meenakshi bhasin Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid meenakshi bhasin 22 Nov 2017 · 1 min read हवाओं की उर्म नहीं होती हवाओं की उर्म नहीं होती हवाओं की उर्म नहीं होती इनका तो बस एहसास होता है, जब उड़ते बहते हुए यह चुभती हुई दोपहरी में पसीने से तर तन को... Hindi · कविता 5 4 545 Share meenakshi bhasin 21 Nov 2017 · 2 min read उफ! यह प्रदूषण गौर से देखिए बाहर घना काला बादल सा छाया चहुं ओर सांस लेने में हो गई दिक्क्त आंखों में जलन, सीने में जमघट पर इसको आज की चर्चा का विषय... Hindi · कविता 580 Share meenakshi bhasin 28 Sep 2017 · 2 min read सच है सुविधा का सुख से कोई संबंध नहीं, मन हो बैचेन तो, कंफर्ट में भी कोई दम नहीं सच है सुविधा का सुख से कोई संबंध नहीं, मन हो बैचेन तो, कंफर्ट में भी कोई दम नहीं आलीशान सा दिख रहा था होटल सा खिल रहा था, एसी... Hindi · कविता 1 1 262 Share meenakshi bhasin 14 Sep 2017 · 1 min read हिंदी दिवस पे हिंदी घुट-घुट के रो रही है हिंदी दिवस पे आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं पर मुझे तो ऐसा लगता है कि हिंदी हमसे कुछ कह रही है----- हिंदी दिवस पे हिंदी घुट-घुट के रो रही है,... Hindi · कविता 366 Share meenakshi bhasin 23 Aug 2017 · 2 min read हमारी रुहें कुपोषण का शिकार क्यों हैं? हमारी रुहें कुपोषण का शिकार क्यों हैं? सजी धजी रंग बिंरगी डिजाइनर दीवारों से घिरी हुई, बड़े-बड़े अदभुत से, शानो-शौकत का दम भरते हुए पर्दों के बीच, मखमली रेशम की... Hindi · कविता 327 Share meenakshi bhasin 21 Aug 2017 · 2 min read नेता जी को आम जन की गुहार भई हर साल चुनाव में मैं मतदान तो कर आती हूं क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है किंतु हर बार नई उम्मीदें तो होती हैं पर बहुत निराशा होती है----- नेता... Hindi · कविता 575 Share meenakshi bhasin 17 Aug 2017 · 2 min read हे पौरुषत्व --अपील है तुमसे हमारी Displacement of anger मैने सुना था और Displacement of energy मैने खोजा है। हर रोज हम हमारे नवयुवकों, गली में पाए जाने वाले छिछोरे लड़कों या पुरुषों—की शौर्य एवं वीर... Hindi · कविता 306 Share meenakshi bhasin 11 Aug 2017 · 2 min read हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा 15 अगस्त आने को है। आज़ादी मिल चुकी है। मिली क्यों कि तब हमारे सामने एक लक्ष्य था- अंग्रेजों से छुटकारा। हमने बहुत प्रगति कर ली है। किंतु हम अभी... Hindi · कविता 3k Share meenakshi bhasin 4 Aug 2017 · 2 min read तुम बड़ा काम करती हो तुम बड़ा काम करती हो तब सिर्फ पढ़ने का ही काम था वैसे सारा दिन आराम था, स्कूल से घर, घर से स्कूल शाम को खेलना, रविवार को जाना बाजार... Hindi · कविता 472 Share meenakshi bhasin 25 Jan 2017 · 1 min read सुन ले मां- बेटी की पुकार लोगों की मानसिकता जो वहशियाना और राक्षसी रुप लेती जा रही है, तो गर्भ के अंदर बैठी हुई कन्याओं की रुह बाहरी माहौल को देखते हुए अपनी माताओं से भयभीत... Hindi · कविता 1 323 Share