Kanchan Khanna Tag: ग़ज़ल 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kanchan Khanna 4 Feb 2024 · 1 min read शाम पेड़ों के साये में ढलती हुई शाम। हवा के झौकों संग मचलती हुई शाम।। आसमान के बादलों को पल-पल नया रूप देती। नन्हें मासूम बच्चे सी शरारत करती हुई शाम।।... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 154 Share Kanchan Khanna 31 Jul 2022 · 1 min read गज़ल सी रचना गम को भी सीने से ऐसे से लगाया है, जैसे मुस्कान को लबों पर सजाया है। नन्हें नाजुक परों की तान कर चादर, पंछी ने तूफां में अपना नीड़ बचाया... Hindi · कविता · ग़ज़ल 1 2 642 Share