जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया Tag: कविता 16 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 9 Aug 2024 · 1 min read अब तुझे जागना होगा। कान्हा बन के क्यू बैठा अर्जुन तुझे बनना होगा। महासमर हैं भारत का एकता का अलख जगाना होगा।। मौन रहा तो मिट जाएगा बेधड़क तुझे बोलना होगा। बहुत सो लिया... Hindi · कविता 26 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 9 Aug 2024 · 1 min read मेरा नाम ही जीत हैं।😎 मानता हूं कि कुछ ठोकरे खानी पडती है । रस्म हैं दुनिया की कभी हार कभी जीत होती है ।। सफर ही कुछ ऐसा चुना है मेने । कुछ खोने... Hindi · कविता 23 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 9 Aug 2024 · 1 min read जिंदगी! क्या कहूँ तुझे जिंदगी! क्या कहूँ तुझे बस मुसाफिर सा बना दिया है अनदेखी राहों का मंजिल की तलाश में भटकता अनगिनत सपनें लिये खोज रहा हूँ अपना आशियाना जिसका कोई ठिकाना नही... Hindi · कविता 65 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 9 Aug 2024 · 1 min read ज़िन्दगी! कांई कैवूं ज़िन्दगी! कांई कैवूं तन्ने बस मुसाफिर सो बणा दियौ हैं अणदैख्यां मारगां रौ मजल री तलास में भटकतौ अणगिणत सुपणां लियोड़ा सोधै रयौ हूं आपणौ ठिकाणौ जिणरौ कोई अतौ-पतौ नी... Rajasthani · कविता 56 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 8 Aug 2024 · 1 min read मां! बस थ्हारौ आसरौ हैं मां! बस अब थ्हारौ ही आसरौ दिखे है मन्ने किण माथै भरोसौ करूं थ्हारे सिवा म्हारौ कोई नी इण दुनिया रै मांयने अपणापण रो चोळौ ओढ्यौड़ां मिनखं आपणी गरज काढ़यां... Rajasthani · कविता 1 3 91 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 8 Aug 2024 · 1 min read नारी री पीड़ परथमी रे इण सेवाड़ां सूं लेय'र उण सेवाड़ां सूधी मुट्ठकी भर सुआल लियोडां म्है छोड़ती-दौड़ती-पड़ती हांफती सोधै रयी हूं जुगौ-जुगौ सूं अपणी जमीं, अपणौ ठायौ, अपणौ घर, अपणै होवण अरथ... Rajasthani · कविता 102 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 8 Aug 2024 · 1 min read आजादी का शुभ दिन आजादी का ये शुभ दिन याद दिलाने आया है इस आजादी को पाने में कितनो ने शीश कटाया है। मोहब्बत इतनी ज्यादा थी माटी के मतवालों को शून्य से शिखर... Hindi · कविता 1 68 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 8 Aug 2024 · 1 min read आजादी का शुभ दिन आज आया हैं आजादी का शुभ दिन आज आया है दिल मे नया जोश ओर उमंग जगाया है। जिस दिन खुशी से झूमी ये माटी वो कहानी सबको सुनाने आया है।। आजादी का... Hindi · कविता 41 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 8 Aug 2024 · 1 min read मुरधर वाळा देस मे जबरौ अेक गांव धुम्बड़ियौ। 💓 मुरधर वाळा देस मे जबरौ अेक गांव धुम्बड़ियौ। जाळौरी धरती वसियौ प्यारौ जिणरौ नांव धुम्बड़ियौ।। भाईचारा री भींतड़ी हेत प्रीत अणमाव धुम्बड़ियौ। चतुर सुजांण अर हेताळु मिनखां रौ जमाव धुम्बड़ियौ।।... Rajasthani · कविता 28 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 8 Aug 2024 · 1 min read आपणौ धुम्बड़िया❤️ धुम्बड़ियौ ओ फकत अेक गांव ही कोनी ओ म्हारौ अेक संसार है क्योंकि दुनिया देखवां सूं पेला इण गांव म्हाने आपणी दुनिया देखाई बाळपणां री हर अेक नैनी मोटी याद... Rajasthani · कविता 38 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 7 Aug 2024 · 1 min read म्हारौ गांव धुम्बड़िया❤️ म्हारौ गांव धुम्बड़ियौ ओ म्हारे लिए एक अणमोल धरोहर हैं इणरी यादां हरमेस म्हारे काळजै रे मांय ऊंडी बस्योड़ी है। इणरी हर अेक गळी दुकान मारग रो चितरांम म्हारे हिवड़ै... Rajasthani · कविता 53 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 7 Aug 2024 · 1 min read मरूधर रा बाशिंदा हा म्है मरुधर रा बाशिंदा हा भाई चाहें परिस्थितियां कैडी भी होवै। पण म्हारे चेहरे री मुलकांण कदै ओछी नी होवै। अर म्हारी हो मुलकांण दिखावटी नी हैं बस म्हे हर... Rajasthani · कविता 53 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 7 Aug 2024 · 1 min read अपणै गांव नै मत भूलजौ दूर देशावर जावो भलै थ्है, पण अपणै गांव नै मत भूलजौ। सीखो नुवां तौर तरीका, पण अपणां संस्कार नै मत भूलजौ।। अपणावौ चाहै रीति कठै री, पण अपणी रीत नै... Rajasthani · कविता 103 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 2 Aug 2024 · 1 min read जूनी बातां वात मांडे वागलो हुंकारों देय कागलो थ्है ही ढोर चारता म्हे ही ढोर चारता चारता चारता कांटो भागो कांटो दीधो चूलां नै चूलै दीधी रोटी रोटी दीधी कुतां नै कुतै... Rajasthani · कविता 71 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 2 Aug 2024 · 1 min read कुण हैं आपणौ कुण हैं आपणौ अर कुण हैं परायौ इण जीयांजूण री भागम दौड मे की ठांह कोनी पड्यो जणै घणी जरुत पड़ी तौ दूंजा भाई सैण कामै आयां आपणां वाळां तौ... Rajasthani · कविता 89 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 2 Aug 2024 · 1 min read जिंदगी रो आफळकुटौ अणहूंतै आफळकुटै मांय उळझियोड़ी जिन्दगांणी मजल रौ मारग सोधती नित री खैचळ करती सुपणां री चादर सामट'र नूवां नूवां पाबड़ा भरती अंतस में आस लियोड़ी जीवण री पावड़ियां चढ़ती कदै'क... Rajasthani · कविता 79 Share