Madhu Shah 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Madhu Shah 25 Aug 2024 · 1 min read *न्याय दिलाओ* *न्याय दिलाओ* है संजय अब आ जाओ बंगाल की पीड़िता का आंखों देखा हाल सुनाओ यह बड़ी दुखद मौमिता की कहानी जिसे पूरी दुनिया को है सुनानी जिसकी चीखें... Hindi 201 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read बूढ़ा बापू 60 वर्ष होते ही मेरा बापू कितना मुस्कुराया था उसमें भी वटवृक्ष की तरह खडा बड़प्पन आया था सीनियर सिटीजन का हर जगह फायदा उठाया था यात्राओं में तो 40... Hindi · गुमसुम · बुढा · सहमा · सीनियर सिटीजन 1 388 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read यादों के शहर में आज मेरे यादों की शहर में बारिश हुई होगी घर के कोने की ताल तलैया भरी होगी बच्चों की टोली नाव बनाने में लगी होगी आज मेरे शहर का तोता... गिल्ली डंडा · नाव · बारिश · बूढ़ा तोता · यादें 1 262 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read - आम मंजरी फागुन अभी चढ़ा ही नहीं आम का पुराना पेड़ फिर फागुन गाने लगा अपनी सारी डालो को फुनुगुआ ने लगा बौर आने लगा बौर आने लगा बूढ़ा पेड़ भी यौवन... Hindi · डाल · फागुन · बौर · शोर · हवा 1 675 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read *मैं पक्षी होती एक शुष्क सी डाली पर एक पक्षी का जोड़ा आसमानी आसमां में बंद आंखों से एक दूसरे में खो रहा था प्यार का एक नया गीत बो रहा था काश... आवाज़ · ईर्ष्या · पक्षी · पंख · प्यार 1 286 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read पर्यावरण संरक्षण* 5 जून पर्यावरण दिवस कुछ सरकारी आयोजन कुछ विज्ञापन आएंगे सारे अखबार सुर्ख़ियों में पर्यावरण संदेशों से भर जाएंगे व्हाट्सएप व सोशल मीडिया शुभकामनाओं से भर जाएंगे सभी लोग पेड़... परस्थिति · पेड़ · संरक्षण 1 292 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read पतंग* मुझे बचपन में भी न भाता था एक पतंग को बांधकर उड़ाना उसको कठपुतली की तरह डोर से चलाना कभी ऊपर कभी नीचे ले आना पतंगों को आपस में लड़ाना... Hindi · कठपुतली · खत्म · डोर · पतंग · लड़ाना 1 327 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read *पृथ्वी दिवस* धरा ने कहा मेरे गर्भ को पहचानो मत काटो मेरे भ्रूण को मुझे थोड़ा तो जानो मेरे पेट मे पड़ी जड़ों को पहचानो मत खड़ी करो इतनी इमारतें केवल रहने... पृथ्वी · पेड़ · प्यार · भ्रूण · हत्यारे 1 258 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read प्रकृति का गुलदस्ता प्रकृति का सुंदर गुलदस्ता धर्म के नेता बिखरा रहे हैं देखो प्रकृति को आपस में लड़ा रहे हैं आज कुछ अक्षय तृतीया में सूरज को अपना बता रहे हैं कुछ... अज्ञानता · गुलदस्ता · नेता · बिखरना · सुंदरता 1 290 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read शिवरात्रि प्रकृति की बारात लिए आज आई एक रात ये है माघ की महानिशा बदल देगी सारी दशा भर देगी ऊर्जा का नशा धरा से कैलाश तक हर और खुशी की... Hindi · प्रकृति · बारात · ब्याह · मंगल गीत · माघ 1 268 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read शिक्षकों को प्रणाम* आज मुझे मेरे शिखर तक ले जाने वाली मां को शत-शत प्रणाम मुझे सबसे पहले मुस्कुराना सिखाया प्रथम अक्षर ज्ञान भी मां ने ने कराया दूसरा शिक्षक पिता के रूप... Hindi · गूगल · ज्ञान · मां · लखनी · शिखर 1 202 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read मूक सड़के यह मूक सड़कें कितना बोझ ढोंयेगी पड़ गए इसकी काया में अनगिनत छाले फिर भी कभी वाहनों का बोझ सभी जनमानस का शोर सड़क के कंधे थक गए हैं ढोते-ढोते... Hindi · कंधे · भोज · मूक · वाहन · शोर 1 178 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read सूर्योदय मुझे अच्छा लगता है जब मैं सूर्योदय से पहले उठ जाती हूं गंगा किनारे सीढ़ियों में सूर्य उदय के लिए आकाश की ओर टकटकी लगा कर देखती हूं मुझे अच्छा... अंतर्मन · चिड़िया · तितलियाँ · पुष्प 1 228 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read होली बसंत ऋतु आते ही प्रकृति का उत्सव छाया धरती रंग बिरंगी हो आई नई कलियां नई फूल ले आई प्रकृति नए रंगों से सज आयी धरा दुल्हन सी लगती चलो... Hindi · उत्सव · प्रकृति · बसंत · सूर्यास्त 1 332 Share Madhu Shah 22 May 2024 · 1 min read दिल का गुस्सा मुझे बहुत गुस्सा आता है जब अपने ही बच्चे खाने की टेबल में मुझसे कुछ छुपाने के लिए मुझे ना बताने के लिए फर्राटे दार अंग्रेजी में बतियाते हैं मुझे... अंग्रेजी · अनपढ़ · गवारं · गुस्सा · व्यवहार 1 257 Share Madhu Shah 22 May 2024 · 1 min read अच्छा लगना मुझे अच्छा लगता है जब मैं सूर्योदय से पहले उठ जाती हूं गंगा किनारे सीढ़ियों में सूर्य उदय के लिए आकाश की ओर टकटकी लगा कर देखती हूं मुझे अच्छा... अनकही · कविता · तितली · बगिया · सूर्य 1 203 Share Madhu Shah 22 May 2024 · 1 min read शीत लहर चल पड़े सर्दियों का मिजाज देखने मौसम की रंगत का मिजाज देखने सरसराती हवायें अलावों की कमी शवदाह पर तापते ठिठुरते निर्धन जन चल पड़े सर्दियों का मिजाज देखने शीत... ओस · ठंड · ठिठुरन · धरती · सर्दी 2 193 Share Madhu Shah 22 May 2024 · 1 min read मुझे ना पसंद है* मुझे ना पसंद है वह पंखे की वो हवा जो वजन के अभाव में टेबल पर पड़ी हमारी कविताएं गिरा देती है मुझे ना पसंद है वो बंद दरवाजे जिसके... Hindi · टेबल · दरवाजे · नापसंद · मोहर · वजन 1 243 Share Madhu Shah 22 May 2024 · 1 min read सत्यम शिवम सुंदरम हे केदारेश्वर देख आकाश लाल बिंदी लगाए आ रहा है कभी शर्मा रहा है बादल के घुंघट में अपना मुंह छुपा रहा है हर पुष्प खिल खिला रहा है पंछी... Hindi · आकाश · केदारेश्वर · गंगातट · पंछी 1 255 Share Madhu Shah 21 May 2024 · 1 min read खामोश किताबें खामोश पड़ी यह किताबें दिमाग के कल पुर्जे खोलती कभी हमें लड़ना सिखाती कभी चुप रहना बताती कभी समाज का डर भगाती हमें हमारे अधिकार बता हमारी रातों की नींद... आराम · किताबें · चुप · रुलाती · हंसाती 1 271 Share Madhu Shah 21 May 2024 · 1 min read प्रकाशोत्सव एक नया उत्सव दिल का दिया बुझी बाती प्रेम का तेल भर डालना फिर चासना नया उजास नई ज्योति पुराने गिले-शिकवे सारे भूल जाना अतीत की खराब यादों को... 1 150 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read प्रकृति का मातृ दिवस आज देखा है वात्सल्य सृजन करती प्रकृति को मिट्टी में जन्मे बीज को उसमें भी तो वात्सल्य भरा है देखो उन पहाड़ों को जो सृजित करते हैं पेड़ पौधे पोषते... Hindi · पंछी · प्रकृति · वात्सल्य · सृजन 1 231 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read मेरा तकिया सृष्टि की कोई रचना बेजान नहीं होती मैं और मेरा तकिया रोज बातें करते हैं जिसकी गोद सर रखकर मैं दसों घंटे गुजारती हु मेरे आत्मीय संवादों को दिल से... Poetry Writing Challenge-3 · गोद · तकिया · नींद · रात · सृष्टि 2 374 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read बसंत पंचमी देखो केसरिया चुनर से सारी धरती सज आई बसंत पंचमी आई पीली पीली सरसों देख धरती भी मुस्काई टेसू छटा बिखेर रहे थे तितलियां बागों में आई रंग बिरंगे फूल... Poetry Writing Challenge-3 · केसरिया · कोयल · चूनर · बसंत · सरसों 2 247 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read अनकहा जिंदगी में बहुत कुछ कहा जिंदगी में बहुत कुछ सुना फिर भी कुछ अनकहा रहा इस कहे और अनकहे के बीच एक है दरार जिसे पाटती है मेरी कविता जो... Poetry Writing Challenge-3 · अनकहा · आंखों · कविता · जिंदगी 2 224 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read आंखों की नदी एक नदी मेरी आंखों में भी बहती है कितनी बुझी अनबुझी कहानी कहती है कितने टेढ़ी-मेढे रास्तों से गुजरती है कभी पत्थरों से टकराती है लेकिन किसी से कुछ ना... Poetry Writing Challenge-3 · आंखों · किस्से · चांद · नदी · सूरज 2 307 Share