Mahender Singh Tag: कुण्डलिया 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahender Singh 11 Nov 2021 · 1 min read मर्यादा नहीं अब कोई मर्यादा, कहीं कम और ज्यादा, काम वही बिचौलिये , रहते आधे पर आमदा. रहते आधे पर आमदा, हक का भी नहीं देते, कागद कर पूरे रखते, अधिकारी... Hindi · कुण्डलिया 2 2 505 Share Mahender Singh 7 Nov 2021 · 1 min read करुणा शील सुविधा से वंचित न रहे, मिले सबको समान, जो है सार्वजनिक, मिले सबको सह सम्मान. मिले सबको सह सम्मान, न कोई भूखा सोये मिले सबको सहयोग,क्यों व्यर्थ कोई रोनारोये. कह... Hindi · कुण्डलिया 1 1 531 Share Mahender Singh 7 Nov 2021 · 1 min read गुप्त मतदान संविदा एक न्याय ग्रंथ, सब करो तां सम्मान, अधिकार कर्तव्य रक्षा करे,तुरंत लेता संज्ञान. तुरंत लेता संज्ञान, प्रशासन करे जनता रेकी कार्यपालिका न्यायपालिका और विधायकी. कह महेन्द्र कविराय,लोकतंत्र अनोखी देखी.... Hindi · कुण्डलिया 1 1 584 Share Mahender Singh 7 Nov 2021 · 1 min read छंद कुण्डली मनोरथ नहीं है मनोबल, चाहत सकल जहान् आत्मविश्वास जगाय के,आत्मबल ले पहचान. आत्मबल ले पहचान, होय सकल सब जगत. देखता रह जाये जगत, रहे न कोई अंधभगत, कहे महेन्द्र कविराय... Hindi · कुण्डलिया 1 1 669 Share Mahender Singh 5 Aug 2021 · 1 min read ख्वाहिश ख्वाब तो नवाबों वाले, तिनके तोडने नहीं दो, विचारधारा बीच मझधार,कहते फँसे रहण दो, कहते फँसे रहण दो, निकले हों, सब इकसार, देखो सब बाट नहीं होता सबका सम व्यवहार... Hindi · कुण्डलिया 5 4 670 Share Mahender Singh 1 Aug 2021 · 1 min read परिचय छंद बंध कला, योग और साधना, एक एक कर इनको सदा जानना इनको सदा जानना,व्यर्थ न जपना, कह सुधीजन सभी, कौन है अपना, भूखे से भूख जान, मन से दरिद्रता.... Hindi · कुण्डलिया 3 3 459 Share Mahender Singh 1 Aug 2021 · 1 min read दोस्त राह एक आदमी दो,आदत पसंद लोग, कुछ तुम चाह रखो,बैठ सके एक जोग. बैठ सके एक जोग, पनप जाता है लोभ दर्शक सभी कहे प्रभावी हो जाता क्षोभ अब राह... Hindi · कुण्डलिया 2 4 511 Share Mahender Singh 11 Apr 2020 · 1 min read दोपहर के समय दिन देखया न रात, कितके सुबेरा शाम, याद रहया हरदम, यो दुपहरी का घाम, यो दुपहरी का घाम,चाहवे घणा आराम, मजूर माणस निभाते, भूले नमक हराम, ढोर बैठ जुगाली करते... Hindi · कुण्डलिया 3 6 631 Share Mahender Singh 23 Mar 2020 · 1 min read बेहोशी छोडे कानों में लीड लगी,ढांप कर चले मुँह. नियति ख्याल किसे,खोपडी चढ़े बूह. खोपडी चढ़े बूह, कौन किसको गामे, खुद मतवाले इतने,न सुने न ही शामे, टोके ये प्रबुद्ध समाज, छोड़... Hindi · कुण्डलिया 2 1 403 Share Mahender Singh 31 Aug 2018 · 1 min read कुण्डलिया ..हरियाणवी इब के नया होग्या जिब के पुराना था, हांगे आले मारैं मसकोड़ा हाल बुरा होग्या, हाल बुरा होग्या फैला अखत अंधकार, माणस माणस का बैरी होग्या,यो धर्म नहीं. जात-पात और... Hindi · कुण्डलिया 3 1 410 Share