Kuldeep Kaur 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kuldeep Kaur 4 Mar 2019 · 1 min read मांँ मैं तेरी परछाई हूंँ ! तेरे आंँचल में पली मांँ मैं तेरी परछाई हूंँ, कैसी रीत है दुनिया की सब कहते हैं पराई हूंँ। तुझको पाकर मुझको मेरा सुंँदर घर संँसार मिला, खुशदिल चेहरे देखकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 9 391 Share Kuldeep Kaur 24 Feb 2019 · 1 min read मैं तेरी फ़ौजन कौन कहता है मुझसे दूर गए हो तुम, करती हूंँ महसूस सांँसों में रम गए हो तुम। पहले ये दिल ही था बसेरा तेरा और अब, हर हिन्दुस्तानी के दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 3 276 Share Kuldeep Kaur 5 Dec 2018 · 1 min read शहादत साहिबजादों की। सिरसा नदी के किनारे, गुरुद्वारा बीछोड़ा साहिब जी; यही वह स्थान जहां बिछड़ा, परिवार मेरे साहिब का जी। जब हुए होंगे सब जुदा, मां का हुआ होगा क्या हाल जी;... Hindi · कविता 5 2 424 Share Kuldeep Kaur 2 Dec 2018 · 1 min read वक़्त रेत सा... वक़्त रेत सा... यूँ हाथों से फिसलता चला गया; बंद मुट्ठी में भी कहाँ रोके वो रुक पाया l वो मुलाकतों से पैहले की जो मुलाकतें थी ; वो इक... Hindi · कविता 7 3 306 Share Kuldeep Kaur 6 Nov 2018 · 1 min read मां... रब का स्वरूप निरा माँ..सुना है मैंने,तुम्हारी आँखें हुई थीं नम, जब देखा था तुमने, मुझको पहली बार l सब कहते हैं..एक प्यारी-सी, अद्वितीय मुस्कान थी, होंठों पर तुम्हारे; जब लिया तुमने मुझको,गोद में... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 74 195 3k Share