Jai Prakash Srivastav Language: Hindi 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jai Prakash Srivastav 25 Aug 2024 · 1 min read गज़ल तुम्हारी याद ये, तन्हाईयां होने नहीं देती। हमारी सादगी रुसवाइयां होने नहीं देती।। जमाने भर में चर्चा है तुम्हारी बेवफाई का। यही बातें मुझे रातों में अब सोने नहीं देती।।... Hindi 264 Share Jai Prakash Srivastav 6 Aug 2024 · 1 min read गज़ल बेगुनाही खड़ी हाथ मलती रही। फैसले में सजा कलमें लिखती रही।। खून पानी बना है जरा देखिए। हंसता वह रहा वो सिसकती रही।। आदमी आदमी ना रहा अब यहां। आदतें... Hindi 253 Share Jai Prakash Srivastav 28 Jun 2024 · 1 min read गज़ल 2122 1212 22 आज ये दिल उदास सा क्यों है। झुक रहा इतना आसमा क्यों है।। हम नहीं खुश नसीब थे इतने। मुझ पे वो इतना मेहरबां क्यों है।। रात... Hindi 229 Share Jai Prakash Srivastav 27 May 2024 · 1 min read कुछ अभी शेष है प्रतीक्षारत हैं कुछ सांसें, कुछ सपने जीवित हैं। यद्यपि हार गये हैं हम, पर जीत की इच्छा, कुछ अन्तर्मन में जीवित हैं।। थे कुछ सपने कल के, कुछ आज के... Hindi · कविता 214 Share Jai Prakash Srivastav 27 May 2024 · 1 min read गीत आज भी सूरत देखकर सम्मान मिलता है, सच कहने वाले को सदा अपमान मिलता है।। एक सच देखा है बदनाम जगहों पर हमेशा, पहले आने वाले को उचित स्थान मिलता... Hindi 253 Share Jai Prakash Srivastav 9 May 2024 · 1 min read काश! सिद्ध यदि मैं कर पाता, अपने होने के होने को। पुनः अलंकृत कर लेता, रिक्त हृदय के कोने को।। फिर के आती ऋतुएं , आंचल में मधुमास लिए, ललचाती फिर... Hindi 230 Share Jai Prakash Srivastav 9 May 2024 · 1 min read गीत मेरी आंखों के आंसू, तुम को जो दिख जाते। जाते-जाते सहसा ही, तुम जो रूक जाते ।। इस मलिन ह्रदय की , आशा ज्योति न बुझती, टूट चुकी सांसों की,... Hindi 205 Share Jai Prakash Srivastav 5 May 2024 · 1 min read चिंगारी गहन तिमिर में, झिलमिलाती वह नंही चिनगारी, बहुत कठिन है इसे समझना, येसंकेत हैभीषण जवाला की या किसी झोपड़ी काआशादीप । सृष्टि बनी जादूगर की झोली मानव ने पहना चेहरे... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 192 Share Jai Prakash Srivastav 4 May 2024 · 1 min read नज़्म क्यों मचलती है बादेसबा। क्यों ये वादियां बेताब है। अब बेनूर चांद भी हो चला। कहां गया ये आफताब है।। क्या हैं बेवजह बेताबियां? क्यों शहर में इतना खौफ है।... Poetry Writing Challenge-3 232 Share Jai Prakash Srivastav 4 May 2024 · 1 min read गीत ख्वाब गये टूट सब ज़िन्दगी बिखर गई। साथ छोड़ा राह ने मंजिलें फिसल गई। मैं तो था गुमान में, पर जिन्दगी उदास थी। ख्वाहिशें जवान थी और दिल में प्यास... Poetry Writing Challenge-3 213 Share Jai Prakash Srivastav 4 May 2024 · 1 min read शायद रोया है चांद सुबह टहलते हुए जा पंहुचा मैं अपने खेतों में। गेहूँ की पत्ती पर सरसों के पत्तों पर, धवल चमकती बूंदो को, देख कर मैंने सोचा, शायद रोया है चाँद ॥... Poetry Writing Challenge-3 204 Share Jai Prakash Srivastav 4 May 2024 · 1 min read अब क्या खोना गहरे सागर की गहराई का। वह निर्जन सूना सा कोना। मेरे सपनों का निश्चल होकर। उस छोटे से कोने में सोना । कायरता ही तो कहलायेंगी। कर्तव्य विमुख हो कर... Poetry Writing Challenge-3 572 Share Jai Prakash Srivastav 4 May 2024 · 1 min read मुखर मौन मेरे शब्दों के मुखर मौन को। तुम न समझो तो समझेगा कौन। मेरी असहय वेदना की ब्यापकता। तुम न समझो, तो समझेगा कौन। हाथ पकड़ कर जीवन पथ पर! तुमने... Poetry Writing Challenge-3 1 177 Share Jai Prakash Srivastav 4 May 2024 · 1 min read गीत अव करो समाहित मुझको । तुम अपने में मिल जाने दो। भटक रही इस सरिता को । गहरा सागर बन जाने दो। घोर ताप से जलती वगिया । 'फूल पात... Poetry Writing Challenge-3 1 233 Share