भूरचन्द जयपाल Tag: कविता 232 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next भूरचन्द जयपाल 12 Apr 2018 · 1 min read जिंदगी जिंदगी जीना सीख ले मानव भेद धर्म-सम्प्रदाय छोड़ जी ले नहीं मिलेगा ये जीवन फिर छोड़ बैरभाव जी ले पी ले अमृत-रस जीवन है ये थोड़ा मानव कुछ निमिषों का... Hindi · कविता 1 555 Share भूरचन्द जयपाल 12 Apr 2018 · 1 min read प्रेम गीत शेर सुनना और सुनाना तो एक रीत है प्यार करना तो सिर्फ प्रीत है इसमें न कोई नफरत की भीत है यही तो इसकी अनोखी रीत है इसीलिए तो लिखे... Hindi · कविता 1 587 Share भूरचन्द जयपाल 8 Apr 2018 · 1 min read सिर्फ जय भीम नमोबुद्धाय से नहीं चलेगा काम सिर्फ जय भीम नमो बुद्धाय से नहीं चलेगा काम बढ़ना है तो कर दो सारे रस्ते कर दो उनके जाम करना हो कुछ काम तो साथी हो जाओ ..................इकसाथ भूलभुलैया... Hindi · कविता 1 496 Share भूरचन्द जयपाल 4 Apr 2018 · 1 min read * ऐ सखी ! ठहर इक पहर ठहर * ऐ सखी ! ठहर इक पहर ठहर यादों की दुनियां का सुंदर मंजर छोटे से दृश्यांकन चित्रयन्त्र पर अंकित कर लूं यादों का सफर जब होंगे हम दिन-दिन और बडे... Hindi · कविता 2 1 288 Share भूरचन्द जयपाल 3 Mar 2018 · 1 min read * जो बुरा लगे तुम्हें कभी * जिंदगी के सफर में ऐसा भी मोड़ आता है जिसे भुलाया नहीं जा सकता तब मौत जिंदगी से अच्छी लगती है कभी प्यार तो कभी नफरत अच्छी लगने लगती है... Hindi · कविता 1 475 Share भूरचन्द जयपाल 2 Mar 2018 · 1 min read * एक थी वो हसी * एक चांद था, एक मैं और एक थी वो हसी क्या गम था क्या खुशी सब बांट लेते थे हम मगर आज चांद में लग चुका है दाग़ वो भी... Hindi · कविता 1 531 Share भूरचन्द जयपाल 24 Jan 2018 · 2 min read * एक ओर अम्बेडकर की आवश्यकता * एक ओर अम्बेडकर की आवश्यकता एक ऐसा शख़्स जो अभावो में पला यह नहीं कह सकते हम क्योंकि वह अभावों को ठेलता हुआ आगे निकला वक्त का सीना चीरते समाज-ए-चिराग... Hindi · कविता 1 521 Share भूरचन्द जयपाल 5 Nov 2017 · 1 min read *** फर्क दिलों-जिस्म में हो ना *** फ़िजा में आज घुली है जमाने-भर की आबे-बू कुछ क्षण गुस्ल कर लूं प्यार की बारिश में यूं खुदा की खुदाई आये मेरे आँचल में चुपके से मुझे ना ग़म... Hindi · कविता 1 731 Share भूरचन्द जयपाल 15 Oct 2017 · 1 min read ** बस एक तेरी ही कमी है ** अब मैं अपनी बर्बादियों से क्या कहूं वो आबाद रही जीवनभर मैं भागता रहा जीवनभर और सलीका मुझे जीने का कब था मैं यूंही राहे-जिंदगी में आ गया वो मुझको... Hindi · कविता 1 616 Share भूरचन्द जयपाल 11 Oct 2017 · 2 min read *** स्वच्छता अभियान चल रहा *** दिनांक 11.10.17 स्वच्छता अभियान चल रहा देखो स्वच्छता अभियान चल रहा लोग अपने घरों का कूड़ा-करकट फैंक रहे जी-भर घर-भर का भारत सरकार चला रही देखो स्वच्छता अभियान चल रहा... Hindi · कविता 2 610 Share भूरचन्द जयपाल 1 Oct 2017 · 1 min read * सकल जगत में रमते दोनों * श्याम श्याम रटते रहो दिन हो चाहे रात श्याम श्याम ही को हरते जीवन में करते प्रकाश राम नाम जपते रहो रमता सकल जहान राम बिना सब सूना जग है... Hindi · कविता 1 312 Share भूरचन्द जयपाल 25 Sep 2017 · 1 min read ख़ुदा भी आसमां से ........... किस्मत भी कितनी अजीब है कोई घरवाली पाकर रो रहा है तो कोई घरवाली खोकर रो रहा है कोई घर लाकर रो रहा है तो कोई घर लाने के लिए... Hindi · कविता 1 486 Share भूरचन्द जयपाल 6 Sep 2017 · 1 min read *** यू एण्ड मी *** यू एण्ड मी सम डिस्टेंस यू एण्ड मी फिजिकली नॉट स्पिरिचुअली आई नीड यू आई लाईक यू आई फील यू आई डील यू व्हाई यू एंड मी बोथ आर फ्रेंड... Hindi · कविता 1 328 Share भूरचन्द जयपाल 6 Sep 2017 · 1 min read *होश खोकर जिंदगी कभी अपनी नहीं होती* मत कर खत्म जिंदगी की महक महखाने में जाकर लौट कर जब तलक आयेगा चूमेंगे तुम्हारा वदन गली के सब श्वान मिलकर महक का आभास लेंगे गिरकर गली के उस... Hindi · कविता 1 431 Share भूरचन्द जयपाल 1 Sep 2017 · 1 min read *** इतनी फुर्सत कहां *** इतनी फुर्सत कहां मिलती है हमको जो तेरा सूरत-ए-हाल लिखें हम माल हमारा है बिके चाहे ना बिके जमाने का हाल क्या लिखें जमाने ने छीना है सुखचैन हमारा अब... Hindi · कविता 1 495 Share भूरचन्द जयपाल 24 Aug 2017 · 1 min read ** उस वेवफा से क्या कहें ** उस वेवफा से क्या कहें हाल -ए -दिल अपना जिसे हाल-ए-दिल खुद अपना पता नहीं मिलती थी खुद जिद से अपनी मुझसे आज क्या हुआ उसको पता नहीं रोती थी... Hindi · कविता 1 329 Share भूरचन्द जयपाल 21 Aug 2017 · 1 min read ** बादळी सुहावणी ** दिवाळी ने दीप जलास्यां बाती करसी रात्यां राती । इब आवण वाळी काती ने रात्यां करस्यां आपां राती ।। ?मधुप बैरागी *बादळी सुहावणी* ****************************** बादळी सुहावणी तूं विचरे चारों ओर... Hindi · कविता 1 386 Share भूरचन्द जयपाल 19 Aug 2017 · 1 min read *हम संसार चाहते हैं वो संसार से पार लगाना* कब बिगड़ी है दुनियां उसकी जिसने इंसान से बना के रखी लोग केवल ढोंग करते है उस ईश्वर से दोस्ती निभाने का वह तो हमेशा से तत्पर है हमें गले... Hindi · कविता 1 358 Share भूरचन्द जयपाल 11 Aug 2017 · 1 min read ** प्यार निभानेवाला नहीं मिला ** सुख के साथी मिले हजारों दुःख में साथी नहीं मिला नींद चुरानेवाले मिले बहुत कोई गोद सुलानेवाला नहीं मिला प्यार जताने वाले मिले बहुत पर प्यार निभानेवाला नहीं मिला ।।... Hindi · कविता 1 468 Share भूरचन्द जयपाल 9 Aug 2017 · 1 min read **** आघात **** पहुंचा हो आघात अकारण किसी को मेरे कारण आज मैं करता हूं परिताप हो गई हो अगर भूल मुझसे आज लगा हो अकारण ही आघात फिर भी मानता हूं अपराध... Hindi · कविता 1 365 Share भूरचन्द जयपाल 5 Aug 2017 · 1 min read *** सवेरा *** कल जब मै नींद से जागा तो सूरज निकल चुका था सौचा सवेरा हो गया परन्तु आँखों के आगे अब भी अंधेरा कायम था लोगों से सुन रहा था कि... Hindi · कविता 1 297 Share भूरचन्द जयपाल 5 Aug 2017 · 1 min read **** तबस्सुम *** तबस्सुम कब तलक नजरों से मेरी दूर रह पाओगी कब तलक निगाहों से आँखें चुराओगी कब तलक ओंठो से मेरे दूर रह पाओगी तबस्सुम कब तलक मुझसे दूर रह पाओगी... Hindi · कविता 1 381 Share भूरचन्द जयपाल 5 Aug 2017 · 1 min read *** प्लीज हमें ब्लॉक कर दें *** 5.7.17 ** प्रातः ** 8.55 हसीनाओं से गुजारिश है प्लीज़ हमें ब्लॉक कर दें कल देख हुस्न उनका यदि हृदय में इश्क पैदा हो जाये और हम तारीफ़ कर बैठे... Hindi · कविता 1 600 Share भूरचन्द जयपाल 2 Aug 2017 · 1 min read **** हूं रूख मरुधरा रो **** हूं रूख मरुधरा रो केर नाम है म्हारो विषम सूं विषम टेम में भी मैं ऊभो रहूं ***** अकास म्हारी ओर देखे है टुकुर-टुकुर अर सोचे मन में ओ बिरखा... Hindi · कविता 1 281 Share भूरचन्द जयपाल 1 Aug 2017 · 1 min read *** कुछ तो हक़ीक़त है *** मेरी हर बात हकीकत नही होती पर हकीकत से कुछ कम भी नहीं है हाँ ये बात और है कि मैं हर बात को यूं ही मज़ाक के तौर पर... Hindi · कविता 1 280 Share भूरचन्द जयपाल 31 Jul 2017 · 1 min read *** तौबा इन इश्कवालों से *** कब तलक बरसने का इंतजार करते रहे तुम आज तुम ही कहते हो बस करो अब और नही क्या बादल भी कभी माना है मनाने से नहीं बरसा तो नहीं... Hindi · कविता 1 255 Share भूरचन्द जयपाल 28 Jul 2017 · 1 min read **** आज भी मेरे अक्स को संभाले है ये तेरी आँखें **** 28.7.17 **दोपहर** 3.31 आज भी मेरे अक्स को संभाले है ये तेरी आँखें देख शीशे में अपनी आँखों में आंखे डालकर नज़र आयेगी तुम्हारी आँखों में हमारी आँखें जिस्म की... Hindi · कविता 1 425 Share भूरचन्द जयपाल 27 Jul 2017 · 1 min read ??पहली सुहागरात?? तेरी मेरी वो पहली मुलाकात और सुहाग की वो पहली रात जब मैंने छुआ था तुम्हारा बदन ऐसे सिहर सी उठी एक लहर जब रात का था वो पहला पहर... Hindi · कविता 1 4k Share भूरचन्द जयपाल 25 Jul 2017 · 1 min read *** साथ हमारे ईश्वर है *** ये जीवन भँवर है आशा और निराशा इन दोनों के बीच का भ्रमण पथ है हम यह कह सकते कि हम आशावादी है कब तब्दिली आ जाये इसमें ये जीवन... Hindi · कविता 1 278 Share भूरचन्द जयपाल 23 Jul 2017 · 1 min read *** हमारा दिल *** हमारा दिल अब शीशे का नहीं है जो ठेस लगने से टूट जाता है ये तो स्पंज की माफिक है जो धड़कता। है तो सिकुड़ता भी है इसे चोट मारो... Hindi · कविता 1 262 Share भूरचन्द जयपाल 21 Jul 2017 · 1 min read *** हम मौन रहे तो *** हम मौन रहे तो ऐसे कई डांगाबास घटित होंगे क्यों भीतर ही भीतर सहते हो क्यों अपने मन की नहीं कहते क्या जोर जबरदस्ती है तुम पर क्या औरों से... Hindi · कविता 1 318 Share भूरचन्द जयपाल 20 Jul 2017 · 1 min read *** वो मुझे अपनाकर भी *** मै जिसे प्यार करता रहा मासूम समझ कर वो ही मुझे जख़्म पे जख़्म देता रहा मैंने कभी उसको नहीं कहा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ पर वो वक्त... Hindi · कविता 1 480 Share भूरचन्द जयपाल 20 Jul 2017 · 1 min read *** मेरी तन्हाइयों में ना आया करें *** मैंने रात के अँधेरे से कह दिया है मेरी तन्हाइयों में ना आया करे जब भी अँधेरा होता है मुझे रह रह कर उनकी याद आती है फिर वही रुसवाइयों... Hindi · कविता 1 239 Share भूरचन्द जयपाल 16 Jul 2017 · 1 min read *** महारथी से बडा सारथी *** हे अर्जुन क्यों करता है अभिमान महा-रथी से बडा सा-रथी होता है क्या महाभारत तुमने जीता कब रश्मिरथी को परास्त किया हे अर्जुन क्यों करता है अभिमान क्या जयद्रथ-वध तुमने... Hindi · कविता 1 1k Share भूरचन्द जयपाल 15 Jul 2017 · 1 min read *** आप वही हैं जो है *** 15.7.17 ** दोपहर ** 2.45 आप वही हैं,जो है,फिर क्यों डरते हो डरते हो,फिर इतना क्यों मुझपे मरते हो दिल फैंक-फैंक,फेक मुझे क्यों करते हो चाहत दिल में मेरी और... Hindi · कविता 1 297 Share भूरचन्द जयपाल 9 Jul 2017 · 1 min read *** लोगों के मुख विवर्ण हो गये *** 9.7.17 ** प्रातः 11.01** कल के अवर्ण क्यों सवर्ण हो गये लोगों के मुख क्यों विवर्ण हो गये स्वार्थ-सिद्धि होती थी,तब-तब वो ना जाने पराये भी अपने हो गये दे... Hindi · कविता 1 287 Share भूरचन्द जयपाल 3 Jul 2017 · 1 min read **** प्रेम -मंदिर **** लोग कहते हैं रिश्ते रूहानी होने चाहिए प्यार सिर्फ जिस्मानी नही होना चाहिए नज़र और नज़रिया अपना बदल देखें प्यार रोशन-जिस्म बिना हुआ चाहिए दुआ कीजिए जिस्म मन्दिर है प्यार... Hindi · कविता 1 657 Share भूरचन्द जयपाल 2 Jul 2017 · 1 min read *** मैं अभिमन्यु *** 2.7.17 ** रात्रि ** 10.25 मैं अभिमन्यु हर रोज चक्रव्यूह भेद निकलता हूं हर रोज महाभारत भेद निकलता हूं मैं अभिमन्यु सीखा नहीं माँ के उदर में ना खेद परिस्थितियां... Hindi · कविता 1 859 Share भूरचन्द जयपाल 28 Jun 2017 · 1 min read **** जिंदगी जिंदगी होती है **** जिंदगी जिंदगी होती है दौलत तो एक खिलौना है कभी हम खेलते हैं उससे और कभी वो खेलती है हमसे फर्क इतना है दौलत बेजूबां होती है मगर जिसके पास... Hindi · कविता 1 359 Share भूरचन्द जयपाल 9 Jun 2017 · 1 min read ** क्षणिका ** ऐ चाँद मेरे मैं तुझ तक पहूंचूं कैसे निगलने को है बादल परछायी मेरी डसने को नागाकृति बहुत विकल है चल आ अब ज़मी पर उतर मुझसे मिल अरे यूं... Hindi · कविता 1 420 Share भूरचन्द जयपाल 7 Jun 2017 · 1 min read *** बूंद बूंद सिंचाई *** 7.6.17 दोपहर 1.41 मैंने बूंद-बूंद सिंचाई कर प्यार को सींचा आजकल प्यार-जमीं बंजर होती जा रही आ रही है थोक-बाज़ार-फसल प्यार की ना जाने कौन - दूषित-कैमिकल मिली जो बन्द... Hindi · कविता 1 813 Share भूरचन्द जयपाल 1 Jun 2017 · 1 min read ** कथा- कहानी ** ग़ज़ल कहूं या गीत कहूं ये रीत पुरानी आई है कहता आया हूं मैं जब तब बस कथा कहानी छायी है ******************** हरियाली लहराती हर-हर सूर्य -किरण लहराई है मानव... Hindi · कविता 1 605 Share भूरचन्द जयपाल 27 May 2017 · 1 min read ** मिठास ** ना जाने तेरी जुबां पे ये मिठास कहां से आती है मिश्री घोल दे दिलों में खरास कहां रह जाती है ये हुनर सीखा कहां से तुमने तेरी याद आती... Hindi · कविता 1 295 Share भूरचन्द जयपाल 27 May 2017 · 1 min read ** प्रेम विवाह की हक़ीक़त ** आजकल के प्रेम विवाह की हकीकत जितनी शिद्दत से प्रेम किया जाता है मुद्दत से शादी के ख्वाब लिए जाते हैं और जब शादी हो जाती है उसका हस्र कुछ... Hindi · कविता 1 375 Share भूरचन्द जयपाल 27 May 2017 · 1 min read * अकोहम ब्रह्म द्वितीयो नास्ति * इस दुनियां के लोग भी कितने अजीब हैं मुर्दों को तो बिना भेदभाव के सर झुकाकर सज़दा करते हैं और जिन्दा इंसान से भेद करते हैं बाते करते हैं पंच... Hindi · कविता 1 489 Share भूरचन्द जयपाल 26 May 2017 · 1 min read कविता :- पेड़ो के झुरमुट में ?पेड़ो के झुरमुट में ? ?????? विस्फारित नयनो से ढूढ़ता हूं मैं तुझको सघन वृक्षों की छांव में शायद बैठी हो छुपकर बचपन में हम खेला करते थे छुपम छुपाई... Hindi · कविता 1 704 Share भूरचन्द जयपाल 22 May 2017 · 1 min read *** ऐ जानेमन *** 22.5.17 **रात्रि** 10.31 चाहत छुपाकर क्यों होते हो आहत रखोगे इस क़दर दिल में गर चाहत क्या कभी पूरी होगी चाहत-ए-दिल मजबूरी बन पूरी होती नही चाहत ।। *** पाना... Hindi · कविता 1 426 Share भूरचन्द जयपाल 16 May 2017 · 1 min read *** ये दिल आपकी सम्पति है *** ये दिल आपकी सम्पति है जब तुम चाहो सो तोड़ दो लेकिन पहले ज़रा सोच लो नुकसान तुम्हारा ही होगा क्योँकि जुड़े हुए दिलों को तोड़ने से दोनों ही दिल... Hindi · कविता 1 441 Share भूरचन्द जयपाल 16 May 2017 · 1 min read **दर्द का अहसास ** अपनी भी हालत पेड़ से गिरे सूखे पत्ते-सी हो गयी है लोग रोंधकर चले जाते हैं मगर हमारे टूटने की आवाज़ उनके कानो तक नहीं पहुंच पाती है ऐसे लोगों... Hindi · कविता 1 266 Share भूरचन्द जयपाल 16 May 2017 · 1 min read ** दिल आख़िर दिल जो ठहरा ** दिल आखिर दिल जो ठहरा भावनाओ पर किसका पहरा उम्र हसीनाओं की पूछना मत घाव करता हृदय पर गहरा।। जितना जी चाहे प्यार करलो मुझसे फिर तन्हाई में सिर्फ याद... Hindi · कविता 1 210 Share Previous Page 2 Next