Hrishabh Thakur 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Hrishabh Thakur 5 Jun 2021 · 1 min read धीरज कहो बांह पर किस योद्धा के चोट के निशान नहीं , कहो किस कहानीकार के टूटे हुए अरमान नहीं , किस साधु की बुद्धि कहो बिना कष्ट बन आई है... Hindi · कविता 2 393 Share Hrishabh Thakur 4 Aug 2020 · 1 min read वहम बचपन में देखा करता था दिनभर कांव-कांव करते रहने वाले कमज़ोर कौवों को, अपनी राह पर सीधी उड़ रही चील की पांखें नोच-नोच कर परेशान करते। बस यह मालूम नहीं... Hindi · मुक्तक 4 5 348 Share Hrishabh Thakur 4 Aug 2020 · 1 min read कुछ भी नहीं है मैंने पूछा क्या ग़लत है? ये भी सही है वो भी सही है। ढूंढ कर लगा मुझे कि कुछ भी ग़लत नहीं है मैंने पूछा क्या सही है? इसमें भी... Hindi · कविता 2 2 291 Share Hrishabh Thakur 13 May 2019 · 1 min read चलो ना मां चलो ना मां! चलने से पहले एक बार मिल लेते हैं | मैं अब मुझ जैसा नहीं , तुम भी कहा तुम लगती हो , चलो ना !बदलने से पहले... Hindi · कविता 3 447 Share Hrishabh Thakur 21 Jan 2018 · 1 min read कविता ही तो है वो इस भाग दौड़ में इतने मशगूल हो गए हैं हम कि पता भी नहीं चलता कब कब कहां कहां कैसे कैसे हमारी शिद्दतें समझौतों में घुलती रहती है फिर भीड़... Hindi · कविता 1 335 Share Hrishabh Thakur 10 Jan 2018 · 1 min read मायामुक्त अधरों के रक्त से अपनी वह कंठ भिगोता है पानी के ना होने को तुम प्यास कहते हो आंखों की चिंगारी से उसका दीपक जलता है महज सूर्य के ना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 494 Share Hrishabh Thakur 24 Dec 2017 · 1 min read प्यार का वरदान अनदेखी राह पर चल रहा हूं, संध्या के सूर्य सा ढ़ल रहा हूं, पीड़ा भरी है राह मेरी, तुम इसे विराम दो। प्यार का वरदान दो। ह्रदय मेरा जल रहा... Hindi · गीत 2 480 Share Hrishabh Thakur 23 Dec 2017 · 1 min read तबाही देखो ,एक बार और, तबाही मुझको गले लगाने आई है। नवंबर की बदतमीजी से दिसंबर की शर्माहट तक 2:30 बजे की घड़ी की टिक-टिक मुझे कहां भगा कर लाई है!... Hindi · कविता 479 Share Hrishabh Thakur 23 Dec 2017 · 1 min read क्यों बात-बात पर आंखों में आंसू आते क्यों हैं हैरान हूं ये लोग इतना अश्क बहाते क्यों है ं खुशबू की ओट में कांटों का मेला लगता है ये लोग इतना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 564 Share Hrishabh Thakur 23 Dec 2017 · 1 min read मैं गुस्ताख 'मैं' की ज़िद ही क्या? न मेरी सुने, ना खुद की; ना कुछ जाने, ना कुछ माने, पहचाने बस उसे जिसे अपना माने। इस छोटे से 'मैं' की दुनिया... Hindi · कविता 1 462 Share