प्रेमदास वसु सुरेखा Tag: मां बेटी 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रेमदास वसु सुरेखा 16 May 2023 · 2 min read प्रतिलिपि स्वयं का प्रतिरुप स्वयं का चीत्कार उठी,चिंकार बनी,किस के मन की आवाज बनी। वो राग हुआ,विराग हुआ, किस के जीवन अभिशाप बनी। बैठी इक माँ सोच रही हाँ प्रतिबिंब वो मेरा साकार... Poetry Writing Challenge · मां बेटी · मानवता का गुण · मानवता ना मरने दू 1 131 Share