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हिन्दी का मैं इश्कजादा
प्रेमदास वसु सुरेखा
मैं पुलिंदा हूं इंसानियत का
प्रेमदास वसु सुरेखा
अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति क्या है
प्रेमदास वसु सुरेखा
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
प्रेमदास वसु सुरेखा
एक एक ईट जोड़कर मजदूर घर बनाता है
प्रेमदास वसु सुरेखा
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
प्रेमदास वसु सुरेखा
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
संवेग बने मरणासन्न
प्रेमदास वसु सुरेखा
पैमाना सत्य का होता है यारों
प्रेमदास वसु सुरेखा
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
प्रेमदास वसु सुरेखा
फिर से आयेंगे
प्रेमदास वसु सुरेखा
दुआ किसी को अगर देती है
प्रेमदास वसु सुरेखा
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
प्रेमदास वसु सुरेखा
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
प्रेमदास वसु सुरेखा
वसुत्व की असली परीक्षा सुरेखत्व है, विश्वास और प्रेम का आदर
प्रेमदास वसु सुरेखा
रेत समुद्र ही रेगिस्तान है और सही राजस्थान यही है।
प्रेमदास वसु सुरेखा
प्रेम नि: शुल्क होते हुए भी
प्रेमदास वसु सुरेखा
आज भगवान का बनाया हुआ
प्रेमदास वसु सुरेखा
सपनों के सौदागर बने लोग देश का सौदा करते हैं
प्रेमदास वसु सुरेखा
कर्म परायण लोग कर्म भूल गए हैं
प्रेमदास वसु सुरेखा
वर्तमान समय में संस्कार और सभ्यता मर चुकी है
प्रेमदास वसु सुरेखा
जीवन में जब विश्वास मर जाता है तो समझ लीजिए
प्रेमदास वसु सुरेखा
गल्प इन किश एंड मिश
प्रेमदास वसु सुरेखा
वर्तमान दौर में सच का रास्ता बहुत मुश्किल है
प्रेमदास वसु सुरेखा
कभी न खत्म होने वाला यह समय
प्रेमदास वसु सुरेखा
अपने हुए पराए लाखों जीवन का यही खेल है
प्रेमदास वसु सुरेखा
स्त्री का प्रेम ना किसी का गुलाम है और ना रहेगा
प्रेमदास वसु सुरेखा
सत्यता वह खुशबू का पौधा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
मुझे न कुछ कहना है
प्रेमदास वसु सुरेखा
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
प्रेमदास वसु सुरेखा
महात्मा ज्योतिबा फुले
प्रेमदास वसु सुरेखा
ये कैसा भारत देश बना
प्रेमदास वसु सुरेखा
फिर आयेंगे दोस्तों
प्रेमदास वसु सुरेखा
क्यों ना धूम मचाएगा
प्रेमदास वसु सुरेखा
सद्गुरु कबीर
प्रेमदास वसु सुरेखा
क्या हुआ आपको
प्रेमदास वसु सुरेखा
वीर की शोभा
प्रेमदास वसु सुरेखा
ऐ वसुत्व अर्ज किया है....
प्रेमदास वसु सुरेखा
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
प्रेमदास वसु सुरेखा
दुनिया इश्क की दरिया में बह गई
प्रेमदास वसु सुरेखा
****शिरोमणि****
प्रेमदास वसु सुरेखा
रणक्षेत्र बना अब, युवा उबाल
प्रेमदास वसु सुरेखा
***संशय***
प्रेमदास वसु सुरेखा
गुरु मांत है गुरु पिता है गुरु गुरु सर्वे गुरु
प्रेमदास वसु सुरेखा
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
प्रेमदास वसु सुरेखा
मै अपवाद कवि अभी जीवित हूं
प्रेमदास वसु सुरेखा
मानवता की बलिवेदी पर सत्य नहीं झुकता है यारों
प्रेमदास वसु सुरेखा
मैं अपवाद कवि अभी जीवित हूं
प्रेमदास वसु सुरेखा
पर हिम्मत कभी हारी नही
प्रेमदास वसु सुरेखा
चलो सच को गले लगाते हैं
प्रेमदास वसु सुरेखा