Indu Singh Tag: कविता 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Indu Singh 22 Oct 2024 · 1 min read ठूँठ (कविता) हरी भरी वसुंधरा पर, था खड़ा, एक ठूँठ वृक्ष कभी खुद को निहारता कभी दिशाओं को देखता पुष्पहीन, पत्रहीन, असहाय सा था खड़ा ना वसेरा चिडियों का, ना लोगों का... Hindi · कविता 31 Share Indu Singh 26 Aug 2024 · 1 min read चिरैया (कविता) दिल में अरमां आँखों में सपने, बिटिया रानी कुछ सोच रही थी। मैं पूछी, क्या सोच रही हो? फिर वो मुझसे लिपट कर बोली, माँ! क्या मैं उड़ सकती हूँ?... Hindi · कविता 1 50 Share Indu Singh 25 Aug 2024 · 1 min read सफ़र जिंदगी का (कविता) आज एक झलक मैंने देखी अपनी जिंदगी को उससे पूछी ऐ जिंदगी! अभी तक जो मैंने जिया, क्या वही थी मेरी जिंदगी? थोड़ी रुक कर बोली, जिंदगी! शायद नहीं, तब... Hindi · कविता 1 35 Share Indu Singh 20 Aug 2024 · 1 min read परछाईं (कविता) जबसे हमने होश सम्भाला, तब से मैं उसे देख रही हूँ कभी देखकर दुखी हो जाती, कभी देख खुश हो जाती हूँ पता नही वो कौन है? जो साथ-साथ रहती... Hindi · कविता 1 43 Share Indu Singh 13 May 2024 · 1 min read हे ! अम्बुज राज (कविता) हे! अम्बुज राज कहाँ छिपे हो मानव धरा पर प्यासी है गाँव-गाँव और शहर-शहर लोगों में बढ़ी बेचैनी है हे! अम्बुज राज ..... लोग हैं प्यासे धरा है प्यासी बाग-बगीचे,... Hindi · कविता 100 Share Indu Singh 3 May 2024 · 1 min read लौट जायेंगे हम (कविता) जी को उदास न कीजिए, जी भर के जीना सीखिए। छोड़िये उलाहना देना औरों को, बस धन्यवाद दीजिए। गुजरिए जिन रास्तों से होकर, प्यारा सा संदेश दीजिए। देख कर हर... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · कविता 1 1 62 Share Indu Singh 29 Apr 2024 · 1 min read मिथ्या सत्य (कविता) सत्य और मिथ्या दो है भाई, दोनों में थी हुई लड़ाई । साथ कभी ना रह सकते, क्योंकि दोनों की सोच अलग थी। कभी एक आगे बढ़ जाता, और दूसरा... Hindi · कविता 1 71 Share Indu Singh 26 Apr 2024 · 1 min read गांव तो गांव होना चाहिए गांव तो गांव होना चाहिए नदियां, पोखर और तालाब होना चाहिए बुजुर्ग बरगद बाबा की सेवा होनी चाहिए हर डाल पर गिलहरियों का बसेरा होना चाहिए सभी परिंदों की भी... Hindi · कविता 1 53 Share Indu Singh 25 Apr 2024 · 1 min read समय (कविता) समय-समय की बात है समय बड़ा ही हैं बलवान। समय के आगे सब कोई हारा चाहे दुर्बल हो या पहलवान। समय बदलता रहता सबका चाहे गरीब हो या धनवान। बदला... Hindi · कविता 46 Share Indu Singh 23 Apr 2024 · 1 min read दर्दों का कारवां (कविता) दर्दों का करवां साथ चलता ही रहा आंखें नम हुई दिल थम सा गया अब इतना भी दर्द न दे ऐ ज़िन्दगी कि हिसाब भी इसका कर न सकूं कुछ... Hindi · कविता 2 2 42 Share Indu Singh 19 Apr 2024 · 1 min read वर्दी (कविता) वर्दी (कविता) वर्दी के है विभिन्न प्रकार, सब वर्दियों की अपनी शान। अनेक रंगों कि वर्दी हमारी, विभिन्न रुपों में बदली हैं। वर्दी की है शान निराली जो पहने उसकी... Hindi · कविता 1 56 Share Indu Singh 18 Apr 2024 · 1 min read परछाई (कविता) *परछाईं (कविता* ) जबसे हमने होश सम्भाला, तब से मैं उसे देख रही हूँ कभी देखकर दुखी हो जाती, कभी देख खुश हो जाती हूँ पता नही वो कौन है?... Hindi · कविता 1 1 96 Share