मिथलेश सिंह"मिलिंद" 32 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मिथलेश सिंह"मिलिंद" 28 May 2024 · 1 min read बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों ऐसे तूफान हैं , जिन्हें मनुष्य की तीनों मूलभूत आवश्यकताओं (तन-मन-धन) को जड़ से उखाड़ फेंकने... Quote Writer 369 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 28 May 2024 · 1 min read काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु बनाये जाते हैं, ना कि इच्छापूर्ति के लिए ! Quote Writer 240 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read कुंडलिया छंद रोटी की खातिर किया, भूखा कृत्य हजार।। तृषित उदर कब देखता, भरा स्वर्ण भंडार।। भरा स्वर्ण भंडार, भूख के सम्मुख बौना। भूखा है यह पेट, नहीं यह खेल-खिलौना। बदले मनुज... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 1 265 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read कहानी न पूछो बुझी आग से जिंदगानी न पूछो। लहर से कदम की निशानी न पूछो। किया कत्ल जिसने गले से लगा कर- उसी से प्रणय की कहानी न पूछो। लहर ने जगाया... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 240 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read क्या मिला तुझको? ऐ दिले नादान आखिर क्या मिला तुझको। हर सजा दे दी मुझे फिर भी गिला तुझको।। छोड़कर जाना सही इक सोच हो लेकिन, सालता होगा तुम्हारा फैसला तुझको। गलतियाँ मुझसे... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 324 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read बुलाकर तो देखो मिलेंगे खुदा बस बुलाकर तो देखो। खुदी में भरोसा जगाकर तो देखो।। दुआ से भरे भव खजाने तुम्हारे, गिरे को जरा सा उठाकर तो देखो। किसी आँख से अश्क बनकर... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 2 332 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read परिणाम से डरो नहीं दूर से बुला रही विभावरी उषा समीप सामने पहाड़ है दहाड़ से डरो नहीं। चाल ढाल नेक भाव साम्य का सुझाव साथ जीत पास आ रही चुनाव को करो सही।।... Poetry Writing Challenge-3 · कलाधर छंद 209 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read श्री कृष्ण जन्म कथा भाग - 2 सुन कन्या की बात , कंश कुछ समझ न पाया । सैनिक था हर द्वार , कृष्ण कब बाहर आया । कन्या की यह बात , सही या केवल माया... Poetry Writing Challenge-3 · रोला छंद 305 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read श्री कृष्ण जन्म कथा काल चक्र खुद रुक गया , शून्य सृष्टि का आज । कान्हा का जैसे हुआ , धरती पर आगाज ।। वासुदेव के खुल गये , पावों से जंजीर । पवन... Poetry Writing Challenge-3 · दोहा 244 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read संकल्प शक्ति तीन तत्व से मिल बने , मन के सभी विधान । रजो-तमो-सतगुण जिसे , कहते हैं विद्वान ।। इसी गुणों का ही रहे , मन पर सदा प्रभाव । मन... Poetry Writing Challenge-3 · दोहा 219 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read आओ थोड़ा जी लेते हैं विधा :- गीत शीर्षक - आओ थोड़ा जी लेते हैं शिकवे गिले मिटाओ साथी , गम को मिलकर पी लेते हैं । बहुत हुआ अब कहना-सुनना , आओ थोड़ा जी... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 173 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read वर्तमान भारत सबके सुख की कामना, रखे सभी का मान । कल का हो या आज का, भारत रहे महान ।। तरह-तरह की बोलियां, तरह-तरह के लोग । फिर भी इनमें एकता,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 381 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read एकालवी छंद ०१ - कर्म ही धर्म है । धर्म ही कर्म है ।। कर्म जो भी करें । शान से ही करें ।। दौड़ता आ रहा । जो वही पा रहा... Poetry Writing Challenge-3 · कोटेशन 184 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read बालगीत लेना तुमको हो जब खाना । मुझको बस आवाज लगाना ।। मम्मी सच में वाश किया है । ब्रश से मुँह भी साफ किया है ।। तेरा कोई नहीं ठिकाना... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 202 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read उल्लाला छंद मन से आखिर जो करे, कोई भी निज काम को। मजदूरी पूरी मिले, संतोषी हर शाम को।। ताका-झाँकी छोड़ दे, बहुत बुरी यह बात है। दिन तो इसमें कट गया,... Poetry Writing Challenge-3 · कोटेशन 382 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read नियति जीवन यह इक झोल झमेला । नियति भाग्य मानुष मन खेला ।। नियति, नियति क्या करते आखिर , नियति कर्म से हर पल हारा । कोशिश करने में क्या जाता... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 179 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read पंछी अकेला दूर - दूर जो उड़ा अकेला। कृत्य क्रूर जो किया झमेला।। सबको देख रहा जो पग में। पंछी वही अकेला जग में।। लगा हुआ चिंता अति मेला। मन पंछी सम... Poetry Writing Challenge-3 169 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read शोषण (ललितपद छंद) रोटी अपनी गरम तवे पर, सेंक-सेंक सब खाते। संचालक बन करें डकैती, जनता को भरमाते।। करने वाले कृषक हमारे, अन्न अधिक उपजाते। अपने हिस्से की फसलों का, दाम अधूरा पाते।।... Poetry Writing Challenge-3 · हास्य-व्यंग्य 201 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read मदिरा सवैया धारण धीर धमाल धरे धनु , धावक ध्यान ध्वजा धरते। भारत भूमि भुवाल भजे भव, भीतर भाल भुजा भरते।। कर्मठ कौन कमाल करें कब, कोशिश कोटि किया करते। मौन मृणाल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 253 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read चौपाई छंद बदली जग की कार्य प्रणाली। यक्ष बना खुद आज सवाली।। बहरा सुने बात फरियादी। उलट-पुलट यह मनु आजादी।। गूंगा लगा आज चिल्लाने। अपनी बात श्रेष्ठ जग माने।। आँखों वाला आँख... Poetry Writing Challenge-3 · हास्य-व्यंग्य 226 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 3 min read माँ को दिवस नहीं महत्व चाहिए साहिब माँ की परिभाषा को दिन व शब्दों में बाँध पाना महज एक मिथ्या मनोभाव होगा । माँ का मातृत्व, प्रेम का वह उद्गम स्थल है जिसमें संसार के सम्पूर्ण प्रेम... Poetry Writing Challenge-3 · लेख 184 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 3 min read अनाथों की आवश्यकताएं जो इस दुनिया के लिए उपयोगी नहीं है, वह एक अनाथ के लिए बहुमूल्य रत्न सरीखा होता है। वही वस्तु या चीज जो दुनिया के लिए अनुपयोगी है, उस अनाथ... Poetry Writing Challenge-3 · लेख 292 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read हरियाली पानी से जीवन बानी। धरती की चूनर धानी। मन भावन हरियाली से , धरती सज लगती रानी।। चाहें तुम बनना दानी। संचित बस रखना पानी। पानी से ही रहती है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 178 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read प्रकृति संरक्षण (मनहरण घनाक्षरी) - हैं जीव-जंतु गीत में, आराम नर्म शीत में, मनु धरा के बीच में, प्यार होना चाहिए। काट-छाँट छोड़ कर, जिंदगी से होड़ कर, दम्भ सारे तोड़ कर , क्वार... Poetry Writing Challenge-3 · गीतिका 197 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read आत्महत्या के पहले खुद से नहीं कभी मन हारा- हर संकट में किया गुजारा। तिल-तिल मरता मन है कहता- जीवन न यह मिले दुबारा।। मन में जब हो उथल-पुथल तो- बादल सी इक... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 254 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल झुक गयी तलवार जब खुद हौसले हुक्काम की। फिर निहत्थे हाथ से उम्मीद क्या अंजाम की।। सोच की रंजिश हकीकी शौकिया जज़्बात से, शौक में लुटती रही ख़लकत यहाँ इलहाम... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 208 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 12 May 2024 · 2 min read दोहावली हर जीवों में श्रेष्ठ जो, मर्त्य लोक इंसान। लोभ-मोह अरु क्रोध ने, बना दिया हैवान।।१।। मन-मानव में आपसी, छिड़ी श्रेष्ठ की जंग। इसी सोच से हो रहा, काल चक्र नित... Poetry Writing Challenge-3 · दोहा 191 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 28 Mar 2020 · 1 min read मौन मानस शीर्षक :- मौन-मानस विधा :- हिन्दी ग़ज़ल मापनी (बह्र ) :- 2212 2212 2212 2212 ..................................... हर प्रश्न है सम्मुख खड़ा अरु मौन मानस अर्थ है । जब हो गया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 351 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 27 Mar 2020 · 2 min read थॉमस माल्थस का सिद्धांत और भावी परिस्थितियां दिनाँक :- २७-०३-२०२० विधा :- लेख शीर्षक :- थॉमस माल्थस का सिद्धांत और भावी परिस्थितियां आज वह विचारधारा पूर्णतः सत्य साबित होने जा रही है जब पूरी दुनिया "कोरोना" जैसे... Hindi · लेख 977 Share मिथलेश सिंह"मिलिंद" 23 Mar 2020 · 1 min read शहीदों के नाम विधा :- घनाक्षरी छंद शीर्षक :- शहीदों के नाम …………………………………… (1) भारत की शान पर,ज़िन्दगी का दान कर मातृ-भूमि ढ़ाल बने,उनको नमन है, असेम्बली धूँ-धूँ जली,बिट्रिश की नींव हिली, वीरता... Hindi · कविता 1 2 587 Share Page 1 Next