Jitendra Kumar Noor Tag: कवित्त 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Jitendra Kumar Noor 3 Jan 2023 · 1 min read कविता (घनाक्षरी) 1 सन-सन बहेले बयार फूटे रोम-रोम, काँपेले शरीर हाथ-गोड़ कठुवायल बा। हथवा से पनिया के छूवे के ना मन करे, लागे कि फिरिजवे से काढ़ि के धरायल बा। घनघोर कुहरा... Bhojpuri · कविता · कवित्त · घनाक्षरी 2 2 245 Share