Kamal kumawat 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Kamal kumawat 1 May 2018 · 1 min read कुमावत बैंगलोर टुकुर टुकुर वो आखों से ताके जुबां से कुछ कह ना पाये सावन की हरियाली भी दिल की अगन बढ़ा जाये , पिया गए परदेश जो हमरे नैनन में जल... Hindi · कविता 451 Share