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Tag: ग़ज़ल/गीतिका
28 posts
जमीं को थामे रखता हूँ तो हाथों से सितारे जाते हैं
जमीं को थामे रखता हूँ तो हाथों से सितारे जाते हैं
मारूफ आलम
दबी हुई हैं कई तहरीरें हमारी बस्तर के थानों मे
दबी हुई हैं कई तहरीरें हमारी बस्तर के थानों मे
मारूफ आलम
फिर इंसानियत का चेहरा कुचल दिया तुमने
फिर इंसानियत का चेहरा कुचल दिया तुमने
मारूफ आलम
अंडे दिए हैं शायद दड़बों मे बटेरों ने
अंडे दिए हैं शायद दड़बों मे बटेरों ने
मारूफ आलम
जब नफरत बांटनी हो पूरी पूरी बांट दोगे
जब नफरत बांटनी हो पूरी पूरी बांट दोगे
मारूफ आलम
रूपया क्यों सस्ता है अब भी दिनार से
रूपया क्यों सस्ता है अब भी दिनार से
मारूफ आलम
उजाले लापता हैं और कोई गवाह नही है
उजाले लापता हैं और कोई गवाह नही है
मारूफ आलम
इस तरह ऐ जिंदगी तेरे रकीब होते रहे
इस तरह ऐ जिंदगी तेरे रकीब होते रहे
मारूफ आलम
मरते बस इंसान हैं
मरते बस इंसान हैं
मारूफ आलम
मुद्दा कोई भी उछालो मगर एहतराम के साथ
मुद्दा कोई भी उछालो मगर एहतराम के साथ
मारूफ आलम
किस्मत का लिखा झोल झाल बदल देंगे
किस्मत का लिखा झोल झाल बदल देंगे
मारूफ आलम
हम आदिवासी जंगल को खूब समझते हैं
हम आदिवासी जंगल को खूब समझते हैं
मारूफ आलम
सरे आईना जुदा रहा कोई
सरे आईना जुदा रहा कोई
मारूफ आलम
अपनी सदाकत के अरकान नही मरने दिए
अपनी सदाकत के अरकान नही मरने दिए
मारूफ आलम
किस काम का ये मारा हुआ जिस्म
किस काम का ये मारा हुआ जिस्म
मारूफ आलम
नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको
नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको
मारूफ आलम
कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की
कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की
मारूफ आलम
कुरान दुनिया की हर एक जुबान तक पहुंचे
कुरान दुनिया की हर एक जुबान तक पहुंचे
मारूफ आलम
उसे देखकर आखिर क्यों मचल जाता
उसे देखकर आखिर क्यों मचल जाता
मारूफ आलम
पंसद नही हैं अगर तो भुला दे हमको
पंसद नही हैं अगर तो भुला दे हमको
मारूफ आलम
हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर
हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर
मारूफ आलम
तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक
तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक
मारूफ आलम
उस नन्हे मुन्ने परिंदे मे भी जान थी ऐ दोस्त
उस नन्हे मुन्ने परिंदे मे भी जान थी ऐ दोस्त
मारूफ आलम
रोने के दिन वापस आ गए क्या
रोने के दिन वापस आ गए क्या
मारूफ आलम
उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग
उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग
मारूफ आलम
कौन हमेशा के लिये कागज की स्याही बनेगा
कौन हमेशा के लिये कागज की स्याही बनेगा
मारूफ आलम
तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं
तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं
मारूफ आलम
मां प्यार से मेरा चेहरा जो पुचकारकर बैठ गई
मां प्यार से मेरा चेहरा जो पुचकारकर बैठ गई
मारूफ आलम
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