8
posts
ग़ज़ल : कौन आया है ये मेरे आशियाने में
Nakul Kumar
ग़ज़ल : उसने देखा मुझको तो कुण्डी लगानी छोड़ दी
Nakul Kumar
ग़ज़ल : कई क़िस्से अधूरे रह गए अपनी कहानी में
Nakul Kumar
शेर : तुझे कुछ याद भी है क्या मिरा उस रात में आना
Nakul Kumar
ग़ज़ल : तुमको लगता है तुम्हारी ज़िंदगी पुर-नूर है
Nakul Kumar
ग़ज़ल : इन आँधियों के गाँव में तूफ़ान कौन है
Nakul Kumar
ग़ज़ल : रोज़ी रोटी जैसी ये बकवास होगी बाद में
Nakul Kumar
ग़ज़ल : पेट में दाना नहीं
Nakul Kumar