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तेरा ये रोना और रो रो कर फलक पे नजर करना
मारूफ आलम
तूफान फिर लौटकर आयेगा
मारूफ आलम
दलाली का स्तर कितना ऊंचा है
मारूफ आलम
सवाल मर नही जायेगा
मारूफ आलम
जमीं को थामे रखता हूँ तो हाथों से सितारे जाते हैं
मारूफ आलम
दबी हुई हैं कई तहरीरें हमारी बस्तर के थानों मे
मारूफ आलम
फिर इंसानियत का चेहरा कुचल दिया तुमने
मारूफ आलम
अंडे दिए हैं शायद दड़बों मे बटेरों ने
मारूफ आलम
जब नफरत बांटनी हो पूरी पूरी बांट दोगे
मारूफ आलम
लोग कहते हैं सैकड़ों मुल्क हैं तुम्हारे
मारूफ आलम
क्योंकि वो अनमोल होते हैं
मारूफ आलम
रूपया क्यों सस्ता है अब भी दिनार से
मारूफ आलम
और बाकी हिरन तमाशा देखते हैं
मारूफ आलम
तुम्हारे जुल्म की हमपर कोई हद नही है
मारूफ आलम
चमड़े तक उधेड़ दिये
मारूफ आलम
ना नक्सली हैं ना माओवादी हैं
मारूफ आलम
ये टीस हमे चुभती है ये बात हमे काटती है
मारूफ आलम
बहुत खलता है जब छोड़ना पड़ता है
मारूफ आलम
ये जंगल हमारा है
मारूफ आलम
उजाले लापता हैं और कोई गवाह नही है
मारूफ आलम
इस तरह ऐ जिंदगी तेरे रकीब होते रहे
मारूफ आलम
मरते बस इंसान हैं
मारूफ आलम
जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई
मारूफ आलम
मुद्दा कोई भी उछालो मगर एहतराम के साथ
मारूफ आलम
किस्मत का लिखा झोल झाल बदल देंगे
मारूफ आलम
आदिवासी
मारूफ आलम
हम आदिवासी जंगल को खूब समझते हैं
मारूफ आलम
सरे आईना जुदा रहा कोई
मारूफ आलम
अपनी सदाकत के अरकान नही मरने दिए
मारूफ आलम
किस काम का ये मारा हुआ जिस्म
मारूफ आलम
नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको
मारूफ आलम
कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की
मारूफ आलम
कुरान दुनिया की हर एक जुबान तक पहुंचे
मारूफ आलम
उसे देखकर आखिर क्यों मचल जाता
मारूफ आलम
पंसद नही हैं अगर तो भुला दे हमको
मारूफ आलम
हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर
मारूफ आलम
तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक
मारूफ आलम
उस नन्हे मुन्ने परिंदे मे भी जान थी ऐ दोस्त
मारूफ आलम
रोने के दिन वापस आ गए क्या
मारूफ आलम
उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग
मारूफ आलम
कौन हमेशा के लिये कागज की स्याही बनेगा
मारूफ आलम
तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं
मारूफ आलम
मां प्यार से मेरा चेहरा जो पुचकारकर बैठ गई
मारूफ आलम