Kanchan Advaita 27 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kanchan Advaita 31 May 2024 · 1 min read रात का शहर रात के शहर में उजालों की बस्तियाँ हैं जहाँ नींद में ऊँघते लोग कुछ बेहोश सोते कुछ थकान से बदहवास घर लौटते लोग वीरान सुनसान सी सड़कें और गलियाँ घरों... Poetry Writing Challenge-3 3 86 Share Kanchan Advaita 31 May 2024 · 1 min read ममता की छाँव ममता की छाँव में एक बचपन हँसता, खेलता, मुस्कुराता अंगड़ाइयाँ लेता पलता बढ़ता है रोने पर वही ममता की छाँव दिलासा देती पुचकारती हर सुख-दुख में ढाल बन साथ खड़ी... Poetry Writing Challenge-3 1 89 Share Kanchan Advaita 31 May 2024 · 1 min read पत्नी या प्रेमिका पत्नी प्रेमिका होना चाहती है और प्रेमिका पत्नी पत्नी हर चल अचल संपत्ति की कानूनन भागीदार जीवन पर्यंत जीवन संगिनी रहती है पत्नी सोचती है पुरुष के हृदय में प्रेमिका... Poetry Writing Challenge-3 79 Share Kanchan Advaita 30 May 2024 · 1 min read सात समंदर पार वो बादलों के ऊपर उड़ता जहाज़ तुम्हें मुझसे बहुत दूर सात समंदर पार ले गया जैसे मेरे अंदर कुछ टूट कर बिखरता गया हाथों से कुछ छूटता गया वो जहाज़... Poetry Writing Challenge-3 1 71 Share Kanchan Advaita 30 May 2024 · 1 min read बचपन की यादें बचपन की यादें सबसे खूबसूरत तस्वीरें वो बेफिक्री वो मासूमियत दुनियादारी के तमाम रंगों से अनजान वो मस्त नींद से जाग कर स्कूल के लिए तैयार होना क्लास के सहपाठियों... Poetry Writing Challenge-3 67 Share Kanchan Advaita 30 May 2024 · 1 min read उसी वादी में नीरव तुम मुझे वहीं मिलना उसी वादी में जिसका जिक्र रूमी ने किया है जहाँ सब कुछ सुंदर है हर सही गलत की परिभाषा से परे बस, तुम और मैं... Poetry Writing Challenge-3 100 Share Kanchan Advaita 29 May 2024 · 1 min read खिड़की में भीगता मौसम बाहर तूफ़ानी मूसलाधार बरसात और एक खिड़की में भीगता मौसम खिड़की की सींखचों से बाहर देखती उसकी आँखें एक मौसम उसकी आँखों में उतर आता है मन का एक सूखा... Poetry Writing Challenge-3 1 52 Share Kanchan Advaita 29 May 2024 · 1 min read ख़्वाब और उम्मीदें कुछ ख़्वाब हैं कुछ उम्मीदें अलगनी पर लटकी आधी सोई सी कुछ टूट के बिखर गईं कुछ तार पर सूखती धुले कपड़ों सी पहने जाने के इंतिज़ार में हर ख़्वाब... Poetry Writing Challenge-3 66 Share Kanchan Advaita 29 May 2024 · 1 min read तन्हा कब से तन्हा हूँ इस सूने खंडहर की तरह सदियों से जीर्ण-शीर्ण इमारत की तरह न कोई आता है न जाता है कुछ जंगली बेलें उगी हुई हैं ज़िंदगी के... Poetry Writing Challenge-3 83 Share Kanchan Advaita 29 May 2024 · 1 min read गहराई दरकता सा दर्द हूँ मत जाना इन मुस्कुराहटों पर, अक्सर मुस्कुराहटों के पीछे ज़ख्म गहरे होते हैं इन झील सी आँखों का बहता अश्क़ हूँ अथाह दर्द का समंदर लहराता... Poetry Writing Challenge-3 74 Share Kanchan Advaita 29 May 2024 · 1 min read तुम्हारा आना तुम्हारा आना तुम्हारा आना यूँ है जैसे तपते मरुस्थल में वर्षा का आ जाना मरुस्थल की प्रतीक्षा को अंततः एक विराम देता सा स्वरूप तुम्हारा लगता है मरुस्थल में भी... Poetry Writing Challenge-3 62 Share Kanchan Advaita 29 May 2024 · 1 min read वीर सैनिक अपनी जिंदगानी लुटा कर वतनपरस्ती निभा गये सच्चे वीर सैनिक वतनपरस्ती की ख़ातिर अपना खून बहा गये सब घरों के चिराग रोशन कर, खुद को बुझा गये लोग अपनी रजाईयों... Poetry Writing Challenge-3 77 Share Kanchan Advaita 23 May 2024 · 1 min read वृक्ष वृक्ष से सुन्दर कविता भला और क्या होगी? धरती के सीने पर मूक दर्शक से खड़े ये वृक्ष , न किसी से शिकवा न शिकायत बस निरंतर देने की प्रक्रिया... Poetry Writing Challenge-3 1 66 Share Kanchan Advaita 22 May 2024 · 1 min read क्या, तुम प्रेम में हो क्या, तुम प्रेम में हो....? बसंत की दस्तक और हवाओं में उड़ता एक ही सवाल क्या, तुम प्रेम में हो....? बसंती ब्यार, पीले पत्ते उड़ाती प्रेम का गीत गाती है... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Kanchan Advaita 22 May 2024 · 1 min read ख़त ज़माना बीत गया ख़त लिखे हुए वो डाकिये की आहट क्या ज़माना था जब सारा हाल चाल ख़तों के ज़रिए लिख के पहुँचाया जाता था एक इंतिज़ार,एक ख़ुमारी का आलम... Poetry Writing Challenge-3 64 Share Kanchan Advaita 22 May 2024 · 1 min read कुछ गहरा सा लिखना तो है मुझे भी कुछ गहरा सा जिसे कोई भी पढ़े बस समझ तुम सको वह गहराई शब्दों तक कहाँ पहुँचती है जो हमारी बातों में थी शब्द तो... Poetry Writing Challenge-3 42 Share Kanchan Advaita 18 May 2024 · 1 min read झिलमिल उसकी यादों की झिलमिल हर शाम मेरे आँगन में तुलसी पर जलते दीये की लौ की तरह झिलमिलाती है तुलसी पर जलते सुगंधित धूप-दीप की तरह मेरे घर में प्रवेश... Poetry Writing Challenge-3 1 41 Share Kanchan Advaita 18 May 2024 · 1 min read धुआँ धुआँ इश्क़ धुआँ धुआँ सा इश्क़ सुलगता रहता है मुझमें तुम सिगरेट की लत सी लग गई हो जानता हूँ अंदर से खोखला कर रही हो मुझे हर कश में मेरी साँसें... Poetry Writing Challenge-3 1 54 Share Kanchan Advaita 18 May 2024 · 1 min read बचपन मेरा बचपन भी यादों की एक छोटी सी पोटली है जिसे मैं रोज़ सिरहाने रख के सोती हूँ उस पोटली में से रोज़ कोई न कोई याद निकलकर मेरी बंद... Poetry Writing Challenge-3 54 Share Kanchan Advaita 18 May 2024 · 1 min read पनघट गाँव का पनघट कभी एक ठंडी मीठी जगह हुआ करता था जहाँ सारे गाँव की स्त्रियाँ एक दूसरे से मन की बात कर सुख दुख बाँट लेती थीं फिर हैंडपंप... Poetry Writing Challenge-3 38 Share Kanchan Advaita 16 May 2024 · 1 min read झील का पानी ये सोचकर मैं वहाँ रुका रहा कि शायद बीस वर्ष पहले का वक़्त आज फिर लौटेगा वहीं झील पर इंतिज़ार रंग लायेगा शायद आज भी कहीं यहाँ मिल जायें वो... Poetry Writing Challenge-3 1 43 Share Kanchan Advaita 16 May 2024 · 1 min read यादों का जंगल यादों का इक जंगल है जिसमें मैं अक्सर राह भूल जाता हूँ जिसमे ऊँचे ऊँचे कुछ रिश्तों के वृक्ष हैं जो दूर दूर तक फैले हैं कुछ सादगी को समेटे... Poetry Writing Challenge-3 47 Share Kanchan Advaita 16 May 2024 · 1 min read एक अधूरी नज़्म जो अधूरी नज़्म तुमने मेरी जेब में चुपके से रख छोड़ी थी वो आज भी वैसे ही रखी है एक मुकम्मल अंत के इंतिज़ार में आज भी यदा कदा वो... Poetry Writing Challenge-3 1 98 Share Kanchan Advaita 16 May 2024 · 1 min read स्पर्श शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध से परे क्या कल्पना में भी कोई बेहद क़रीब हो सकता है बिना दैहिक स्पर्श के कोई भीतर तक अंतर्मन छू सकता है हाँ, उसकी... Poetry Writing Challenge-3 1 57 Share Kanchan Advaita 16 May 2024 · 1 min read आईना आईना बोला मुझसे कहाँ गईं वो बोलती आँखें जो घंटों बतियाती थीं मुझसे कहाँ गई वो खिलखिलाती हंसी जो घंटों निहारा करती थी मुझमें कहाँ गए वो लहराते बाल जो... Poetry Writing Challenge-3 1 73 Share Kanchan Advaita 16 May 2024 · 1 min read खिड़कियाँ कुछ खिड़कियाँ कभी नही खुलतीं इतनी सील जाती है जब बरसों से घर बंद रहता है घर के बाशिंदे परदेस में आशियाँ बना लेते हैं एक बेहतर सुख सुविधा सम्पन्न... Poetry Writing Challenge-3 74 Share Kanchan Advaita 16 May 2024 · 1 min read आईना बोला मुझसे आईना बोला मुझसे कहाँ गईं वो बोलती आँखें जो घंटों बतियाती थीं मुझसे कहाँ गई वो खिलखिलाती हंसी जो घंटों निहारा करती थी मुझमें कहाँ गए वो लहराते बाल जो... Quote Writer 171 Share