मंजूषा मन 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मंजूषा मन 3 Mar 2017 · 1 min read तुम्हारी यादें तुम्हारी यादें जंगल सी घनी हैं तुम्हारी यादें ऊँचे ऊँचे पड़े सटकर खड़े है बीच से गुजरती हवा सरसराते पत्तों का शोर सुकून देती शीतलता तुम्हारा स्पर्श... पांवों से उलझतीं... Hindi · कविता 2 1 682 Share मंजूषा मन 30 Jan 2017 · 1 min read नमक दाल में चुटकी भर नमक की घट- बढ़, पल में पहचान लेते हो तुम... फिर क्यों जीवन भर साथ रहकर भी नहीं पहचान पाते तुम मेरे आंसुओ का नमक। मंजूषा... Hindi · कविता 2 2 631 Share मंजूषा मन 31 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटियाँ बेटियाँ, बचपन से ही अपने माता पिता की 'माँ' बन जातीं हैं, नन्ही हथेली से सहलाती हैं पिता का दुखता माथा, छिंतीं हैं माँ के हाथ से चकला बेलन।... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 3 3 600 Share मंजूषा मन 21 Mar 2017 · 1 min read कविता और दर्द दो तुम मुझे और दर्द दो और ज़ख्म दो और दो पीड़ा ये तो तुम्हें लगता है... कि तुम दर्द दे रहे हो ज़ख्म दे रहे हो असल... Hindi · कविता 2 1 520 Share मंजूषा मन 1 May 2017 · 1 min read ज़िंदाबाद एक मई पर.... ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद मजदूर दिवस ज़िंदाबाद... ज़ोर ज़ोर से नारे लगती भीड़, अधिकारो की मांग, नारों की बुलन्दी, मजदूर दिवस है आज, लड़ने का हौसला आज बहुत... Hindi · कविता 2 438 Share मंजूषा मन 21 Mar 2017 · 1 min read दोहा दोहा खेवनहारा आप ही, छोड़े जब मझधार। कैसे हो पाए कहो, जीवन नैया पार।। मंजूषा मन Hindi · दोहा 1 431 Share मंजूषा मन 15 May 2017 · 1 min read एक मुक्तक.. दिल को इसमें बड़ी ही राहत हो। रात दिन तेरी ही इबादत हो। सौ जनम भी अगर मिलें हमको, हर जनम में तुम्हारी चाहत हो। मंजूषा मन Hindi · मुक्तक 2 1 363 Share