कुमार अविनाश 'केसर' 29 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कुमार अविनाश 'केसर' 31 May 2024 · 1 min read हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (यानी दीर्घ मात्रा) का प्रयोग करते हैं। उदा0 पढूँगा /पढूँगी /रहूँगा /रहूँगी /खाऊँगा /खाऊँगी Quote Writer 80 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read टिमटिम करते नभ के तारे टिमटिम करते नभ के तारे हमको क्या सिखलाते हैं? सूरज-चंदा दूर गगन से हमको क्या दिखलाते हैं? प्यारी चिड़िया अपनी धुन में बोलो क्या-क्या गाती है, न्यारी-सी फूलों की क्यारी... Poetry Writing Challenge-3 1 74 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read कहो वह कौन आता है? कहो वह कौन आता है? जिसे इतिहास ने मुड़कर, कहा सौ बार, आ जाओ, हाँ, वह कौन है जिसकी, बाधाएँ चुमती पग हैं? जिसको देखने आँखें, मचल उठती हैं सौ-सौ... Poetry Writing Challenge-3 1 75 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read घर द्वार बुलाए है अब तो लौट के आना होगा, तुझको घर द्वार बुलाए है। धान कटे, सरसों फूले, गेहूँ भी उग आए हैं। बारिश छूटी, सावन बीता, सर्दी के दिन आए हैं। अब... Poetry Writing Challenge-3 45 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read कुछ-न-कुछ तो करना होगा कुछ-न-कुछ तो करना होगा। खाली झोली भरना होगा। आए थे हम पशुओं जैसे, बड़े हुए हम पशुओं जैसे, पर हतभागी यौवन को अब रीता गागर भरना होगा। कुछ-न-कुछ तो करना... Poetry Writing Challenge-3 71 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read हे दीपशिखे! तुम सतत निरन्तर शत-सहस्र स्रोतों में बहती रहती हो, हे दीपशिखे ! दुनिया की मधुरमयी धारा में नित स्रोतस्विनी होकर तुम स्वतप्त पिघलती रहती हो, दीपशिखे ! तू प्राणमयी, तू... Poetry Writing Challenge-3 99 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read बचपन रोता-मुसकाता है जब भी जाता गाँव, दौड़कर बचपन मेरा आता है। सुबक-सुबक भीगी आँखों से मुझको गले लगाता है। वह छप्पर-छजनी का घर मुझे अब भी वहीं बुलाता है। जाऊँ जब भी,... Poetry Writing Challenge-3 54 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read चाँद ने एक दिन चाँदनी से कहा चाँद ने एक दिन चाँदनी से कहा तुम जनम भर निभाओगी वादा करो। चाहे कोई भी हो मेरी मजबूरियाँ, साथ छोड़ोगी ना तुम ये वादा करो। चाँद ने एक दिन.....................।... Poetry Writing Challenge-3 69 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read मैं रीत लिख रहा हूँ तुम प्यार लिख रहे हो, मैं गीत लिख रहा हूँ। जग का सार लिख रहे हो, मैं रीत लिख रहा हूँ। तुम्हें दर्द ने है मारा, मुझे प्यार ने संभाला,... Poetry Writing Challenge-3 57 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read दीप दीवाली का जगमग जगमग करता आया दीप दिवाली का अग-जग-मग को किया उजाला दीप दिवाली का। चलो रे, गाओ मिलजुलकर सब गीत दिवाली का जन जन का सन्देशा लाया दीप दिवाली का।... Poetry Writing Challenge-3 64 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ? जलता है संसार! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ? मानवता की हार ! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ? होठों पर चित्कार,हाय! आँखों से रिसता पानी। रक्त बूँद के लिए... Poetry Writing Challenge-3 44 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read तितली रानी तितली रानी, तितली रानी, कितनी प्यारी लगती हो। कली-कली पर, फूल-फूल पर, उड़ती हो, इतराती हो। इतने सुंदर, रंग - बिरंगे पंख कहाँ से लायी हो? सपनों से या परीदेश... Poetry Writing Challenge-3 65 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read चचहरा वोट खा। सदन चल। चाचा चारा खा। नल जल गटक। बिहार तिहाड़ बना। भतीजा नतीजा समझ, विद्यार्थी किताब पढ़। पाँच जाँच पास कर। सड़क पर टहल। 'मस्टरवा' कनस्तरवा बजा। अपना... Poetry Writing Challenge-3 58 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read सुमन प्रभात का खिला सुमन प्रभात का खिला गगन धरा से जा मिला ज्योति-किरण फूट पड़ी मस्त घवन टूट पड़ी। हिलती कमरिया गगरिया से बोलती- जलभर - जलभर, मनभर - मन भर ! नित्य... Poetry Writing Challenge-3 55 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read शब्दों की खेती शब्दों की है खेती अपनी शब्दों की है क्यारी, रंग-बिरंगे शब्द खिले हैं,अक्षर क्यारी-क्यारी। बीज शब्द का बोता हूँ पाता शब्दों की काया, बिन काया के घायल कर दे, शब्दों... Poetry Writing Challenge-3 50 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read बोल मजीरा बोल मजीरा, बोल, बोल। दुनिया मेरी गोल-गोल, मैं सबका अब खोलूँ पोल। बोल मजीरा...............। सूरज दादा गोल-गोल, चन्दा मामा गोल-गोल, तारा भैया गोल-गोल, धरती मैया गोल-गोल, नाच कन्हैया गोल-गोल। बोल... Poetry Writing Challenge-3 44 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read नववर्ष नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो ! नव वर्ष हमारा मंगल हो ! कडवे-खारे, खट्टे-मीठे अनुभव का पिछला वर्ष रहा। धूप-छाँव के खेल में जीवन शोक-विषाद या हर्ष रहा। जो बीत... Poetry Writing Challenge-3 40 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read एक दीप तो जलता ही है चाहे नाव रहे अर्णव में चीखें दबी रहें कलरव में उभचुभ सत्य रहे रौरव में पांडव घिरे रहें कौरव में एक दीप तो जलता ही है, आशा का, आखिर आख़िर... Poetry Writing Challenge-3 58 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read त्राहि नाद विश्व देखता रहा अचम्भा, कैसा हाहाकार मचा है! त्राहित्राहि सब ओर नाद है, मृत्यु का सन्धान रचा है। कौन ?कहाँ? किस देश का वासी? जन जन अणु विष उगल रहा... Poetry Writing Challenge-3 80 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read वह मुझसे ख़ुश रहती है मैं उससे रूठा करता हूँ, वह तो मुझसे खुश रहती है। जले ख़्वाब से काला धुँआ लेकर भी खुश रहती है। उसने अपना सब दे डाला जो था आँचल धानी... Poetry Writing Challenge-3 32 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read समय लिखेगा कभी किसी दिन तेरा भी इतिहास मोरपंख से, स्वर्णाक्षर में, क्रीड़ा-रुदन-हास समय लिखेगा कभी किसी दिन तेरा भी इतिहास। नव प्रभात हो, नव वेला हो, प्रतिपल नव-नव रूप रहे, मंजुल मंजु गान प्रसारित, मुदित प्रभा नव... Poetry Writing Challenge-3 49 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read विश्वास विश्वास करो दिन बदलेगा होते सब दिन समान कहाँ ? बहती नदियाँ झरने पर्वत कब रहें जमाकर जड़ें यहाँ ? मेहनत से जो मुँह मोड़ोगे, जंजीरें कैसे तोड़ोगे ? राहों... Poetry Writing Challenge-3 33 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read समय नहीं समझता कभी किसी का रुदन या परिहास । समय नचाता कहीं किसी को, कहीं किसी का दास। हरिश्चन्द्र एक सत्यनिष्ठ, दुनिया का बड़ा सहारा। पत्नी-बेटे-स्वयं बिक गए, समय ने... Poetry Writing Challenge-3 31 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read मैं मज़दूर हूँ मेरी मेहनत तेरे घर की चावल- रोटी बनती है, मेरे पाँव के छालों से तेरा घर फूलता-फूलता है, पीठ हमारी जलती है तो चूल्हा तेरा जलता है, मेरी थाली की... Poetry Writing Challenge-3 48 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read हे जगतारिणी हे जगतारिणी। वीणाधारिणी। जगजननी माँ शारदे ! तू जग को तार दे ! ये जग अँधेरे से घिरा है। आदमी पद से कितना गिरा है! सबको ज्ञान का सार दे... Poetry Writing Challenge-3 60 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read कहीं तीसी फुला गईल कहीं तीसी फुला गईल, कहीं मिसरी घुला गईल, ई बसन्त आवत-आवत, हियरा जुड़ा गईल ! लीचियो के डारी मोजर, अमवो के गाछ साजल, कोईली बिदेसी आके, सब डार-पात नाचल ।... Poetry Writing Challenge-3 35 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read कहीं तीसी फुला गईल कहीं तीसी फुला गईल, कहीं मिसरी घुला गईल, ई बसन्त आवत-आवत, हियरा जुड़ा गईल ! लीचियो के डारी मोजर, अमवो के गाछ साजल, कोईली बिदेसी आके, सब डार-पात नाचल ।... Hindi 1 35 Share कुमार अविनाश 'केसर' 29 May 2024 · 1 min read मज़दूर मेरी मेहनत तेरे घर की चावल- रोटी बनती है, मेरे पाँव के छालों से तेरा घर फूलता-फूलता है, पीठ हमारी जलती है तो चूल्हा तेरा जलता है, मेरी थाली की... Hindi 48 Share कुमार अविनाश 'केसर' 11 Feb 2022 · 1 min read वजूद ये खामोश, काली रातें, क्यों घूरती हैं मुझको! एक नन्हा -सा दीया तो हमने अपने लिए जलाया था। बहुत देखा है, ज़माने के सितारों का कमाल ! सुबह होते ही... Hindi · शेर 199 Share