Language: Urdu
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मुझे हसरतों ने रुलाया
Trishika S Dhara
ख़ास से आम बनाना ज़रूरी था
Trishika S Dhara
तू रूबरू हो कर भी हमसे मिलता नहीं
Trishika S Dhara
पत्थर से दिल लगाने चले हैं
Trishika S Dhara
आँखों में मायूसी का मंज़र क्यों है
Trishika S Dhara
ये रात बावरी मुझे बेचैन कर जाएगी
Trishika S Dhara
मुद्दतों से तुम्हारा दीदार न मिला
Trishika S Dhara
सदियाँ लगीं संभलने में
Trishika S Dhara
तुम से उम्मीद–ए–हिमायत बहुत है
Trishika S Dhara
पेशे से मज़हब का ठेकेदार लगता है
Trishika S Dhara
उकता कर हम ने ये काम कर दिया
Trishika S Dhara
वो चाहतें हैं हमको कीचड़ में गिराना
Trishika S Dhara
मिरे आगे ज़िक्र-ए-अग़्यार क्यों करते हो
Trishika S Dhara
वो रोज़ निकालता है ऐब जहाँ में
Trishika S Dhara
संगदिल लोगों पे जाँ-निसार मत कीजिए
Trishika S Dhara
बरसों से जिन्हें अपना माना
Trishika S Dhara