Mukesh Srivastava Tag: मुक्तक 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Mukesh Srivastava 21 Jan 2017 · 1 min read बेटियां (१) खिलतीं धूप हैं बेटियां, हों सबकी दरकार. बिन बेटी सब सून है, सजा धजा घरबार. सजा धजा घरबार, सदा बेटी से मिलती. महके घर संसार, फूल बनकर जब खिलतीं.... Hindi · मुक्तक 1 371 Share