मिथिलेश कुमार शांडिल्य 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मिथिलेश कुमार शांडिल्य 17 Nov 2018 · 1 min read चलो हम थोड़े से इंसान हो जाएँ तुम सीता और शेखर, हम सलमा और सुलेमान हो जाएँ तुम थोड़े हिन्दू और हम थोड़े मुसलमान हो जाएँ, चलो हम थोड़े से इंसान हो जाएँ हरी सलवार और मस्तक... Hindi · कविता 6 6 398 Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 12 Nov 2018 · 1 min read स्वर्गीय श्री अनंत कुमार को श्रद्धांजली तुम अनंत थे, तुम अनंत हो, तुम अनंत रहोगे. सस्य श्यामला भरतभूमि के तुम श्रीमंत रहोगे. Hindi · कविता 6 1 378 Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 2 Nov 2018 · 4 min read क्या विकाश पगला गया है? सफर की शुरुआत जिन्दगी अपने साथ सपनों की सतरंगी दुनिया लेकर आती है| चाहे वो अमीर के घर आए या फकीर के घर|खुशियां बराबर मनायी जाती है, फर्क तो सिर्फ... Hindi · कहानी 6 3 575 Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 2 Nov 2018 · 1 min read सन्देश दुविधाओं के जाल काटकर , खुद को नयी दिशा दिखला, तूफानों में बुझे नहीं जो, वो आशा के दीप जला पथ कांटों को चुभने दो, पीड़ा होगी केवल तन को,... Hindi · कविता 4 311 Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 2 Nov 2018 · 1 min read हे माँ, तुम्हें नमन है. माँ, निर्झर का पानी है; अमिट कहानी है, माँ, सस्य श्याम धरती की तुम ही तो रानी है, माँ, जलती दुपहरी में पीपल का छाँव है, माँ, सागर की लहरों... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 25 141 1k Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 31 Oct 2018 · 1 min read कलियुग की द्रौपदी आओ मुरारी अब, द्रौपदी बचाओ तुम्हीं; पक्ष या विपक्ष हो, सबों में दु:शासन हैं घर हो, गली हो या फिर शासन- प्रशासन हो पांडव दुबके हुए हैं; दुर्योधन का शासन... Hindi · मुक्तक 4 2 419 Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 31 Oct 2018 · 1 min read पढ़े लिखे नादां अक्सर मुझसे पढ़े लिखे नादां पूछते हैं, क्यूँ हो बेचैन, परेशां पूछते हैं? मैं तो मस्त मिथिलेश हूँ , धुन के पक्के; पर वो, मेरा जाति और खानदान पूछते हैं... Hindi · कविता 2 1 526 Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 31 Oct 2018 · 1 min read पूज्य पिताजी उंगलियाँ पकड़कर जो चलना सिखाया , फिसलते कदम को संभलना सिखाया , न जाने वही आज नाराज क्यूँ हैं. जलती दुपहरी सा मेरा बदन था ; लगता था जीवन का... Hindi · कविता 2 2 634 Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 31 Oct 2018 · 1 min read शिकवे गिले सारे शिकवे गिले भूला के कहो, जो भी कहना है मुस्कुरा के कहो. ओ मेरे जाने जहां , जाने ज़िगर, तू ही तू है जहां तलक है नजर तेरे यादों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 360 Share मिथिलेश कुमार शांडिल्य 31 Oct 2018 · 1 min read मैं हूँ हिन्दुस्तान मैं जंग लगी तलवार नहीं , मैं बेबश लाचार नहीं, मैं सर से पैर बबंडर हूँ चल पडूँ तो मस्त कलंदर हूँ बस इन्तेजार उस पल का है जब लगे... Hindi · कविता 3 4 363 Share