दारू तुम ना छोड़े दारू घर में मार कराये, रिश्ते सारे तोड़े. छोड़ दिये सगे सहोदर, पर दारू तुम ना छोड़े. पर दारू तुम ना छोड़े. डूब गये सब संस्कार, बापू जो सिखलाये थे.... Hindi 1 311 Share