Kavita Chouhan Tag: सहित्यपीडिया 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kavita Chouhan 17 Oct 2024 · 1 min read ज्योत्सना ***ज्योत्स्ना *** नभ में चमकी सुंदर गोलाई संग प्रखर ज्योत्सना आई टिमटिमाते सहस्त्रों तारे गगन के आंचल छिपते सारे श्वेत धवल आभा जगमगाई चंद्रिका शशि मिलन को आई मिलन ये... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · कविता · सहित्यपीडिया 42 Share Kavita Chouhan 2 Oct 2024 · 1 min read ****महात्मा गाँधी**** भारत देश मे यूँ चली थी जब सत्याग्रह की आँधी संत हुआ था एक महान सा नाम था मोहनदास गाँधी बाल्यकाल में मोहन कहलाते चरखा , खादी उनको भाते माता... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · कविता · सहित्यपीडिया 1 45 Share Kavita Chouhan 7 Sep 2024 · 1 min read ****गणेश पधारे**** गौरी पुत्र गणेश पधारे सज उठे है घर और द्वारे बाजे रुनझुन सी पैजनिया मंद मंद सी मधुर मुस्कनिया विघ्नहर्ता, सिद्धि विनायक हो बुद्धि दाता शुभता दायक हो एकदंत, वक्रतुंड... Hindi · कविता · गणेश चतुर्थी · सहित्यपीडिया · हिन्दीकविता 45 Share Kavita Chouhan 4 Aug 2024 · 1 min read ****दोस्ती**** नमन मंच ****दोस्त**** जिंदगी के वीरान रास्तों में कुछ अनजाने मिल जाते हैं संग चलते हैं साया बनके वह प्यारे दोस्त कहलाते हैं सुख दुख में तो साथ देकर वो... Hindi · कविता · चौपाइयाँ · छंदकविता · सहित्यपीडिया 64 Share Kavita Chouhan 3 Apr 2024 · 1 min read ****वो जीवन मिले**** जो मिला न कभी जीवन में खुशनुमा वो नवजीवन मिले कुम्हलाये सुमन उपवन में पुष्पों से आच्छादित पथ मिले। टूटती सी साँसों की लड़ियां इक इक आस उम्मीद के लिये... Hindi · कविता · चौपाई · सहित्यपीडिया 118 Share Kavita Chouhan 17 Mar 2024 · 1 min read ****तन्हाई मार गई**** निकले हम घर से दूर यूँ कुछ कामकाज की तलाश में अपनो से जब दूर हो गये हमको तन्हाई मार गई। था बड़ा शहर सफर भी बड़ा कोई न दिखता... Hindi · कविता · सहित्यपीडिया 102 Share Kavita Chouhan 7 Mar 2024 · 1 min read ****शिव शंकर**** शीश ही गंगा भालचंद्र धरे भक्तन के वो दुख दरद हरे आशुतोष,संकर जटाधारी कैलाशपति, शंभू, त्रिपुरारी। डम डम करही डमरू बाजे मुखते उज्जवल आभा साजे भस्म रमाये,धूनी लगाये तांडव करही... Hindi · चौपाइयाँ · महाशिवरात्रि · सहित्यपीडिया · हिंदी कविता 162 Share Kavita Chouhan 14 Feb 2024 · 1 min read ****बसंत आया**** उपवन में ऋतुराज समाया धरा ने नव्य रूप दिखलाया खग ने मधुर सा गीत गाया सखी री मोहक बसंत आया। पीली सरसों सर्वत्र फैली धवल चाँदनी शशि संग खेली प्रखर... Hindi · कविता · बसंत और पतझड़ · सहित्यपीडिया 183 Share