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था मैं तेरी जुल्फों को संवारने की ख्वाबों में
Writer_ermkumar
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
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कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
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कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
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ख्वाब
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करवाचौथ स्पेसल
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तुम्हारे खुशियों की आँगन में
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अब वो किसी और से इश्क़ लड़ाती हैं
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इश्क़ अधूरा, शहर पुराना हो गया
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इश्क़ दुबारा भी होता हैं क्या
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हम भी आधी आबादी हैं
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ऐ सावन तू आएगा क्या
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जलियांवाला बाग
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पत्थर और तुम
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पत्थर सा मजबूत था मैं जाने क्यों रेत सा बिख़र गया
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सौंदर्य प्रियतमा की
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