Sarfaraz Ahmed Aasee 71 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read आज का सुकरात मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ जाने कैसा था वह कल का कालचक्र सोचता हूँ अपने हाथों कर लिया विषपान जो सोचता हूँ डर गया होगा समय... Hindi · कविता 349 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अभिलाषा मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मेघपट से मैं गिरा स्वाती की एक बूंद हूँ सूर्य की स्वर्णिम किरण की तेज है मुझमें तो क्या तप रहा... Hindi · कविता 190 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read छलिया नहीं देख पाया मैं आज तक तेरा असली रूप छलता है मुझे तू भी बादलों की तरह नित्य नए आकार में परिवर्तित कर स्वयं को **** सरफ़राज़ अहमद "आसी" Hindi · कविता 201 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read आतंकवाद यह किसने उखाड़ फेंके गुलाबों के सरसब्ज़ मासूम पौधे और उगा दिया है जगह जगह खूंरेज़ संगीनों के मज़बूत दरख़्त ?? **** सरफ़राज़ अहमद "आसी" Hindi · कविता 212 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मैं मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ आज हूँ एक जीर्ण-शीर्ण पीत काग़ज़ ढेर में रद्दी के गल रहा दिन रात मैं झेलता बूढ़े बदन पर धूप की... Hindi · कविता 204 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read भाष्कर मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मैं जो होता नीले अम्बर पर चमकता और दमकता "भाष्कर'' मेरी पहली रश्मियों की तेज से जागता अधखिला धरती का यह... Hindi · कविता 166 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मंदिर मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मैं हूँ एक बूढ़ी नदी के तट पे निर्मित एक अति प्राचीन मन्दिर मन के सब दीपक बुझे मूर्तियां काई में... Hindi · कविता 197 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read लोलिता छुपी है कोई "लोलिता'' मेरे जीवन के उपन्यास में सिसकियाँ भरती हुई अपना सब कुछ खो कर बहुत कुछ पा लेने की आस धरे। खोज रही है मुझमे अपने बाल्यकाल... Hindi · कविता 290 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read यथार्त की बलि यथार्त के नाम पर चला है जब भी क़लम और पड़ी है नीव किसी उपन्यास की जाने अन्जाने ही हुई है बदनाम समाज में कोई न कोई "लोलिता" ***** सरफ़राज़... Hindi · कविता 149 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अभिलाषा मैं एक ठूँठ जैसे वृक्ष कोई "ताड़" का दूर बस्ती से अकेला हूँ खड़ा मन में सौ सपने संजोये जूझता बरसों से ही आते-जाते अंधड़ों से और सहता चिलचिलाती धूप... Hindi · कविता 195 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सहानुभूति के दो शब्द हर लेते हैं मन की सारी पीड़ाएँ जब भी कोई बोलता है सहानुभूति के दो शब्द।। क्षण मात्र में ही हृदय भाव विहवल हो उठता है जाने कितनी ही व्यथाएं... Hindi · कविता 481 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read शब्द मन की व्याकुलता तन की अभिलाषा तथा आत्मिक अभिरुचियों को अभिव्यक्त करने का माध्यम होता है "शब्द" "शब्द" बोलता है चिट्ठियों में ,पत्रियों में समाचार पत्र और विज्ञापनों में अंकित... Hindi · कविता 208 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read संघर्ष जा री हट्ठी गौरइया कि तुझसे अब मैं हार चुका खोल दिया है , द्वार देख ले उस पिंजरे का जिसमे तू और तेरे साथी ब्रितानी शासन के जैसे दण्ड... Hindi · कविता 1 1 302 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read भय का भूत नींद खुली जब रात को मैंने छत पर देखा दूर खुली खिड़की से कोई काली छाया घूर-घूर कर शायद- मुझको देख रही थी। अंगारों सी दहक रही थीं आँखें उसकी... Hindi · कविता 500 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read शून्य कुछ वर्षों का ही इतिहास है हमारे पास जब कि यह धरती हज़ारों हज़ार वर्ष पुरानी है और यह अम्बर अनगिनत गिनतियों के आंकड़े से पार का। हमें ज्ञात नहीं... Hindi · कविता 155 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read गिद्ध और लाशें कल सांय एक गिद्ध मेरी छत के बुर्ज पर बैठा ख़ून का आंसू बहा रहा था थका-हारा अभी -अभी उतरा था वह सुदूर आकाशीय सफ़र से शायद - 'भुज' से... Hindi · कविता 158 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read परिवर्तन यह प्रथाएं हमारी पोषित हैं हमने जना(जन्मा) है इन्हें समय-समय पर निज स्वार्थ हेतु धार्मिक/अधार्मिक समाजिक/असमाजिक मकड़जाल में गूंथ कर। कितनी क्रूर और विभत्स थी हमारी वह 'सतीप्रथा' जो नहीं... Hindi · कविता 159 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read नूतन वर्ष ख़त्म किया है कई बार मैंने फाड़ कर घर की दीवार पर टंगे पंचांग का एक-एक पृष्ठ आज पुनः फाड़ रहा हूँ घर की दीवार पर टंगे पंचांग का अंतिम... Hindi · कविता 155 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सम्बन्ध पश्चताप कर अपना लिया था पुनःमेरे बाप ने मेरी माँ के साथ मुझे भी और ढो रहा है आजतक मुझसे अपनी सन्तान के सम्बन्ध का बोझ- वह नहीं जानता मैं... Hindi · कविता 198 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read हिमालय कौन हूँ मैं कौन हूँ ? पाषाणी तन का मैं प्रिय जन जन का मैं धरती से गौरवान्वित अम्बर से लज्जित हूँ अन गिनत रत्नों के ढेर से सुसज्जित हूँ... Hindi · कविता 167 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read चन्द्रमाँ चन्द्रमा की उपमाओं से सुसज्जित मेरी सारी कवितायेँ हंस रही हैं मुझ पर क्यों कि- आज फिर दिख रहा है आकाश की गोद में उंघता हुआ खपरैल पर बैठे कोई... Hindi · कविता 271 Share Previous Page 2