Manu Vashistha 88 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Manu Vashistha 24 May 2022 · 1 min read मुकरिया__ चाय आसाम वाली प्रातः उठने और जगने के बीच अलसाई सी, कुछ तो बात है उसे होठों से लगाते ही नींद की खुमारी भाग जाती, ना मिले तो बड़ा तड़पाती मित्र! कौन है... Hindi · कविता 3 523 Share Manu Vashistha 23 May 2022 · 2 min read अपराधी कौन ___________________ आज फिर डॉक्टर दीपक पीकर आया था, हमेशा की ही तरह तोड़फोड़ मचाना, मरने की धमकी और फिर बेसुध होकर बिस्तर पर सो जाना। उसकी पत्नी रीमा भी नामी... Hindi · लघु कथा 1k Share Manu Vashistha 19 May 2022 · 3 min read दीवार पर टंगी पिता की तस्वीर ✍️ आज पिता को गुजरे पूरा एक महीना हो चुका है। चलो सब कार्य अच्छी तरह से निपट चुका है। अब मैं भी, पत्नी को साथ लेकर, कहीं तीर्थाटन के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · लेख 2 4 165 Share Manu Vashistha 13 May 2022 · 1 min read हाइकु_रिश्ते हाइकु 🌷🌷🌷🌷 बड़े शहर गायब होते रिश्ते घुले जहर 🌷🌷🌷🌷 महक जाते इश्क के नमक से जवान रिश्ते 🌷🌷🌷🌷 क्रोध की गर्मी अक्सर खत्म करती रिश्तों की नर्मी 🌷🌷🌷🌷 रिश्तों... Hindi · हाइकु 406 Share Manu Vashistha 12 May 2022 · 2 min read एक पत्र बच्चों के लिए बोलती *लिखता तुमको यह पत्र, एक उम्र बाद, बूढ़े बच्चे बन जाते हैं और बच्चे पेरेंट्स बन, वही भूमिका परवरिश निभाते हैं। *तुम दोनों हैं जन्म से साथ, जीवन में... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 2 1k Share Manu Vashistha 22 Apr 2022 · 1 min read हाइकु पृथ्वी दिवस पर धरती माता तप रही, सूरज उगले आग! पर्यावरण के सुरक्षा प्रहरी अब तो जाग! जल में बाढ़ (निसर्ग/तूफान) धरती पे कोरोना नभ में टिड्डी मानव बैरी प्रतिशोध! पृथ्वी का है... Hindi · हाइकु 1 379 Share Manu Vashistha 17 Apr 2022 · 1 min read हाइकु__ पिता पिता____ 1_💕 जनक सुता पाए राम से वर खुश हैं पिता! 2_💕 सुनहुं तात! जग पसारे हाथ पुरी का भात 3_💕 नभ में रवि हम बच्चों के लिए पिता की... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · हाइकु 6 9 359 Share Manu Vashistha 14 Apr 2022 · 1 min read बंदर मामा गए ससुराल बंदर मामा पहन पजामा, पहुंच गए ससुराल हाथ में एक मोटी सी सोटी,गले में था रूमाल बोला अकड़ पकड़ कर चोटी,था गुस्से से लाल लेने आया हूं,छोड़ दे नखरे,चल मोटी... Hindi · बाल कविता 2 1k Share Manu Vashistha 11 Apr 2022 · 1 min read बेटियां! दोपहर की झपकी सी बेटियां होती हैं दोपहर की झपकी सी जब भी आती है, उतार देती हैं थकान झपकी देती है नई ऊर्जा, दोपहर बाद, सांझ में कार्य करने के लिए तो ऐसे... Hindi · कविता 1 2 269 Share Manu Vashistha 20 Jul 2021 · 2 min read मां ✍️ मां! मां की कोई उम्र नहीं होती मां बस मां होती है! चिर युवा भी, चिर वृद्धा भी!! छोटी उम्र में बच्चों की देखभाल में खुद को भुला देती... Hindi · कविता 1 420 Share Manu Vashistha 15 Jul 2021 · 1 min read बाल लीला ✍️ अंखियां चंचल,अधर धरी मुस्कान प्यारी एक फूल गोद, दूजौ खिलत केसर क्यारी।। सोचत गोरी, पहले काम निपटाय लऊं फिर तोहे लऊं गोदी, हर्षित महतारी।। मन में चिंता अनेक, उलझन... Hindi · कविता 535 Share Manu Vashistha 12 Jul 2021 · 2 min read मदद के हाथ ✍️ मदद के हाथ___ गांव से दूर शहर में बेटे बहू के साथ बुजुर्ग दंपत्ति रहने तो आगए, लेकिन आस पड़ौस से मेल मिलाप की पुरानी देसी रीत कायम रखे... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 4 484 Share Manu Vashistha 6 Jul 2021 · 3 min read सुनो बहू क्या लाई हो! ✍️उम्मीदों के ताने बाने से बुनी जिंदगी, कपड़ा बनाते समय ताने बाने का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिंदगी भी कुछ इसी तरह है। सुख_दुख, खट्टा_मीठा, अच्छी _बुरी, ये सभी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 639 Share Manu Vashistha 3 Jul 2021 · 3 min read दीवार पर टंगी पिता की तस्वीर ✍️ दीवार पर टंगी पिता की तस्वीर______ आज पिता को गुजरे पूरा एक महीना हो चुका है। चलो सब कार्य अच्छी तरह से निपट चुका है। अब मैं भी, पत्नी... Hindi · लघु कथा 1 420 Share Manu Vashistha 3 Jul 2021 · 2 min read केक की मिठास कांता बाई और केक की मिठास___ लॉक डाउन के बाद कांताबाई का आज काम पर जाना हुआ। अंदर ही अंदर डर समाया हुआ था पता नहीं काम पर रखेंगे या... Hindi · लघु कथा 3 1 374 Share Manu Vashistha 24 Jun 2021 · 1 min read संस्कृति ✍️ बड़े शहरों में फ्लैट संस्कृति!!!! अब घरों में #देहरी नहीं होती!! जिसे देख समझाया था, कभी देहरी पार करने का मतलब, अब घुटनों चलते बच्चे भी, पार कर, हो... Hindi · कविता 3 5 566 Share Manu Vashistha 31 May 2021 · 1 min read बरसात की आस ✍️ आषाढ़ मास कर गया उदास! सावन मास बरसात की आस! बरसों बीते अब तो बरसाओ! ना तरसाओ माना, हैं दोषी हम! पर्यावरण से करी जो छेड़छाड़! भुगत रहा निर्दोष... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 4 539 Share Manu Vashistha 10 May 2021 · 1 min read मानव!अब तो सुधरो धरती माता तप रही, सूरज उगले आग! मानव बने बैरी पर्यावरण के सुरक्षा प्रहरी अब तो जाग! धरती पे कोरोना नभ में टिड्डी जल में भी निसर्ग / (तूफान) प्रकृति... Hindi · कविता 1 1 284 Share Manu Vashistha 9 May 2021 · 1 min read मां मां___ 1_? है अनपढ़ फिर भी पढ़ लेती मेरे दर्द, मां! 2_? वरदान सी मेरे झुके सिर पे दे असीस, मां! 3_? नींद गंवाई ना करती आराम अनोखी है, मां!... Hindi · हाइकु 2 2 639 Share Manu Vashistha 11 Mar 2021 · 1 min read क्षणिकाएं! ✍️ क्षणिकाएं मायका! खुशियों का जायका कौन समझ पाएगा बारिश! नैहर जाने की आस भर देती उल्लास मां का आंगन! बहन भाई संग, बीता बचपन उछाल के चावल! गई जो... Hindi · मुक्तक 2 460 Share Manu Vashistha 3 Feb 2021 · 1 min read बहुत खास हो तुम! हां बहुत खास हो तुम दिल के बहुत पास हो तुम! सूरज की पहली किरण भोर की नई उजास हो तुम! ये प्यार, इश्क, मुहब्बत जीवन का आभास हो तुम!... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 50 463 Share Manu Vashistha 8 Jan 2021 · 1 min read मुकरिया ✍️_____ ओहो! ये भी ना, उसकी आवारा सी हरकत चूमना माथे, गालों को और लिपटना बेखौफ गले से, कौन है सखी? प्रियतम! नहीं सखी री! वो तो है, उड़ती बालों... Hindi · कविता 4 5 299 Share Manu Vashistha 8 Jan 2021 · 1 min read मुकरिया ✍️_____ रोज सवेरे छत पर दिखती वो भी मेरा इंतजार है करती बस मुझको ही दिखती इधर फुदकती उधर फुदकती कंधे पर सर वो धरती कौन है वो महबूबा परी?... Hindi · कविता 3 274 Share Manu Vashistha 31 Dec 2020 · 2 min read कोरोना कोविद19, योद्धाओं को समर्पित मेरी दुआएं! ✍️ कोरोना कोविद19, योद्धाओं को समर्पित मेरी दुआएं! विश्व आपदा के समय सभी #चिकित्सक, नर्सेज, सेना, पुलिस, मीडिया कर्मी और सभी स्वयंसेवी वॉलिंटियर्स आप सभी रियल जिंदगी के #नायक हैं।... Hindi · लेख 4 6 502 Share Manu Vashistha 28 Dec 2020 · 2 min read सुनो स्त्री! सुनो स्त्री! आधी आबादी! तुम इस धरती पर आधी आबादी की पूर्ण स्वामिनी हो। जब तुम अपने आप में बहुत कुछ संपूर्ण श्रेष्ठ हो, खुद को कमजोर क्यों समझती हो।... Hindi · लेख 3 2 279 Share Manu Vashistha 25 Dec 2020 · 1 min read यूं ही नहीं कहलाते चिकित्सक/ भगवान ✍️सभी चिकित्सकों को समर्पित ? यूं ही नहीं कहलाते चिकित्सक/ भगवान ?????? अपनी रातों की नींद छोड़ दूसरों के ख्वाब सजाते हैं भूख प्यास सब छोड़ सेहत दरकिनार कर जाते... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 38 610 Share Manu Vashistha 23 Dec 2020 · 1 min read फर्क है जरा सा ✍️ #फर्क है बस जरा सा..... इसलिए #संतुलन जरूरी है। लाड़ और मोह में, भोजन और भोग में, भक्ति और पूजा में, धर्म और आस्था में, ग्रंथ और गाथा में,... Hindi · कविता 5 377 Share Manu Vashistha 22 Dec 2020 · 1 min read सच बताना ✍️ सच बताना हे पुरुष! सच बताना मुझसे कुछ ना छुपाना झूठ के आवरण में बने श्रवण, संत सरीखे एक सच तो बोल कर दिखाना फिर मेरे दिल में जगह... Hindi · कविता 4 5 736 Share Manu Vashistha 22 Dec 2020 · 1 min read गांव की यादें ✍️कविता गर्म चाय में उठती भाप, गुड़,अदरक, लौंग की महक, खयाल मात्र से, एक नशा सा छा जाता, तुम्हारे रूई से मुलायम, सफेद बादल से बाल, पहाड़ों पर रुकी बारिश,... Hindi · कविता 3 2 613 Share Manu Vashistha 21 Dec 2020 · 1 min read प्रेमिका / पत्नियां ✍️ प्रेमिका/पत्नियां प्रेमिकाएं! स्वप्न सुनहरी, तो पत्नियां कटु यथार्थ होती हैं प्रमिकाएं! सतरंगी इंद्रधनुष सी तो पत्नियां मीठी धूप, छांव होती हैं प्रेमिका! श्रृंगार रस की कविता पत्नियां संस्कृति का... Hindi · कविता 6 11 309 Share Manu Vashistha 14 Sep 2019 · 2 min read हिंदी के मन की बात ✍️ हिंदी दिवस पर___ मैं #हिंदी, आज नगर भ्रमण पर निकली हूं। मीडिया की वजह से मुझे भी पता चला कि आज मेरा दिन है। अच्छा लगा, मेरे लिए इतना... Hindi · लेख 2 294 Share Manu Vashistha 12 Apr 2019 · 4 min read मन के मंजीरे मन के मंजीरे प्रौढ़ावस्था_ संघर्ष / सामंजस्य नई और पुरानी पीढ़ी में वैचारिक मतभेद हमेशा से चला आ रहा है। नई बात नहीं है, लेकिन जितनी दूरियां आज बढ़ गई... Hindi · लेख 2 470 Share Manu Vashistha 28 Mar 2019 · 1 min read बहुत खास हो तुम! ✍️बहुत खास हो तुम! हां! बहुत खास हो तुम, दिल के बहुत पास हो तुम! सूरज की पहली किरण, भोर की नई उजास हो तुम! नैराश्य भरी जिंदगी में, जीवन... Hindi · कविता 2 548 Share Manu Vashistha 19 Mar 2019 · 1 min read ओस की बूंदें और बेटियां ✍️कविता ओस की बूंदें और बेटियां, एक तरह से एक जैसी होती हैं। जरा सी धूप, दुख से ही मुरझा जाती हैं। लेकिन दे जाती हैं जीवन, बाग बगीचा हो... Hindi · कविता 2 1 476 Share Manu Vashistha 15 Mar 2019 · 1 min read कब आओगे ✍️ कब आओगे? हमेशा की तरह इंतजार करती निगाहें और मां का यक्ष प्रश्न कब आ रहे हो ........ मेरा भी हमेशा की तरह एक ही जवाब,दिलासा आ रहा हूं... Hindi · कविता 3 350 Share Manu Vashistha 8 Mar 2019 · 1 min read महिला दिवस पर, शुभकामनाएं ✍️ प्रकृति के हर रूप में नारी ही तो है। नारी में नव सृजन, अंकुरण की, धारण करने की अद्भुत क्षमता है। महिला दिवस पर शुभकामनाएं। प्रकृति के हर रूप... Hindi · कविता 2 1 430 Share Manu Vashistha 26 Nov 2018 · 3 min read ओ मां ! तुम धुरी हो घर की ! #ओ #मां, तुम #धुरी हो #घर की! मुझे आज भी याद है चोट लगने पर मां का हलके से फूंक मारना और कहना, बस अभी ठीक हो जाएगा। सच में... Hindi · कविता 4 4 273 Share Manu Vashistha 26 Nov 2018 · 1 min read वो रचियता, तुम ही तो हो, मां ! ✍️ मेरे आगमन की सूचना को, प्रथम जिसने बतलाया, मेरी हरकतों को, अहसास कर जिसने बतलाया, वो तुम ही तो हो मां, हां मां तुम ही तो हो! मेरी पहली... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 36 595 Share Previous Page 2