Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" Tag: कविता 16 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 14 May 2021 · 1 min read "मुश्किल हो गया" गाँव-शहर बने श्मशान-क़ब्रिस्तान, बचना मुश्किल हो गया, अपने अपनों से बिछड़कर कुछ भी, कहना मुश्किल हो गया। ये सारे जख़्म बड़े गहरे हैं अब तो, सिलना मुश्किल हो गया, आँखों... Hindi · कविता 1 1 338 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 13 Sep 2020 · 1 min read मेरी माँ "हिंदी" अति आहत रग-रग में आप ही बहती हैं, सांसों में घुल-मिल रहती हैं... बगियन में सुमनों-सी खिलती हैं, उषा एवं शर्वरी-सी रम्य लगती हैं... निशदिन इन पलकों पर निदिया बन टिकती हैं,... Hindi · कविता 7 2 360 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 3 Aug 2020 · 1 min read "हृदय " की एक राखी आपके नाम आज फिर याद आ रही आपकी, ओ सभी मेरे वर्दीधारी भईया! भले मैं राखी न बांधूॅं पर कोई तो बांधें, सूनी रहें न आपकी कलाईयाँ। वो विद्यालय में हम सबका... Hindi · कविता 8 4 606 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 30 Jul 2020 · 1 min read बाल-कर्मवीर जागें हैं जो गहरी निद्रा से आज, कल उनको फिर से सो जाना है। फिर से किसी टपरी, भट्टी या होटल में, किसी नन्हें श्रमिक को नज़र आना है। उनके... Hindi · कविता 8 3 439 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 28 Jul 2020 · 1 min read ए ज़िंदगी : तू मेरी प्रिय सहेली मेरे ही तीर तू मेरे दिल पर चलाती है। मेरे ही दिये नुस्ख़े तू मुझपर आज़माती है। कभी-कभी बन अज़नबी-सी तू मुझसे ख़फा हो जाती है। जब मेरे दामन में... Hindi · कविता 8 11 412 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 28 Jul 2020 · 1 min read °•°[शब्द-सुमन "तात" को अर्पण]°•° मेरे गहरे से गहरे ज़ख्मों को भी, अक़्सर उनका वो छोटी-सी चोट बताना। असहनिय वेदना से मेरा तड़पना, तो उनका वो मन ही मन सिसक के रोना। एक बार को... Hindi · कविता 5 8 317 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 27 Jul 2020 · 1 min read {शहादत :- शूरवीरों की} तोहफ़े में गुलाब भेजता कोई, तो कोई शराब भेजता है। पर सबसे दानी तो वो बाप है जनाब! जो सरहद पर अपना नवाब भेजता है। सूरमाओं के वीरगाथा को सुनकर,... Hindi · कविता 7 8 325 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 23 Jul 2020 · 1 min read {"कलमकार" के "कलम" की कोर} करोड़ों में से किसी एक को, क़ामयाब कलमकार कहा जाता है। वो लिख दे यदि यथार्थ को, तो उसे मृषा पर अचूक वार कहा जाता है। हर्ष-विरह एवं क्रोध-उन्माद को,... Hindi · कविता 7 6 616 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 22 Jul 2020 · 1 min read •{ हृदय से "हृदय" संवाद }• मर्म में है ज्वलंत प्रचंड ज्वाला, क्रोध है विकराल तांडव करनें वाला। भले है अधरों पर मंजुल मुस्कान "हृदय" परंतु है कोई अंतर्मन रूदन करनें वाला। निज चरमसीमा पर संप्रति... Hindi · कविता 6 3 395 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 21 Jul 2020 · 1 min read "चंद्रमा" और "तारे" आसमां के मंजुल आंचल में, अंधकार-से काजल में...... ये जो मनमोहक झिलमिल तारें हैं, आकार में दिखतें लघु पर वो चंद्रमा से भी प्यारे हैं.... सारे जहाँ के सपनों में,... Hindi · कविता 6 5 365 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 3 Jun 2020 · 1 min read (हाय! ये राजनीति) नेताओं का काम है जो, वो निरंतर हर मौसम में ही करते रहतें हैं। राजनीति ही राजनीति, हर बार हर बात पर करते रहतें हैं। हत्या करके हादसा बताकर, बिखरी... Hindi · कविता 9 2 296 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 14 May 2020 · 1 min read "जहाँ हमारा" बेशक़ बसता होगा यहाँ सबके अंदर एक छोटा-सा शहर। पर हमारे अंदर तो एक बड़ा-सा जहाँ समाया है। छोड़ के सारे गम़-ए-दहर। खुशियों में करतें हैं बसर। अब और भी... Hindi · कविता 9 4 401 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 10 May 2020 · 1 min read मेरी "माँ" जब भी सिर पर तू हाथ फेरे तो मेरा सवेरा होता है। तेरी थपकी पाते ही तो मेरा अंधेरा होता है। तेरी आँचल की छांव किसी जन्नत से कम नहीं,... Hindi · कविता 5 2 604 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 7 May 2020 · 1 min read "निराशा" निराशा से क्या होगा हांसिल ? क्या तेरी सोई क़िस्मत जाग जायेगी? हताशा से क्या बनेगा तू क़ाबिल? क्या मंज़िल ख़ुद तुझ तक चलकर आयेगी? ये हँसनें और रोनें का... Hindi · कविता 7 2 315 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 5 May 2020 · 1 min read "काफ़िला" वक्त का एक दौर में हज़ारों की तरह ही, हम भी थे वक़्त के काफ़िले में शामिल। वक़्त का काफ़िला बोला हमसे, तेरा मेरे संग चलना है मुश्क़िल। फ़ैसला सुन ले मेरा,... Hindi · कविता 8 3 425 Share Rekha Sharma "मंजुलाहृदय" 4 May 2020 · 1 min read "अभिनय" मानवता का क्यों आदमी अब देखो ना हैवान हो गए? जन्में तो थे इंसान पर अब शैतान हो गए। बस निज हितों ख़ातिर हर एक काम करतें हैं, दूजों से सहानुभूति का... Hindi · कविता 8 7 416 Share