Manoj Kumar Language: Hindi 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Manoj Kumar 29 Sep 2022 · 1 min read चोट मैं भी खायें हैं , तेरे इश्क में काफ़िर चोट मैं भी खायें हैं , तेरे इश्क में काफ़िर पर कभी तुझसे पंगा न लिया मैं भी कभी थे तेरे, जो आज भी दंगा न किया!! तुम भूल जाओ... Hindi · कविता · वियोग श्रृंगार 1 275 Share Manoj Kumar 29 Sep 2022 · 1 min read तेरे होने में क्या?? न जानूँ मैं इश्क़ क्या हैं? और कौन इश्क़ करता है! कितनी मेहरबाँ है दिल पे वो और ख़ुद ही मुझपे मरता है!! कैसे कहूँ तू राज़दाँ है मेरा मेरे... Hindi · कविता · वियोग श्रृंगार 1 287 Share Manoj Kumar 29 Sep 2022 · 1 min read तुझे मतलूब थी वो रातें कभी दीवारों के कान निकले थे वो सब सुन लिया था, मेरे इश्क के बातें कभी तुझे दिल के उजाला में पाए न तुझे मतलूब थी वो रातें कभी मेरी निगाहें... Hindi · कविता · वियोग श्रृंगार 1 366 Share Manoj Kumar 7 Aug 2021 · 1 min read आज वीरों को तुम याद करो। आज वीरों को तुम याद करो। अब वो दौर न आयेगा। आज का दिन है अनमोल रतन। हर जगह ही तिरंगा लहराएगा। सीने में खाई जिसने गोली, देश आजाद किया।... Hindi · कविता 2 1 423 Share Manoj Kumar 2 Aug 2021 · 1 min read बेवफ़ाई सिला वो दे गए, लौटकर न आए। जल रहा दिल मेरा, दूसरो के हो गए। अब रोता बस, उनकी यादों में। जो किए वादे, मुझसे हर बातों में। कैसे भूलूंगा... Hindi · गीत 2 610 Share Manoj Kumar 6 Jul 2021 · 2 min read मै नहीं मेरी कलम बोलती है। मै नहीं मेरी कलम बोलती है। गिरी हुई पलके, झुकी हुई जुल्फ़े। सांसे सो रही हो जैसे, पुष्पों के शय्या पर। अम्बर भी आशिक़ हो जाएं, तुझे देख कर। तू... Hindi · कविता 349 Share Manoj Kumar 13 Jun 2021 · 1 min read उड़ा ले चल हवा हमें। उड़ा ले चल हवा हमें, पहुंचा दे मेरे प्रेमिका के पास। इतनी बेचैनी करके आस न लगाऊं, रहूं उनके पास। दुर्लभ से ही क्यों न पहुंचे, पेड़ों से टकराकर। पर!... Hindi · कविता 1 328 Share Manoj Kumar 13 Jun 2021 · 1 min read पंछी निराले रंगीले पंछी निराले रंगीले । उड़ चले हवा में पंख फैलाकर। मंजिल तक जाना था उनका। नहीं हटे किसी से डरकर। हौसला था मन में, जाना है वहां। अपना कर्तव्य छोड़ा... Hindi · कविता 2 1 307 Share Manoj Kumar 11 Jun 2021 · 1 min read बरसात की बूंदे टप- टप टपक रहे है बूंदे बादल से । भीग रहे हैं, गोरी के रूपहरे केश। वो झूमती है मस्ती में इठलाती है। तर्र- तर्र मंडूक आवाज़ लगाए, देते कर्ण... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 2 503 Share Manoj Kumar 11 Jun 2021 · 1 min read सावन आया हरी - भरी हरियाली छाई। झूम रहे पेड़ों के डाली। मस्ती में कोयल है गाती। मीठी मीठी गीत सुनाती। पंक में पंकज खिल आया। सावन आया। झूला पड़ा आम डाली।... Hindi · कविता · बाल कविता 414 Share