कल्पना 'कल्पना' 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid कल्पना 'कल्पना' 2 Nov 2018 · 1 min read मां, लिखते लिखते खत्म रोशनाई हुई मां तुझे सोचकर मैने जो भी लिखा , लिखते लिखते खत्म रोशनाई हुई। ग़म हवाओं ने मुझको कभी जो छुआ दर्द तुझको ही सीने में पहले हुआ मंदिरों, मस्जिदों और... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 78 181 7k Share