manan singh Language: Hindi 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid manan singh 20 Nov 2016 · 1 min read चोर(लघु कथा) चोर(लघु कथा) ************ गाँव में चोरों का प्रकोप बढ़ रहा था। लोग परेशान थे।आये दिन किसी-न-किसी घर में चोरी हो जा रही थी। ग्राम प्रधान ने नई योजना बनाई। पूरा... Hindi · कहानी 1k Share manan singh 11 Jan 2017 · 1 min read चोटियों को मापती हैं बेटियाँ अब गगन 2122 2122 212 चोटियों को मापती हैं बेटियाँ अब गगन बन बोलती हैं बेटियाँ।1 हो रहे रोशन अभी घर देख तो रूढ़ियों को तोड़तीं है बेटियाँ।2 अब नहीं काँटे चुभेंगे... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1 533 Share manan singh 18 Oct 2016 · 1 min read हिंदी गजल/गीतिका #गीतिका# *** टूटता रहता घरौंदा फिर बनाना चाहिये जोड़कर कड़ियाँ जरा-सा गुनगुनाना चाहिये।1 जिंदगी से दर्द का बंधन बड़ा मशहूर है जब समय थोड़ा मिले तो मुस्कुराना चाहिये।2 तीर ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 502 Share manan singh 24 Oct 2016 · 1 min read चलो रोशनी..... गीतिका/हिंदी गजल#(दीप-पर्व पर) (वाचिक भुजंगप्रयात छंद) *** *********************** चलो रोशनी को जगाने चलें हम अँधेरे यहाँ से हटाने चलें हम।1 रहे माँगते इक किरण का सहारा लिये दीप कर में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 517 Share manan singh 10 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ चोटियों को मापती हैं बेटियाँ अब गगन बन बोलती हैं बेटियाँ।1 हो रहे रोशन अभी घर देख तो रूढ़ियों को तोड़तीं है बेटियाँ।2 अब नहीं काँटे चुभेंगे पाँव में रास्तों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 460 Share manan singh 11 Sep 2016 · 1 min read गजल #गजल# *** नहीं चाहता जो कराती, बता दे, अलग राह तू क्यूँ चलाती बता दे?1 बहुत दूर पीछे रखा था नशा को, मगर बास घर से ही' आती,बता दे।2 नियम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 387 Share manan singh 14 Oct 2016 · 1 min read गजल(सरहद) #गजल# *** होंगे उनके ढ़ेरों मकसद भूल गये हैं वे अपनी जद।1 पढ़ते स्वार्थ- पुराण बहुत ही उनके अपने-अपने हैं पद।2 धरती को गाली बकते हैं बढ़ जाता लगता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 414 Share manan singh 25 Nov 2016 · 1 min read अपरिचित पल- पल से मैं आज अपरिचित जानी-सी आवाज अपरिचित।1 उड़ता जाता दूर गगन में फिर भी है परवाज अपरिचित।2 मंजिल के कुछ पास पहुँच कर लगता है आगाज अपरिचित।3 भेद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 262 Share manan singh 13 Oct 2016 · 1 min read हर सुबह दीया बुझाता हूँ हर सुबह दीया बुझाता हूँ शाम होते फिर जलाता हूँ।1 टूटते रहते यहाँ सपने आस मैं फिर से लगाता हूँ।2 कौन कहता है खता अपनी क्यूँ भला खुद की बताता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 235 Share manan singh 8 Jan 2017 · 1 min read दिन बदलते...... दिन बदलते देर लगती कब बता? भेड़ बनकर घूमता है भेड़िया।1 लूटकर सब ले गया हर बार ही माँगता है जो बचा फिर से मुआ।2 मुंतजिर हम रह गये होती... Hindi · कविता 236 Share manan singh 10 Oct 2016 · 1 min read गजल(लूट का धंधा करें जो वे सभी रहबर हुए) लूट का धंधा करें जो वे सभी रहबर हुए जिंस कुछ जिनकी नहीं है आज सौदागर हुए।1 आशियाने जल रहे सब हो रहे बेघर यहाँ, अब परिंदे क्या उड़ेंगे लग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 231 Share manan singh 12 Oct 2016 · 1 min read गीतिका अभी तो बस जरा हमने कला अपनी दिखायी है समझ में लग रहा उसको भली सब बात आयी है।1 अमन की कोशिशों को अब तलक वह ढ़ोंग कहता था, लगा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 239 Share manan singh 16 Oct 2016 · 1 min read यूँ ही मरने की बात न कर गजल# *** यूँ ही मरने की बात न कर जीवन ऐसे सौगात न कर।1 रहमत है तू यार खुदा की कैसे भी तो खैरात न कर।2 आँख लड़ी तब मर्ज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 210 Share