Mishra Durgesh 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mishra Durgesh 30 Jun 2018 · 1 min read मोह एक जाल है । सदा बहार को बहारता मनुष्य रोष से । वही चरित्र वान है बचा रहे जो दोष से । यहां न कोई दीन है न दीनता विभावरी । सभी के साथ... Hindi · कविता 227 Share Mishra Durgesh 2 Jul 2018 · 1 min read इंसान बनों एहसान करो इंसान बनों । तजकर तुम छुद्र विचारों को । अपनी मानवता की झोली भरले करके उपकारों को । इंसान ईश्वरी विद्या को पाता है अपने जीवन में ।... Hindi · कविता 485 Share Mishra Durgesh 2 Jul 2018 · 1 min read मैंने दो रस पीने वाले को देखा । मैं देख रहा दो रस पी को । एक पीकर लेता झपकी को । एक पड़ा पंक गंदी नाली । एक पीकर था पंकज डाली । एक पीकर पाता गाली... Hindi · कविता 433 Share Mishra Durgesh 8 Jul 2018 · 1 min read अधिकारी का अधिकार नही देखता जो अधिकारी अपने पद की गरिमा को । करता है अपराध रिश्वती खो देता निज महिमा को । पीकर के अपराधी प्याला हो जाता मदहोश । सच्चा निर्णय... Hindi · कविता 367 Share