मंजूषा मन Tag: कविता 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मंजूषा मन 31 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटियाँ बेटियाँ, बचपन से ही अपने माता पिता की 'माँ' बन जातीं हैं, नन्ही हथेली से सहलाती हैं पिता का दुखता माथा, छिंतीं हैं माँ के हाथ से चकला बेलन।... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 3 3 604 Share मंजूषा मन 30 Jan 2017 · 1 min read नमक दाल में चुटकी भर नमक की घट- बढ़, पल में पहचान लेते हो तुम... फिर क्यों जीवन भर साथ रहकर भी नहीं पहचान पाते तुम मेरे आंसुओ का नमक। मंजूषा... Hindi · कविता 2 2 635 Share मंजूषा मन 3 Mar 2017 · 1 min read तुम्हारी यादें तुम्हारी यादें जंगल सी घनी हैं तुम्हारी यादें ऊँचे ऊँचे पड़े सटकर खड़े है बीच से गुजरती हवा सरसराते पत्तों का शोर सुकून देती शीतलता तुम्हारा स्पर्श... पांवों से उलझतीं... Hindi · कविता 2 1 684 Share मंजूषा मन 21 Mar 2017 · 1 min read कविता और दर्द दो तुम मुझे और दर्द दो और ज़ख्म दो और दो पीड़ा ये तो तुम्हें लगता है... कि तुम दर्द दे रहे हो ज़ख्म दे रहे हो असल... Hindi · कविता 2 1 521 Share मंजूषा मन 1 May 2017 · 1 min read ज़िंदाबाद एक मई पर.... ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद मजदूर दिवस ज़िंदाबाद... ज़ोर ज़ोर से नारे लगती भीड़, अधिकारो की मांग, नारों की बुलन्दी, मजदूर दिवस है आज, लड़ने का हौसला आज बहुत... Hindi · कविता 2 439 Share