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ट्रैफिक सिग्नलों पर बच्चे
हिमकर श्याम
निष्ठुर तम हम दूर भगाएँ
हिमकर श्याम
जगमग हो परिवेश
हिमकर श्याम
मिटे भेद विकराल
हिमकर श्याम
माटी का दीपक बने, दीप पर्व की शान
हिमकर श्याम
नेह लुटाती चाँदनी
हिमकर श्याम
विजय पर्व पर कीजिए, पापों का संहार
हिमकर श्याम
अहसास न होते तो, सोचा है कि क्या होता
हिमकर श्याम
हिंदी अपनी शान हो
हिमकर श्याम
मायावी जाल
हिमकर श्याम
ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है
हिमकर श्याम
क्या जश्ने आज़ादी
हिमकर श्याम
क्या बतायें तमाशा हुआ क्या
हिमकर श्याम
कोई जादू लगे है ख़यालात भी
हिमकर श्याम
खानाबदोशी का रंग
हिमकर श्याम
ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर
हिमकर श्याम
उमड़ घुमड़ घन बदरा आये
हिमकर श्याम